
महिलाओं को जीवन में आगे बढ़ने और कामयाबी हासिल करने के लिए कई तरह की रुकावटों से गुजरना पड़ता है। हालांकि, इन रुकावटों के बावजूद महिलाएं अपना काम करती हैं और अपनी जिम्मेदारियों को निभाती हैं। विश्व के सबसे बड़े प्रोफेशनल नेटवर्क LinkedIn ने महिलाओं के लिए कार्यस्थल पर फ्लेक्सिबिलिटी लाने के लिए एक मुहिम की शुरुआत की है। इसके तहत हम आपको देश के उन सफल कामकाजी महिलाओं से परिचय करवा रहे हैं, जिन्होंने फ्लेक्सिबिलिटी के साथ अपने करियर में सफलता प्राप्त की है। SHEROES की फाउंडर Sairee Chahalभी उन्हीं महिलाओं में शामिल हैं। उन्होंने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखें है, पर जो चीज उनके साथ बनी रही, वो थी ना रुकने की भावना और सोच में फ्लेक्सिबिलिटी।
वैसे तो Sairee Chahal का नाता उत्तर प्रदेश के एक छोटे से शहर मुजफ्फरनगर से है। उनके अंदर कुछ करने का जज्बा हमेशा से ही रहा है, यही वजह है कि वह उच्च शिक्षा के लिए दिल्ली आ गईं, जहां कॉलेज के बाद उन्हें स्टार्टअप का पहला एक्सपीरियंस मिला। छोटी उम्र से ही उन्हें बिजनेस के बारे में जानकारी थी, क्योंकि घर पर उनके पिताजी से जो मेहमान मिलने आते थे, वो हमेशा अपने व्यापार की ही बातें करते थे। इस तरह उन्हें व्यापार और एंटरप्रेन्योरशिप की प्रेरणा यही से मिली।
Sairee Chahal ने साल 1999 में मरिनर्स के लिए एक अखबार लॉन्च किया। काफी सालों तक काम करने के बाद उन्हें एहसास हुआ कि कामकाजी महिलाओं के जीवन में फ्लेक्सिबिलिटी की बहुत ज्यादा आवश्यकता है। इसका सीधा संबंध उनके स्वास्थ्य और पारिवारिक संबंधों से है। साल 2012 में उन्होंने अपने वेंचर Fleximums पर काम करना शुरू किया। इसके जरिए उन्होंने सुदूर इलाके में बैठी महिलाओं को कई मौके दिए। साथ ही काम में फ्लेक्सिबिलिटी भी। इसके बाद उन्होंने 2014 में SHEROES को लेकर आईं, जो एक तरह की महिला कम्युनिटी है, जो रोजगार, एंटरप्रेन्योरशिप, कैपिटल और मेंटरशिप उपलब्ध कराती है।
कामकाजी महिलाओं के लिए फ्लेक्सिबिलिटी हमेशा से एक बड़ा मुद्दा रहा है। पितृसत्तात्मक धारणाएं अभी भी प्रचलित हैं और उसका प्रभाव ये है की कार्यस्थल पर समानता पाना महिला कर्मचारियों के लिए एक कठिन कार्य है। महामारी के बाद अगर पुरुष-महिला अनुपात की बात की जाए तो महिला कर्मचारियों के लिए काम पर आना ज्यादा कठिन था। LinkedIn के आंकड़ों के अनुसार 10 में से 9 महिला कर्मचारियों को अपने काम में फ्लेक्सिबिलिटी के लिए अपनी सैलरी कटवानी पड़ी, तो वहीं 5 में से 2 को फ्लेक्सिबिलिटी की अनुमति नहीं दी गई। इससे यह पता चलता है कि जीवन में आगे बढ़ने के लिए तथा घर और ऑफिस के काम में सही तालमेल स्थापित करने के लिए महिलाओं को कई तरह की बाधाओं से गुजरना पड़ता है।
काम करने वाली महिलाएं अपनी वर्तमान जरूरत के हिसाब से फ्लेक्सिबिलिटी देखती हैं या तलाशती हैं। फ्लेक्सिबिलिटी के साथ काम करने का मौका मिले तो महिला कार्यस्थल से दूर रहकर भी बेहतर काम कर सकती है। इससे उसका समय बचेगा, और अन्य नीजी कार्यों के लिये या परिवार के साथ समय बिताने के लिये स्पेस मिलेगा। हिंदुस्तान में बहुत सारी महिलाएं हैं, जो शायद जॉब मार्केट में ना जाए, पर उद्यमी है। उद्यमिता एक करियर विकल्प है, जिसमें महिलाओं को फ्लेक्सिबिलिटी मिलती है।
LinkedIn के आंकड़े बताते हैं कि 5 में से 4 कामकाजी महिलाओं ने फ्लेक्सिबिलिटी के लिए जिन चीजों को सबसे जरूरी माना उनमें फ्लेक्सिबल वर्क टाइमिंग, बढ़ी हुई लीव अलाउंस, कार्यस्थल से दूर काम करने की सुविधा और हाइब्रिड वर्क ऑप्शन्स शामिल है। फ्लेक्सिबिलिटी उतना ही जरूरी है, जितना वर्किंग एनवायरनमेंट का कोई और पैरामीटर। इसलिए कामकाजी महिलाओं के इस हक को कंपनियों और हर किसी को समझने की जरूरत है।