जमीन की पैमाइश के लिए दफ्तर के नहीं काटने होंगे चक्कर, इस तरह होगा सीमा संबंधी विवादों का आनलाइन निपटारा

 

जस्व परिषद ने पैमाइश के लिए आवेदन से लेकर आदेश तक की पूरी कार्रवाई आनलाइन कर दी है।

जमीन संबंधी विवाद निपटाने के लिए लोगों को तहसील व लेखपाल के चक्‍कर लगाने पड़ते हैं। अब राजस्‍व परिषद ने पैमाइश के लिए आवेदन से लेकर आदेश तक की सारी प्रक्रिया आनलाइन कर दी है। अब लोगों का घर बैठे समस्‍या का निपटारा हो जाएगा।

हाथरस,  संवाददाता। सीमा संबंधी विवाद में जमीन की पैमाइश के लिए अब न तहसील का चक्कर काटना होगा, न ही राजस्व निरीक्षक व लेखपाल की परिक्रमा करनी पड़ेगी। राजस्व परिषद ने पैमाइश के लिए आवेदन से लेकर आदेश तक की पूरी कार्रवाई आनलाइन कर दी है। परिषद की आयुक्त ने सभी मंडलायुक्तों व जिलाधिकारियों को इस संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किया है।

ईज आफ लिविंग प्‍लान के तहत व्‍यवस्‍था

प्रदेश सरकार ने लोगों की सहूलियत व उन्हें दौड़धूप से बचाने के लिए ईज आफ लिविंग प्लान के तहत यह व्यवस्था लागू की है। आयुक्त एवं सचिव ने कहा है कि राजस्व संहिता की धारा-24 के अंतर्गत सीमा संबंधी विवाद के निपटारे के लिए आनलाइन प्रार्थना पत्र प्राप्त करने व उसके निस्तारण की कार्रवाई लागू की गई है।

इस तरह करें आवेदन

एडीएम वित्त एवं राजस्व डा.बसंत अग्रवाल ने बताया कि पैमाइश की आनलाइन प्रक्रिया के लिए आरसीसीएमएस पोर्टल http:/vaad.up.nic.in पर ‘उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 धारा 24 के अंतर्गत आनलाइन आवेदन’ माड्यूल का लिंक उपलब्ध करा दिया गया है। इस लिंक पर यूजर मैनुअल व दिशा-निर्देश की प्रति भी उपलब्ध कराई गई है। पैमाइश के लिए आनलाइन आवेदन व 1000 रुपये शुल्क का भुगतान नेट बैंकिंग,यूपीआई के माध्यम से करना होगा। भुगतान होते ही आनलाइन आवेदन,वाद एसडीएम न्यायालय में दर्ज हो जाएगा।

एसडीएम वाद को तहसीलदार को और तहसीलदार राजस्व निरीक्षक को स्थानांतरित करेगा। राजस्व निरीक्षक पैमाइश की तिथि व समय तय करेगा तथा नोटिस जारी करेगा। तय तिथि पर पैमाइश के बाद राजस्व निरीक्षक अपनी रिपोर्ट (विवादित/अविवादित के रूप में) दर्ज करेगा और संबंधित अभिलेख व रिपोर्ट एसडीएम न्यायालय में उपलब्ध कराएगा। एसडीएम अंतिम रिपोर्ट मिलने पर आदेश करेगा। विवादित होने की दशा में वाद राजस्व न्यायालय में चलेगा।