बाजार में पगड़ी टोपी 70 रुपये से शुरू है तुर्की टोपी 150 रुपये बांगलादेशी अलराजा टोपी 300 रुपये मिर्जा गालिब 100 से 150 रुपये से शुरू है बरकाती व बोरा टोपी 600 रुपये से शुरू है कश्मीरी टोपी तीन हजार से चार हजार रुपये में बिक रही है।
नई दिल्ली surender Aggarwal। माह-ए-रमजान चल रहे हैं। बाजारों में कपड़ों से लेकर धार्मिक टोपियों की दुकानें सजी हुई हैं। जामा मस्जिद के आस-पास के बाजार पूरे शबाब में हैं। दो वर्षों बाद टोपियों की दुकानों में खरीदारों की काफी संख्या देखने को मिल रही है। इस अवसर पर अस्थायी दुकानें भी सजी हुई है। बाजारों में इन दिनों विभिन्न देशों की तरह-तरह की टोपी मौजूद हैं। बाजारों में पाकिस्तान, बांग्लादेश, साऊदी अरब की टोपियों ने भी धूम मचा रही है, लेकिन पाकिस्तानी कराकुल टोपी लोगों की पहली पसंद बनी हुई है। जिसमें मिर्जा गालिब व अफगानी टोपी पकोल को लोग सबसे ज्यादा पसंद कर रहे हैं।
कोरोनाा के दो वर्षों बाद दुकानों में रौनक लौटती नजर आ रही है। खरीदारों की भीड़ देख दुकानों के चेहरे भी खिले हुए हैं। जिससे उन्हें इस वर्ष अच्छी खरीदारी होने की उम्मीद है। दुकानदारों का कहना है कि रमजान के मद्देनजर टोपियों की खरीदारी बढ़ गई है। दुकानदारों ने बताया कि सबसे अधिक टोपियां बग्लादेश, सऊदी अरब, दुबई, अफगानिस्तान से आती हैं। लेकिन अफगानिस्तान के बदले माहौल ने वहां की टोपियों पर असर डाला है जिससे उनकी कीतमों में थोड़ा इजाफा देखने को मिला है।
दुकानदारों ने बताया कि बंग्लादेश के बाद भारत, पाकिस्तान, सऊदी अरब, इंडोनेशिया, तुर्की की टोपी बिक रही है। जामा मस्जिद के पास मटिला महल, उर्दू बाजार में दुकानदार वसीम अख्तर कहते है कि बरकाती, हक्कानी, चांद-तारा, अलिफ, फारूक, आजम, सना, सीरिया, पाकीजा, जीनत, उमर, सुन्नत, बेत टोपी, तुर्की, फ्लावर फोम व मोती वाली समेत 200 तरह की टोपी उपलब्ध हैं। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान की कराकुल टोपी दुनिया के कई बड़े नेता पहनते हैं और इसकी खास बात यह है कि यह टोपी पूरी तरह से हाथ से बनी होती है।
वहीं, मटिया महल बाजार में 35 वर्षों से टोपी की दुकान लगा रहे हैदर ने बताया कि इस बार पीछे से टोपी कम आ रही हैं। जिससे इनके दामों में थोड़ा इजाफा हुआ है। अफगानी टोपी की कीमत में ज्यादा असर देखने को मिला है। वह कहते हैं कि इस बार बाजार में कई प्रकार की टोपियां मौजूद हैं, लेकिन सबसे ज्यादा मांग मिर्जा गालिब और अफानी पकोल टोपी की मांग इस बार ज्यादा है। इसके अलावा लोग अपनी पसंद से रेशमी, सूती और प्लास्टिक की टोपियां खरीद रहे हैं। वह कहते हैं जूट और बांस की भी टोपियां खरीदी जा रही हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना के बाद बाजार में खरीदारी अचानक से बढ़ गई है। जिससे जहां पहले रमजान में एक से डेढ़ लाख का कारोबार हो जाता था, लेकिन खरीदारों को देखते हुए दो से ढ़ाई लाख का कारोबार होने की उम्मीद है।
70 से चार हजार रुपये तक की टोपी बिक रही है बाजारों में
70 से चार हजार रुपये से अधिक की टोपी बिक रही है। हालांकि, लोग अपनी जेब के अनुसार इन्हें खरीद रहे हैं। गर्मी के मौसम को देखते हुए लोग सूती की छाली व डिजाइनदार टोपी की अधिक खरीदारी कर रहे हैं। दुकानदारों ने कहा कि जब से अफगानिस्तान का माहौल बदला है तब से पहले के मुताबिक कम वहां से टोपियों का कम आयात हुआ है, जिस कारण दाम भी बढ़ गए हैं।
बाजार में पगड़ी टोपी 70 रुपये से शुरू है, तुर्की टोपी 150 रुपये, बांगलादेशी अलराजा टोपी 300 रुपये, मिर्जा गालिब 100 से 150 रुपये से शुरू है, बरकाती व बोरा टोपी 600 रुपये से शुरू है, कश्मीरी टोपी तीन हजार से चार हजार रुपये में बिक रही है। वहीं, धार्मिक टोपी बाजारों के साथ-साथ आनलाइन भी खरीदी जा रही है। दुकानदारों ने बताया कि टोपी जितनी मरहीम-मखमली व हाथों से बनी होगी उसके दाम इससे तय होती है।