
Qutub Minar Masjid कुतुब मीनार परिसर में हिंदू एवं जैन देवी-देवताओं की मूर्तियां पुनस्थापित करने और वहां पूजा करने देने का अधिकार प्रदान करने का अनुरोध करने वाली एक याचिका दायर की गई है। अब इस पर 24 मई को सुनवाई होगी।
नई दिल्लीsurender Aggarwal । कुतुब मीनार परिसर में मौजूद कुव्वुतुल इस्लाम मस्जिद में हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियों की पुनर्स्थापना और पूजा-अर्चना का अधिकार मांगने वाली याचिका पर मंगलवार को साकेत कोर्ट में सुनवाई टल गई। केस से जुड़े वकील विष्णु शंकर जैन के दिल्ली में नहीं होने के कारण सुनवाई को टाला गया है। अब यह सुनवाई 24 मई को होगी।
इस मामले में पहले हुई सुनवाई के दौरान साकेत अदालत ने केंद्र तथा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से जवाब मांगा था। अदालत ने कुतुब मीनार परिसर में हिंदू एवं जैन देवी-देवताओं की मूर्तियां पुन:स्थापित करने और वहां पूजा करने देने का अधिकार प्रदान करने का अनुरोध करने वाली एक याचिका को लेकर सवाल किया था। इस मामले में अतिरिक्त जिला न्यायाधीश पूजा तलवार ने संबंधित अधिकारियों को 11 मई तक जवाब दाखिल करने के लिए कहा था।
दरअसल, साकेत कोर्ट ने 13 अप्रैल को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) को कुतुबमीनार परिसर में कुव्वतुल इस्लाम मस्जिद से दो हिंदू देवताओं की मूर्तियों को हटाने से रोक दिया था। अतिरिक्त जिला न्यायाधीश निखिल चोपड़ा की कोर्ट में दायर याचिका में हिंदू और जैन देवताओं की बहाली और महरौली में कुतुबमीनार परिसर के भीतर पूजा के अधिकार की मांग की गई थी।
याचिकाकर्ताओं ने दावा किया है कि आक्रमण से पहले परिसर के अंदर एक मंदिर था। परिसर में जैन तीर्थंकर, भगवान विष्णु, भगवान गणेश, भगवान शिव, देवी गौरी, हनुमान जी सहित कई देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं जिसमें 27 मंदिरों के पीठासीन देवता शामिल हैं। इन्हें बहाल कर उचित संस्कारों के साथ पूजा करने का अधिकार दिया जाए।
दिल्ली पर्यटन वेबसाइट के अनुसार, 73 मीटर ऊंचे कुतुब मीनार का निर्माण दिल्ली के अंतिम हिंदू साम्राज्य की हार के बाद स्थल पर 27 हिंदू मंदिरों को ध्वस्त करने के बाद प्राप्त सामग्री से किया गया था। वेबसाइट के अनुसार, इसके (कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद) पूर्वी द्वार पर एक शिलालेख पर भी लिखा है कि इसे 27 हिंदू मंदिरों को ध्वस्त करने से प्राप्त सामग्री के साथ बनाया गया था। दिल्ली के पहले मुस्लिम शासक कुतुब-उद-दीन ऐबक ने 1200 ईस्वी में कुतुबमीनार का निर्माण कराया था।