
अखिल भारतीय मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने शुक्रवार को ज्ञानवापी विवाद पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत द्वारा की गई टिप्पणियों की आलोचना करते हुए कहा कि विश्व हिंदू परिषद के गठन से पहले अयोध्या संघ (आरएसएस) के एजेंडे में भी नहीं था।
हैदराबाद,एएनआइ। एआइएमआइएम (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने शुक्रवार को ज्ञानवापी मामले पर आरएसएस (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत द्वारा की गई टिप्पणियों की आलोचना करते हुए कहा कि विश्व हिंदू परिषद के गठन से पहले अयोध्या संघ (आरएसएस) के एजेंडे में भी नहीं था। समाचार एजेंसी एएनआइ (ANI) के साथ बातचीत में एआइएमआइएम (AIMIM) प्रमुख ने कहा, 'ज्ञानवापी पर मोहन भागवत के भाषण को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।'
ज्ञानवापी मामले पर ओवैसी ने उठाए सवाल
ओवैसी ने कहा कि बाबरी मस्जिद के लिए आंदोलन को याद करें जो ऐतिहासिक कारणों से आवश्यक था। उस समय, आरएसएस ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का सम्मान नहीं किया और इसमें भाग लिया। फैसले से पहले मस्जिद को तोड़ा गया। क्या इसका मतलब यह है कि वे ज्ञानवापी पर भी कुछ ऐसा ही करेंगे। उन्होंने भाजपा प्रमुख जगत प्रकाश नड्डा और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत द्वारा दिए गए देश में शांति और सद्भाव सुनिश्चित करने के आश्वासन पर भी सवाल उठाया है।
ओवैसी ने आगे कहा कि इन मामलों पर आश्वासन देने के लिए मोहन भागवत या जे पी नड्डा कौन हैं? उनके पास कोई संवैधानिक पद नहीं है। ओवैसी ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय को इस मुद्दे पर और पूजा स्थल अधिनियम, 1991 के बारे में एक स्पष्ट संदेश दें। प्रधानमंत्री ने संविधान पर शपथ लिया है। अगर वह इसके साथ खड़े होते हैं, तो इन सभी हिंदुत्व की परिभाषा गढ़ने वाले लोगों को रोकना होगा।
काशी, मथुरा मुद्दों को उठाने वालों के साथ संघ का सीधा संबंध: ओवैसी
उन्होंने कहा, 'विश्व हिंदू परिषद (आरएसएस का एक संगठन) बनने से पहले, अयोध्या मंदिर संघ के एजेंडे में भी नहीं था। 1989 में ही भाजपा के पालनपुर प्रस्ताव में कहा गया था कि अयोध्या एजेंडे का हिस्सा बन गया है। ओवैसी ने आगे कहा कि काशी, मथुरा, कुतुब मीनार आदि के मुद्दों को उठाने वाले सभी लोगों का संघ से सीधा संबंध है। बता दें कि विश्व हिंदू परिषद का गठन 1964 में आरएसएस नेताओं एमएस गोलवलकर और एसएस आप्टे द्वारा किया गया था। आरएसएस का गठन सितंबर 1925 में हुआ था।
ओवैसी ने आगे कहा, 'बाबरी मस्जिद आंदोलन के दौरान भी कुछ लोगों ने कहा था कि वे शीर्ष अदालत के आदेशों का पालन करेंगे, जबकि अन्य लोगों ने कहा था कि यह आस्था का मामला है और अदालत फैसला नहीं कर सकती। आप जानते हैं कि ये लोग कौन हैं।'
मस्जिदों में रोजाना शिवलिंग खोजने की कोई जरूरत नहीं: मोहन भागवत
यह कहते हुए कि ज्ञानवापी मस्जिद का एक इतिहास है जिसे कोई बदल नहीं सकता, मोहन भागवत ने गुरुवार को कहा कि मस्जिदों में रोजाना शिवलिंग खोजने की कोई जरूरत नहीं है और अनावश्यक रूप से विवाद को बढ़ाना ठीक नहीं है। आरएसएस के एक प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन समारोह के दौरान नागपुर में बोलते हुए, भागवत ने कहा कि संघ राम जन्मभूमि आंदोलन के बाद कोई और आंदोलन शुरू करने में दिलचस्पी नहीं रखता है।