एक नजर इधर भी : उत्‍तराखंड में लोकायुक्त की नियुक्ति पर बढ़ता इंतजार

 

प्रदेश में लोकायुक्त विधेयक पर 10 साल से कोई निर्णय नहीं हो पाया है।

उत्‍तराखंड में भाजपा शासनकाल में वर्ष 2011 में उत्तराखंड लोकायुक्त अधिनियम पारित किया गया। कांग्रेस सरकार ने वर्ष 2012 में इसमें संशोधन किया। इससे 180 दिन में लोकायुक्त अधिनियम को लागू करने की बाध्यता खत्‍म हो गई। लोकायुक्त की नियुक्ति पर इंतजार बढ़ गया है।

देहरादून। प्रदेश में लोकायुक्त विधेयक पर 10 साल से कोई निर्णय नहीं हो पाया है। विधेयक में कई संशोधन होने के बाद अब यह विधानसभा की संपत्ति के रूप में बंद है। प्रदेश में विधानसभा चुनाव के बाद नई सरकार के अस्तित्व में आने पर नजरें एक बार फिर लोकायुक्त पर टिक गई हैं। जिस तरह सरकार पारदर्शिता व मितव्ययता पर जोर दे रही है, उससे आमजन भी अब मजबूत लोकायुक्त विधेयक के पारित होने की उम्मीद कर रहा है।उत्तराखंड में लोकायुक्त विधेयक 2011 में पारित किया गया। इसे राष्ट्रपति से मंजूरी भी मिल गई थी। वर्ष 2012 में सत्ता परिवर्तन हुआ तो नई सरकार ने इसमें अपने हिसाब से संशोधन किए। वर्ष 2017 में भाजपा सत्ता में आई तो विधेयक पर विधानसभा में चर्चा हुई। विपक्ष की सहमति के बावजूद इसे प्रवर समिति को सौंपा गया। तब से आज तक इसे सदन में दोबारा प्रस्तुत नहीं किया गया है।

भ्रष्ट, नाकारा कर्मियों पर निर्णय कब

प्रदेश की पिछली भाजपा सरकार ने वर्ष 2017 में शपथ ग्रहण के बाद भ्रष्टाचार पर जीरो टोलरेंस नीति अपनाने का दावा किया। कहा गया कि सरकारी विभागों के भ्रष्ट व नाकारा कार्मिकों को बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा। इसके लिए शासनादेश भी जारी हुआ। विभागाध्यक्षों से कहा गया कि 50 साल से अधिक उम्र के भ्रष्ट व नाकारा कार्मिकों की सूची तैयार कर शासन को सौंपी जाए। जिन पर गंभीर आरोप होंगे और इतिहास भी ठीक नहीं होगा, उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जाएगी। सरकार का आदेश मिलते ही विभागों में कार्मिकों के नाम की सूची बननी शुरू हुई।

तलवार लटकती देख ऐसे कर्मचारियों ने अपने राजनीतिक आकाओं की शरण ली। नतीजतन, प्रक्रिया थम गई। शासन ने रिमाइंडर भी भेजा लेकिन विभागों ने इसे कोई तवज्जो नहीं दी। अब नई सरकार के कड़े रुख को देखते हुए एक बार फिर भ्रष्ट व नकारा कर्मचारियों के दिलों की धड़कन बढऩे लगी है।

एकीकरण पर स्थिति होनी चाहिए साफ

प्रदेश की पूर्ववर्ती सरकार ने केंद्र सरकार की तर्ज पर खेल एवं युवा कल्याण विभाग का एकीकरण का निर्णय लिया। कहा गया कि इससे युवाओं के कल्याण कार्यों और केंद्रीय योजनाओं में तेजी आएगी। युवाओं और खिलाड़ि‍यों को इसका लाभ मिलेगा। वर्ष 2018 में इसका प्रस्ताव बनाकर कैबिनेट के सम्मुख प्रस्तुत किया गया।

कैबिनेट ने भी इस पर अपनी मुहर लगाई। शासन ने इस पर कोई आदेश जारी होने से पहले ही दोनों विभागों के अधिकरियों के बीच कार्य आवंटन भी कर दिया। इस पर कर्मचारियों ने विरोध के सुर उठा दिए। इसे देख शासन ने दोनों विभागों के कार्मिकों से आपत्तियां व सुझाव आमंत्रित किए।

अधिकांश कर्मचारियों ने एकीकरण को लेकर अपना तीव्र विरोध दर्ज कराया। पक्ष रखा गया कि दोनों विभागों की कार्यशैली बिल्कुल अलग है। विरोध देखते हुए एकीकरण का फैसला स्थगित कर दिया गया। अन्य विभागों के एकीकरण के बाद यहां भी आवाज उठने लगी है।

रोजगार देने को चाहिए आउटसोर्सिंग एजेंसी

प्रदेश में आई सरकारों ने बेरोजगारों को रोजगार दिलाने के वायदे तो किए, लेकिन धरातल पर काम नहीं हुआ। नतीजा, बीते छह वर्षों से प्रदेश में एक सरकारी आउटसोर्सिंग एजेंसी का चयन नहीं हो पाया है। प्रदेश में छह वर्ष पूर्व उत्तराखंड पूर्व सैनिक कल्याण निगम लिमिटेड (उपनल) आउटसोर्सिंग एजेंसी के रूप में कार्य कर रहा था।

वर्ष 2016 में उपनल के जरिये केवल पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों को ही रोजगार देने का निर्णय लिया गया। शेष प्रदेशवासियों के लिए अलग आउटसोर्सिंग एजेंसी बनाने की बात हुई, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया।

