
गेहूं खरीद में दनादन दी गई रियायतों के बावजूद सरकारी स्टॉक और बढ़ाना आसान नहीं होगा। घरेलू बाजार में कीमतों में गिरावट का रुख जरूर है लेकिन कीमतें अभी भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से अधिक चल रही हैं।
ब्यूरो, नई दिल्ली। गेहूं खरीद में दनादन दी गई रियायतों के बावजूद सरकारी स्टॉक और बढ़ाना आसान नहीं होगा। घरेलू बाजार में कीमतों में गिरावट का रुख जरूर है, लेकिन कीमतें अभी भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से अधिक चल रही हैं। ज्यादातर किसानों ने अपना गेहूं निजी व्यापारिक प्रतिष्ठानों अथवा एमएसपी पर बेच दिया है।
फंगस मुक्त घोषित राज्यों में निजी खरीद के बाद किसानों के पास नहीं बचा अतिरिक्त गेहूं
फंगस मुक्त घोषित राज्य मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान व महाराष्ट्र में निर्यातकों की आगे बढ़कर की गई खरीद और संबंधित राज्य सरकारों की सहूलियतों के चलते किसानों ने अपना स्टॉक निकाल दिया है। लिहाजा सरकारी एजेंसी एफसीआई को गेहूं के रूप में फिलहाल बहुत कुछ मिलने नहीं जा रहा है। गेहूं स्टॉकिस्टों को भी आने वाले दिनों में तेजी दिख रही है, जिसके चलते वे अपना स्टॉक निकालने की जल्दी में नहीं हैं। चालू रबी मार्केटिंग सीजन में गेहूं खरीद लेकर सरकार ने सिकुड़े, पतले और टूटे गेहूं के मानक को ढीला कर दिया है, ताकि जिन किसान अपने ऐसे स्टॉक को आसानी से बेच सकता है।
सरकारी स्टॉक में फिलहाल 3.70 करोड़ टन गेहूं का स्टॉक
सरकारी खरीद की अवधि को बढ़ा दिया गया है। लेकिन घरेलू मंडियों में अभी भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 2015 रुपए प्रति क्विंटल से अधिक मूल्य पर गेहूं बिक रहा है। ऐसे में भला कोई क्यों सरकारी खरीद में हिस्सा लेगा। सरकारी स्टॉक में फिलहाल 1.90 करोड़ टन पुराना ओपेनिंग स्टॉक पड़ा हुआ है, जबकि चालू सीजन में अब तक 1.80 करोड़ टन गेहूं की खरीद हो चुकी है। कुल 3.70 करोड़ टन गेहूं का स्टॉक है, जो पीडीएस समेत अन्य योजनाओं के लिए पर्याप्त है।
सरकारी खरीद एजेंसी भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है 'केंद्रीय पूल में सर्वाधिक गेहूं की हिस्सेदारी करने वाले राज्य पंजाब व हरियाणा में सरकारी खरीद शुरू करने का कोई बहुत फायदा नहीं मिलेगा। लाख पचास हजार टन पतला या सिकुड़ा गेहूं ही सरकारी खरीद केंद्रों पर आ सकता है।' पंजाब में अब तक 95.67 लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी है। जबकि राज्य में 1.32 करोड़ टन गेहूं खरीद का लक्ष्य था।
हरियाणा में निर्धारित लक्ष्य 85 लाख टन के मुकाबले केवल 40.71 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद हुई है।
जबर्दस्त निर्यात मांग और कीमतों के बढ़ने की संभावना के मद्देनजर घरेलू स्टाकिस्टों ने आगे बढ़कर खरीद की है। केंद्रीय पूल में दूसरा सबसे अधिक गेहूं देने वाले मध्य प्रदेश में कुल 1.28 करोड़ टन गेहूं के निर्धारित लक्ष्य के मुकाबले मात्र 41.57 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद हो सकी है। बाकी गेहूं निजी प्रतिष्ठानों ने खरीद लिया है। निर्यात के उद्देश्य से मध्य प्रदेश, गुजरात व राजस्थान को फंगस मुक्त क्षेत्र घोषित किया गया है।
निर्यात खरीद को प्रोत्साहित करने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने निर्यातकों की खरीद को शुल्क मुक्त कर दिया था। सामान्य तौर पर मिस्त्र, तुर्की और इरान जैसे आयातक देशों ने करनाल बंट प्रभावित क्षेत्रों वाले गेहूं लेने से स्पष्ट मना कर दिया था। इसीलिए इन्हीं राज्यों में निर्यात वाले गेहूं की खरीद हो चुकी है। गेहूं खरीद में रही सही कसर उत्तर प्रदेश और बिहार से कुछ हद तक पूरी हो सकती है।
सरकार संशोधित खरीद लक्ष्य 1.85 करोड़ टन से तकरीबन पांच लाख टन पीछे है। उत्तर प्रदेश ने 60 लाख टन गेहूं खरीदने के लक्ष्य के विपरीत मात्र 2.36 लाख टन गेहूं ही खरीदा है। प्रदेश में व्यापारियों और जमाखोरों (स्टाकिस्ट) ने आगे बढ़कर एमएमसपी से अधिक मूल्य पर खरीद की है। यही वजह है कि प्रदेश में गेहूं बेचने के लिए जरूरी रजिस्ट्रेशन कराने वाले किसानों ने भी सरकारी खरीद केंद्रों पर अपना गेहूं नहीं बेचा है। इसके बावजूद एफसीआई को पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में गेहूं खरीद की उम्मीद है।