नोट और वोट के चक्कर में नियमों पर साध लिया जाता है मौन, नतीजा देख सिहर उठते हैं लोग

Author: Vinay Kumar TiwariPublish Date: Sun, 15 May 2022 01:24 PM (IST)Updated Date: Sun, 15 May 2022 01:24 PM (IST)
घटना वाली इमारतों में आग से बचाव के पर्याप्त इंतजाम नहीं थे।

दुखद यह कि इन घटनाक्रमों में संबंधित एजेंसियों की जवाबदेही तय नहीं होती। किसी भी अधिकारी को सजा तक नहीं होती तो ऐसे में मौत का खेल बदस्तूर जारी है। आग लगने की बड़ी घटनाएं हुई तब हर बार कार्रवाई करने की बात संबंधित एजेंसियों द्वारा की गई।

नई दिल्ली surender Aggarwal। मुंडका अग्निकांड में निर्दोष 27 लोगों की जिंदगी राख हो गई। राजधानी दिल्ली में अब तक हुए बड़े अग्निकांड में यह तीसरा है। इससे पहले वर्ष 1997 में उपहार सिनेमा में 59 लोग तथा वर्ष 2019 में सदर बाजार के अनाज मंडी अग्निकांड में 43 लोगों ने जान गंवाई थी। इन घटनाओं के साथ अन्य अग्निकांडों में एक तथ्य समान है कि घटना वाली इमारतों में आग से बचाव के पर्याप्त इंतजाम नहीं थे।

बावजूद इसके इन हादसों से कोई सबक नहीं लेते हुए जो जैसा है वैसा ही छोड़ दिया जा रहा है। दुखद यह कि इन घटनाक्रमों में संबंधित एजेंसियों की जवाबदेही तय नहीं होती। किसी भी अधिकारी को सजा तक नहीं होती तो ऐसे में मौत का खेल बदस्तूर जारी है। उसमें भी जब-जब आग लगने की बड़ी घटनाएं हुई, तब हर बार कार्रवाई करने की बात संबंधित एजेंसियों द्वारा की गई, लेकिन धरातल पर उसका असर नहीं दिखा।

नतीजा यह होता है कि मुंडका में हादसे में जिस तरह 27 लोगों की जान चली गई ऐसे हादसे आगे न हो यह पुख्ता नहीं हो पाता है। दिल्ली के घनी आबादी वाले क्षेत्र हो या कम आबादी वाले इलाकें, हर जगह अवैध इमारतों की अच्छी खासी संख्या है। अधिकतर के पास वैध नियमों से व्यवसायिक गतिविधियों को चलाने की अनुमति नहीं है। हालांकि, ऐसे घटनाक्रमों में लीपापोती के क्रम में फायर आडिट से लेकर सख्त कार्रवाई के साथ राजनीतिक दोषारोपण खूब होता है।

स्थानीय लोग आरोप लगाते हैं कि अधिकारियों को रिश्वत देकर इनमें व्यवसायिक गतिविधियां चलाई जाती हैं। अगर कभी कार्रवाई की बात आगे बढ़ती है तो नेताओं के वोट बैंक का मामला बीच में आ जाता है। इन अवैध फैक्टि्रयों से बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिलता है। इसी तरह इनके मालिक राजनीतिक दलों को मोटा चंदा भी देते हैं। इसलिए कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पाती।

दिल्ली के भयावह अग्निकांड

अनाजमंडी अग्निकांड :

8 दिसंबर 2019 को सदर बाजार इलाके के अनाज मंडी में स्थित एक फैक्ट्री में आग लगी थी जिसमें 43 लोगों की मौत हुई थी। फैक्ट्री में निकास के लिए मात्र एक छोटा सा दरवाजा था। आग रात में लगी थी, उसमें रहने वाले श्रमिक गहरी नींद में थे। अधिकतर श्रमिकों की मौत जहरीले धुंए के कारण हुई।

उपहार अग्निकांड

13 जून, 1997 को ग्रीन पार्क स्थित उपहार सिनेमा में आग लगी। भीषण आग में 59 लोगों की जान चली गई थी।

करोलबाग होटल में अग्निकांड

करोलबाग में गुरुद्वारा रोड स्थित होटल अर्पित पैलेस में 12 फरवरी 2019 को आग लग गई। आग लगने की इस घटना में करीब 17 लोगों की मौत हो गई थी।

बवाना औद्योगिक क्षेत्र में हादसा

बाहरी दिल्ली के बवाना औद्योगिक क्षेत्र में 20 जनवरी 2018 को सेक्टर-5 स्थित एक पटाखा फैक्ट्री में आग लग गई थी। आग लगने की इस घटना में 17 लोगों की मौत हो गई थी और दो लोग घायल हो गए थे।

दिलशाद कालोनी में हादसा

सीमापुरी इलाके में स्थित दिलशाद कालोनी में सात जुलाई 2017 को आग लगने की घटना में एक ही परिवार के चार लोगों की मौत हो गई थी।

नंदनगरी में किन्नरों के आयोजन में हादसा

20 नवंबर 2011 को नंदनगरी ई-दो ब्लाक में गगन सिनेमा के पास एक सामुदायिक भवन में आग लगी। दरअसल यहां अखिल भारतीय किन्नर समाज सर्वधर्म सम्मेलन चल रहा था जब पांडाल में अचानक आग लग गई। इसमें 14 किन्नरों की मौत हो गई थी, जबकि करीब 40 किन्नर घायल हो गए थे।