हाई कोर्ट ने कहा- संपन्न आरोपितों के लिए तोड़-मरोड़कर पेश करने के लिए नहीं है अदालत के असाधारण अधिकार, जानें किस मामले में की टिप्पणी

 

याचिकाकर्ता को उसके वकील के साथ भौतिक बैठक की सुविधा देने के लिए नहीं किया जा सकता है।

न्यायमूर्ति चंद्रधारी सिंह की पीठ ने कहा कि आर्थिक अपराध राष्ट्र की अर्थव्यवस्था के साथ ही बड़े पैमाने पर समाज के लिए भी हानिकारक हैं। वंचितों और दलितों को अक्सर ऐसे अपराधों के परिणाम भुगतने पड़ते हैं।

नई दिल्ली,  संवाददाता। फोर्टिस हेल्थकेयर के पूर्व प्रमोटर मलविंदर मोहन सिंह और उनके वकील के बीच भौतिक बैठक की सुविधा देने के संबंध में जेल अधिकारियों को निर्देश देने से इन्कार करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि अदालत की असाधारण शक्तियां संपन्न आरोपितों के लिए नहीं हैं। न्यायमूर्ति चंद्रधारी सिंह की पीठ ने कहा कि आर्थिक अपराध राष्ट्र की अर्थव्यवस्था के साथ ही बड़े पैमाने पर समाज के लिए भी हानिकारक हैं। वंचितों और दलितों को अक्सर ऐसे अपराधों के परिणाम भुगतने पड़ते हैं।इस अदालत की असाधारण शक्तियों का प्रयोग समृद्ध अभियुक्तों के निपटान करने के लिए नहीं हैं, जो अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रशासनिक तंत्र के कानून का इस्तेमाल करने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। पीठ ने उक्त टिप्पणी मलविंदर सिंह की याचिका पर दिया। इसमें सिंह ने तिहाड़ जेल नंबर-आठ के जेल अधीक्षक को दिल्ली हाई कोर्ट मध्यस्थता केंद्र में हिरासत के दौरान अपने वकील के साथ भौतिक बैठक की सुविधा देने का निर्देश देने की मांग की थी।

साथ ही सिंह ने सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली और चंडीगढ़ के हाई कोर्ट समेत विभिन्न जिला अदालतों में चल रही कार्यवाही की तैयारी के लिए जेल परिसर के बाहर अपने वकीलों से शारीरिक रूप से परामर्श करने की अनुमति नहीं देने के सात दिसंबर 2021 के आदेश को भी चुनौती दी थी। पीठ ने सिंह की याचिका खारिज करते हुए कहा कि असाधारण रिट अधिकार क्षेत्र का प्रयोग याचिकाकर्ता को उसके वकील के साथ भौतिक बैठक की सुविधा देने के लिए नहीं किया जा सकता है। अदालत की अंतर्निहित शक्तियों का प्रयोग किसी भी अदालत की प्रक्रिया के दुरुपयोग को रोकने के लिए किया जाता है।

ईडी की तरफ से पेश हुए केंद्र सरकार के स्टैंडिंग काउंसिल अमित महाजन ने कहा था कि यह याचिका प्रक्रिया के दुरुपयोग करने जैसा है और इसे खारिज किया जाना चाहिए। दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने मार्च 2019 में एक शिकायत पर मामला दर्ज किया था, जबकि ईडी ने सितंबर 2019 में मामला दर्ज किया था। पूरा मामला 2397 करोड़ रुपये की ठगी से जुड़ा है।