कोरोना के समय में जब मानव संसाधन की जरूरत पड़ी तो उपनल के जरिये फिर से सभी को रोजगार देने के द्वार खोले गए। अब कोरोना संक्रमण काफी कम है, तो उपनल में पुरानी व्यवस्था बहाल कर दी गई है। इस कारण युवाओं को रोजगार देेने के लिए प्रदेश में अभी कोई सरकार आउटसोर्सिंग एजेंसी नहीं है।

Popular posts
बिहार में कांस्टेबल के लिए निकली बंपर भर्ती, आवेदन से लेकर परीक्षा की जानें सारी डिटेल्स
शादी के एक माह के अंदर कराई पति की हत्या, वारदात को ऐसे अंजाम दिया कि पर्दाफाश में लगे 8 साल; 10वें वर्ष में हुई गिरफ्तारी
Image
दिल्ली की सिर्फ 1,731 अनधिकृत कॉलोनियों के लोगों को मिलेगा मालिकाना हक
Image
लाइव इंटरेक्शन में राशन से लेकर टास्क तक के बारे में जनता करेगी तय!
Image
उम्र में अंतर के कारण सरस्वती से शादी की बात छुपाता था मनोज, बहनों ने बताई सच्चाई Saraswati Murder Case महाराष्ट्र के ठाणे में हुए सरस्वती हत्याकांड में शुक्रवार को मृतक महिला की बहनों ने पुलिस के सामने अपना बयान दर्ज कराया। सरस्वती की हत्या का खुलासा सात जून को हुआ था। इस वारदात को श्रद्धा वालकर हत्याकांड की तर्ज पर अंजाम दिया गया। BY AGENCYPublish Date: Fri, 09 Jun 2023 03:54 PM (IST)Updated Date: Fri, 09 Jun 2023 04:25 PM (IST) Facebook Twitter Whatsapp Google News Live-in Partner Murder: उम्र में अंतर के कारण सरस्वती से शादी की बात छुपाता था मनोज, बहनों ने बताई सच्चाई Mumbai Murder Case: मृतक सरस्वती की बहनों ने पुलिस के सामने दर्ज कराया बयान HighLights मृतक सरस्वती की बहनों ने पुलिस के सामने दर्ज कराया बयानसात जून को सरस्वती हत्याकांड का हुआ था खुलासाश्रद्धा वालकर हत्याकांड की तर्ज पर हुई सरस्वती की हत्याअपराध के पीछे की वजह का अभी नहीं हो सका खुलासासाने के खिलाफ पुलिस ने दर्ज की प्राथमिकी ठाणे, पीटीआई। महाराष्ट्र के ठाणे जिले में एक फ्लैट के अंदर 36 वर्षीय महिला के शरीर के अंगों को कुकर में पकाने और भुनने की घटना के दो दिन बाद मृतक महिला की बहनों ने पुलिस के सामने अपने बयान दर्ज कराए। महिला अपने लिव-इन पार्टनर के साथ फ्लैट में रहती थी। एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। Play Unmute Remaining Time -10:13 Unibots.in आठ जून तक साने को पुलिस ने किया गिरफ्तार नया नगर पुलिस ने गुरुवार को पीड़िता सरस्वती वैद्य के लिव-इन पार्टनर मनोज साने (56) को अपराध के सिलसिले में गिरफ्तार किया। साने को 16 जून तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है। इस मामले ने पिछले साल के श्रद्धा वालकर हत्याकांड की यादें ताजा कर दीं। अधिकारी ने कहा कि साने से पूछताछ के दौरान पुलिस ने वैद्य के परिवार के सदस्यों और उसकी तीन बहनों के बयान दर्ज किए। साने ने पुलिस को बताया कि वह वैद्य के शरीर के अंगों को ठिकाने लगाने के बाद अपनी जान लेने की योजना बना रहा था। अपराध के पीछे की मंशा अभी भी स्पष्ट नहीं है रूम फ्रेशनर छिड़क कर की बदबू को छिपाने की कोशिश साने के पड़ोसियों ने गुरुवार को बताया कि राशन की दुकान पर काम करने वाले साने ने मुंबई के एक उपनगर मीरा रोड (पूर्व) में अपने किराए के फ्लैट में महिला के कटे हुए शरीर के अंगों को तीन बाल्टियों में रखा और रूम फ्रेशनर छिड़क कर बदबू को छिपाने की कोशिश की। अपराध का पता तब चला, जब पड़ोसियों ने पुलिस को फ्लैट से दुर्गंध आने की सूचना दी। चार जून को मौत की आशंका पुलिस द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी के अनुसार, साने ने न केवल शरीर के टुकड़ों को प्रेशर कुकर और एक बर्तन में आरी से काटकर उबाला, बल्कि उन्हें भूनकर बाल्टी और टब में डाल दिया। ऐसा संदेह है कि वैद्य की मौत चार जून को हुई थी, लेकिन मामला सात जून को सामने आया। उम्र छिपाकर की शादी डीसीपी जयंत बजबले ने कहा कि 32 वर्षीय महिला सरस्वती वैद्य की हत्या 56 वर्षीय लिव-इन पार्टनर मनोज साने ने की है। जांच के दौरान हमें पता चला है कि पीड़िता और आरोपी शादीशुदा थे और उन्होंने इसकी जानकारी पीड़िता की बहनों को भी दी थी। उन्होंने उम्र के अंतर के कारण इसे दूसरों से छुपाया। कुत्तों को खाना खिला रहा था साने पड़ोसियों ने पुलिस को यह भी बताया कि साने पिछले कुछ दिनों से आवारा कुत्तों को खाना खिला रहा था, जो उसने पहले कभी नहीं किया था। साने के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) और 201 (सबूतों को नष्ट करना) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।
Image