
Govt Bans Wheat Exports जर्मनी ने कहा है कि भारत के इस कदम से दुनियाभर में खाद्यान संकट बढ़ेगा। जी-20 देशों ने इसे मुद्दा क्यों बनाया। आखिर गेहूं पर कूटनीति क्यों शुरू हो गई है। भारत सरकार का यह फैसला क्या देश हित में है।
नई दिल्ली: भारत सरकार ने गेंहूं के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। मोदी सरकार के इस फैसले से न केवल देश में सियासत शुरू हो गई है, बल्कि इसका प्रभाव अंतरराष्ट्रीय जगत पर पड़ना शुरू हो गया है। मोदी सरकार ने यह फैसला तब लिया है, जब दुनिया भर में गेहूं की कीमतें बढ़ रही हैं। रूस यूक्रेन जंग से दुनियाभर में गेहूं की आपूर्ति बाधित हुई है। गेहूं निर्यात रोकने पर भारत सरकार के निर्णय G-7 के समूह की निंदा की है। जर्मनी के कृषि मंत्री केम ओजडेमिर ने कहा है कि भारत के इस कदम से दुनियाभर में खाद्यान संकट बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि वह भारत से G-20 सदस्य के रूप में अपनी जिम्मेदारी संभालने का आह्वान करते हैं। आखिर गेहूं पर कूटनीति क्यों शुरू हो गई है। भारत सरकार का यह फैसला क्या देश हित में है।
1- प्रो हर्ष वी पंत ने कहा कि रूस यूक्रेन जंग के चलते गेहूं के निर्यात में बड़ी गिरावट आई है। उन्होंने कहा कि यह दोनों देश दुनिया के सबसे बड़े खाद्यान निर्यातक है। रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते ब्लैक सी इलाके से गेहूं का निर्यात प्रभावित हुआ है। उन्होंने कहा कि दुनिया में गेहूं का एक चौथाई ट्रेड वहीं से होता है। भारत इस कमी को पूरा कर रहा है। यूक्रेन और रूस से आपूर्ति प्रभावित होने के बाद भारत से गेहूं की मांग बढ़ गई है। यही वजह है कि देश से गेहूं का निर्यात बढ़ा है। दूसरी ओर इसका असर यह रहा है कि देश में गेहूं और आटे की खुदरा महंगाई अप्रैल में बढ़कर 9.59 फीसद पहुंच गया, जो मार्च में 7.77 फीसद थी। उधर, यूक्रेन का कहना है कि उसके पास 20 मिलियन टन गेहूं है, लेकिन उसका व्यापार रूट युद्ध की वजह से पूरी तरह से खत्म हो चुका है। ऐसे में भारत पर गेहूं के निर्यात पर दबाव बना है। उन्होंने कहा कि लेकिन देश के आंतरिक हालात ऐसे बने हैं कि भारत सरकार ने मजबूरी में यह फैसला लिया है।
2- उन्होंने कहा कि भारत का यह फैसला देश हित में लिया गया बड़ा फैसला है। देश में गेहूं उत्पादन की क्षमता को देखते हुए भारत सरकार ने यह कदम उठाया है। भारत सरकार के इस फैसले से जी-7 के कुछ देशों ने सवाल उठाया है। जी-7 के कुछ देशों ने इस पर अपनी सख्त प्रतिक्रिया दी है। प्रो पंत ने कहा कि जी-7 देशों को भारत के आंतरिक हालात को भी समझना होगा। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को अगले महीने जर्मनी में जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान उठाया जा सकता है। खास बात यह है कि इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाग लेंगे। जी-7 देशों का तर्क है कि भारत के इस फैसले से बांग्लादेश और नेपाल जैसे देश प्रभावित होंगे।
3- सरकार के गेहूं का निर्यात तुरंत रोकने से सबसे बड़ा प्रभाव इसकी कीमत पर पड़ेगा, जो कि इस समय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 40 फीसद तक बढ़ चुकी है। इसके साथ ही घरेलू स्तर पर बीते एक साल में गेहूं के दाम में 13 फीसदी का उछाल आया है। निर्यात पर रोक लगाए जाने से इसकी कीमत में तत्काल कमी आएगी। गेहूं की किल्लत और बढ़ती कीमतों के कारण बीते कुछ हफ्तों में स्थानीय बाजारों में गेहूं के आटे की कीमतों में जोरदार तेजी देखने को मिली है। इस फैसले से आटे के दाम गिरेंगे और आम जनता को बड़ी राहत मिलेगी। गेहूं की कीमत में कमी आने के बाद दूसरा बड़ा फायदा यह होगा कि इसकी कीमत निर्धारित 2,015 रुपये प्रति क्विंटल के एमएसपी के करीब पहुंच जाएगी।
आखिर क्यों बने ऐसे हालात
ऐसे में यह सवाल उठता है कि यह स्थिति क्यों उत्पन्न हुई है। यह समझना ये भी जरूरी है कि आखिर मुफ्त अनाज की योजना से गेहूं की कटौती की नौबत क्यों आई ? दरसअल, होता ये आया है कि सरकार किसानों से MSP पर गेहूं खरीदकर उसी को मुफ्त अनाज की योजना में जनता तक पहुंचाती है। इस बार हुआ ये है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच वैश्विक बाजार में गेहूं की कीमत बढ़ गई। ऐसा इसलिए, क्योंकि रूस और यूक्रेन दोनों ही गेहूं के बड़े निर्यातक हैं। दाम बढ़े तो सरकारी मंडी की जगह व्यापारियों ने किसानों का गेहूं ज्यादा खरीद लिया। इसका नतीजा यह हुआ कि एक मई तक के आंकड़ों के मुताबिक सरकारी गोदाम में गेहूं का स्टाक पांच साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। एक अनुमान के मुताबिक पिछले साल के मुकाबले 30 फीसद तक गेहूं की सरकारी खरीद कम हुई है। यह भी कहा जा रहा है कि इसके और भी घटने की आशंका है। ब्रेड-बिस्किट पर भी महंगाई के बादल मंडराने लगे हैं। गेहूं के इस खेल में समस्या और चिंता सबके लिए है।