
अमेरिकी राष्ट्रपति शुक्रवार को दक्षिण कोरिया के दौरे पर जा सकते हैं। इसी दौरान उत्तर कोरिया भी मिसाइल लॉन्च की तैयारी कर रहा है। इंटेलिजेंस की रिपोर्ट में कहा गया है कि ये टेस्ट गुरुवार या शुक्रवार को किया जा सकता है।
सिओल (रायटर)। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन शुक्रवार
को दक्षिण कोरिया के दौरे पर जा सकते हैं। राष्ट्रपति पद संभालने के बाद
से उनका ये यहां का पहला दौरा होगा। इसके कुछ दिन बाद वो जापान भी जाएंगे।
लेकिन, उनके दक्षिण कोरिया के दौरे पर संकट के बादल भी दिखाई दे रहे हैं।
इसकी वजह बना है उत्तर कोरिया। दरअसल, इस बात की आशंका जताई जा रही है कि
उत्तर कोरिया इस दौरान बेलैस्टिक मिसाइल टेस्ट कर सकता है। इस बात की
आशंका दक्षिण कोरिया और अमेरिकी अधिकारियों की तरफ से जताई गई है। डिप्टी
नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर किम ते हो एक ब्रिफिंग के दौरान कहा कि यदि ऐसा
कुछ होता है तो उनके पास में प्लान बी तैयार है।
क्या है प्लान बी
प्लान बी के तहत इस दौरान होने वाले समिट की जगह को बदला जा सकता है। प्लान बी में अमेरिका और दक्षिण कोरिया की सेना की तैनाती और कमांड कंट्रोल सिस्टम को भी इस दौरान अलर्ट पर रखा जाएगा। उनका कहना है कि इंटेलिजेंस से मिली रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर कोरिया आईसीबीएम का टेस्ट गुरुवार या शुक्रवार को कर सकता है।
यहां पर जा सकते हैं बाइडन
व्हाइट हाउस ने पिछले सप्ताह कहा था कि राष्ट्रपति बाइडन दक्षिण कोरिया की यात्रा के दौरान उत्तर कोरिया से मिलती सीमा पर मौजूद डिमिलिट्राइज्ड जोन भी जा सकते हैं। हालांकि इस बारे में पुख्ता तरीके से कुछ नहीं कहा गया है। बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति का ये दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब उत्तर कोरिया में कोरोना महामारी गंभीर रूप ले चुकी है।
इस वर्ष कई टेस्ट कर चुका है उत्तर कोरिया
हालांकि इस महामारी के बीच उत्तर कोरिया मिसाइल टेस्ट करने की तैयारी कर रहा है। बता दें कि इस वर्ष उत्तर कोरिया जनवरी से अब तक एक दर्जन से अधिक मिसाइल टेस्ट कर चुका है। इसके मद्देनजर जापान और दक्षिण कोरिया की चिंता बढ़ गई है। इस दौरान उत्तर कोरिया ने अपनी सबसे लंबी दूरी की मिसाइल का टेस्ट भी किया था, जिसको उसने सफल बताया था।
मिसाइल टेस्ट बढ़ा सकता है तनाव
बहरहाल, यदि राष्ट्रपति बाइडन के दक्षिण कोरिया दौरे के समय उत्तर कोरिया कोई भी मिसाइल टेस्ट करता है तो इसका बेहद नकारात्मक प्रभाव इस क्षेत्र में दिखाई देगा। साथ ही ये अमेरिका के लिए एक गंभीर संकेत भी होगा। इतना ही नहीं इस तरह का कोई भी टेस्ट क्षेत्र में तनाव को बढ़ाने में सहायक साबित हो सकता है।