
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार को राज्य में शहरी निकाय चुनाव कराने की अनुमति दे दी है। यह चुनाव पंचायत चुनाव से पहले कराए जा सकते हैं। हाई कोर्ट पंचायत चुनाव कराने की इजाजत पहले ही दे चुका है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार को बड़ी राहत देते हुए शहरी निकाय चुनाव कराने की अनुमति प्रदान कर दी है। हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के एक केस का हवाला देते हुए चुनाव कराने की इजाजत मांगी थी।
इसके मुताबिक शहरी निकाय चुनाव को अधिक दिनों तक टाला नहीं जा सकता, जिसके आधार पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को चुनाव कराने की अनुमति देने के साथ ही राज्य चुनाव आयोग को निर्देश दिये कि वह यथाशीघ्र चुनाव कराने की कार्यवाही शुरू करे।जाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट राज्य सरकार को पंचायत चुनाव कराने की अऩुमति पहले ही दे चुका है। राज्य सरकार ने चुनाव आयोग के पास पंचायत चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू करने संबंधी पत्र भेज दिया है, जिसके आधार पर अगस्त में ही पंचायत चुनाव संभव हैं। राज्य में 47 शहरी निकायों के चुनाव होने हैं। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि शहरी निकाय चुनाव पंचायत चुनाव से पहले हो सकते हैं।
हरियाणा सरकार ने बीसी कैटेगरी के लिए शहरी निकाय प्रधान की सीट आरक्षित की है, जिसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिकाएं लंबित हैं। हाईकोर्ट ने अभी तक इस याचिका पर कोई फैसला अथवा दिशा निर्देश नहीं दिए हैं, जिस कारण याचिकाओं पर सुनवाई अलग से चलती रहेगी, लेकिन सरकार यदि चाहे तो शहरी निकाय चुनाव करा सकती है। हरियाणा सरकार की ओर से कोर्ट में एडवोकेट जनरल बलदेव राज महाजन और एडीशनल एडवोकेट जनरल दीपक बाल्याण पेश हुए।
हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रवि शंकर झा पर आधारित बेंच ने कहा कि हम सरकार के आग्रह व सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर शहरी निकाय चुनाव की इजाजत दे रहे हैं। हरियाणा सरकार ने चुनाव के पक्ष में सुरेश महाजन बनाम मध्य प्रदेश मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले की कापी पेश करते हुए कहा कि यह चुनाव टाले नहीं जा सकते। कोर्ट ने सरकार द्वारा पेश फैसले की कापी व सरकार की मांग पर चुनाव पर लगी रोक हटाते हुए चुनाव का रास्ता साफ कर दिया।
हरियाणा सरकार द्वारा हरियाणा नगरपालिका चुनावों में पिछड़ा वर्ग (बीसी) श्रेणी के लिए प्रधान पद को आरक्षित करने की नीति को बावल निवासी राम किशन द्वारा हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। कोर्ट को बताया गया कि सरकार नियमों के विपरीत मनमाने ढंग से पिछड़ा वर्ग (बीसी) श्रेणी के लिए प्रधान पद को आरक्षित कर रही है। यह सुप्रीम कोर्ट में मराठा आरक्षण मामले में दिए गए फैसले के खिलाफ है।
कोर्ट से आग्रह किया किया गया कि कोर्ट हरियाणा नगरपालिका चुनाव (संशोधन) नियम 2020 के नियम 70ए को रद करने का आदेश दे। इसी नियम के तहत शहरी निकायों में बीसी श्रेणी के लिए प्रधान पद आरक्षित किया गया।
किस आधार पर बीसी श्रेणी के लिए प्रधान पद आरक्षित किया
कोर्ट को बताया गया कि सरकार ने बिना आधार बीसी श्रेणी के लिए प्रधान पद आरक्षित करने का निर्णय लिया है। आज से पहले कभी भी बीसी के लिए शहरी निकाय प्रधान का पद आरक्षित नहीं किया गया था। कोर्ट को बताया गया कि सरकार के पास बीसी श्रेणी की जनसंख्या का आंकड़ा नहीं है।
2011 की अखिल भारतीय जनगणना में भारत के लोगों की आयु, लिंग, साक्षरता आदि जानकारी एकत्रित की गई थी। फिर सरकार किस आधार पर बीसी श्रेणी के लिए प्रधान पद आरक्षित कर रहीं है।
कोर्ट को बताया गया कि पहले स्थानीय निकाय में निर्वाचित सदस्यों में से प्रधान व उपप्रधान का चुनाव किया जाता था, लेकिन सरकार ने अब संशोधन कर प्रधान का सीधा चुनाव करवाने का निर्णय लिया और इसी के तहत बीसी के लिए प्रधान पद की सीट आरक्षित कर दी गई