इमरान खान पर अब्दुल कादर यूनिवर्सिटी को अनुचित लाभ पहुंचाने का आरोप, शहबाज सरकार ने दिए जांच के आदेश

 

शहबाज सरकार ने दिए इमरान खान के खिलाफ जांच के आदेश (फाइल फोटो)

इमरान खान पर अपने कार्यकाल के दौरान अब्दुल कादर विश्वविद्यालय को अनुचित लाभ देने के आरोप लगाए गए हैं। बताया जा रहा है कि खान की पत्नी बुशरा बीबी और उनकी दोस्त विश्वविद्यालय के ट्रस्टी हैं। पाक सरकार ने इमरान खान के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं।

इस्लामाबाद, प्रेट्र: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान पर अपने कार्यकाल के दौरान एक विश्वविद्यालय को अनुचित लाभ देने के आरोप लगाए गए हैं। पाक सरकार का कहना है कि इमरान खान ने साल 2019 में पंजाब प्रांत के सोहावा शुरू किए गए अब्दुल कादर विश्वविद्यालय को अनुचित लाभ दिए हैं, जिनको लेकर अब जांच के आदेश दिए गए हैं। आरोप है कि इमरान खान ने अपने कार्यकाल के दौरान विश्वविद्यालय को नकद और जमीन के मामले में अनुचित लाभ पहुंचाए हैं।अब्दुल कादर विश्वविद्यालय का साल 2019 में शिलान्यास इमरान खान ने किया था। वहीं एक समारोह के दौरान उन्होंने कहा था कि यह विश्वविद्यालय दान में मिले पैसों से संचालित होगा। ताकि राष्ट्रीय स्तर परप शैक्षिक आधार को व्यापक बनाने में सफलता मिले। इमरान खान पर लगे आरोपों के संदर्भ में देश के रक्षा मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ ने सोमवार को नेशनल असेंबली में बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री की पत्नी बुशरा बीबी और उनकी दोस्त फराह गोगी विश्वविद्यालय के ट्रस्टी हैं।

आसिफ ने इमरान खान के खिलाफ जांच की घोषणा करते हुए दावा किया कि उन्होंने नकद और जमीन के मामले में विश्वविद्यालय को करीब 50 करोड़ रुपये नकद और 450 कनाल जमीन दी है। साथ ही उन्होंने अपनी पत्नी फराह को भी 200 कनाल जमीन दी है। आसिफ ने बताया कि विश्वविद्यालय के विज्ञान विभाग में सिर्फ 32 छात्र पढ़ रहे हैं, जो सरकारी कालेज विश्वविद्यालय से संबद्ध है। साथ ही उन्होंने कहा कि एक आवास योजना के मालिकों को 45 अरब रुपये का अनुचित लाभ देने के एवज में इमरान खान को नकद और जमीन के रूप में ये लाभ मिले थे।

आसिफ ने बताया कि ब्रिटेन की राष्ट्रीय अपराध एजेंसी (एनसीआई) ने यूके में बहरिया टाउन के मालिक मलिक रियाज हुसैन के स्वामित्व वाले 15 करोड़ पाउंड के अस्पष्टीकृत धन का पता लगाया है। एनएबी द्वारा लोक लेखा समिति (पीएसी) को बताया गया था कि यह राशि रिकवरी कर अर्जित की गई है। जिसे बाद में पूर्व की पाक सरकार को भेद दिया गया था। लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री कहने पर आवास योजना के मालिक पर पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा लगाए गए जुर्माने के खिलाफ राशि को समायोजित किया गया था।