
Delhi BJP Face स्मृति ईरानी ने जिस तरह से सोनिया गांधी और राहुल गांधी को उनके घर में घेरा और राहुल को हराने में भी सफल रहीं इससे पार्टी में उनका कद पहले से ही बढ़ा हुआ है। इस बीच पिछले कुछ दिनों से वह अरविंद केजरीवाल पर हमलावर हैं।
नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क। Delhi BJP Face: दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन की प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तारी के बाद से केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की सक्रियता देखकर यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि वे दिल्ली में भाजपा का चेहरा हो सकती हैं। पिछले दो दिनों के दौरान जिस तरह से स्मृति ईरानी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर सत्येंद्र जैन के बहाने हमला बोल रही हैं उससे कयास लगाए जाने लगे हैं कि वह आगामी चुनावों को भाजपा का चेहरा भी बन सकती हैं।
दिल्ली की राजनीतिक में गहरी समझ रखने वाले भी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं कि अगर स्मृति ईरानी दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी की कमान संभालती हैं तो लगातार तीन बार से ऐतिहासिक जीत के साथ सत्तासीन आम आदमी पार्टी को कड़ी चुनौती दी जा सकती है। इसके साथ दिल्ली नगर निगम चुनाव और आगामी ढाई साल के दौरान होने वाले लोकसभा चुनाव 2024 और दिल्ली विधानसभा चनाव 2025 में भी भाजपा को बड़ा राजनीतिक लाभ मिलना तय है।
आम जनता तक आसानी से पहुंचाती हैं अपनी बात
स्मृति ईरानी की दिल्ली में बढ़ रही सक्रियता को लेकर डा. राजीव रंजन सिन्हा (विजिटिंग फैकेल्टी, दिल्ली विश्वविद्यालय) का कहना है कि स्मृति ईरानी में राजनीतिक के वह सभी गुण हैं, जो एक दक्ष राजनेता में होने चाहिए। वह प्रखर वक्ता होने के साथ अपनी बातों को जनता तक पहुंचाने में कामयाब होती हैं। इसी का नतीजा है कि लोकसभा चुनाव 2019 में उन्होंने कांग्रेस की परंपरागत सीट अमेठी से राहुल गांधी का बड़े अंतर से धूल चटाई। राहुल गांधी की यह हार और स्मृति ईरानी की जीत इतिहास में दर्ज हो गई है।
महिलाओं में और बढ़ेगी भाजपा की स्वीकार्यता
डा. राजीव रंजन सिन्हा का यह भी कहना है कि दिल्ली जैसे शहर में बड़ी संख्या में महिलाएं हैं, जो स्मृति ईरानी को बतौर राजनेता पसंद करती हैं। अगर भाजपा दिल्ली में स्मृति ईरानी को अरविंद केजरीवाल के खिलाफ चेहरा बनाती है तो इसका लाभ पार्टी को निश्चित रूप से मिलेगा। दिल्ली में महिलाएं परिवार की पसंद नहीं, बल्कि खुद अपने स्तर पर मतदाताओं को वोट करती हैं-चुनती हैं।
वहीं, दिल्ली विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले श्याम लाल कालेज में बतौर सहायक प्रोफेसर अपनी सेवाएं दे रहे लक्ष्मण यादव भी इस बात से सहमत हैं कि स्मृति ईरानी अगर दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी का चेहरा बनती हैं तो इसका लाभ पार्टी को मिलेगा। स्मृति ईरानी को लोग जानते हैं और समझते हैं, यही वजह है कि उनकी पूरे भारत में मान्यता और लोकप्रियता है।
भाजपा की स्टार प्रचारक बन चुकी हैं स्मृति ईरानी
पहले स्मृति ईरानी को जन नेता नहीं माना जाता था, लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी को हराकर उन्होंने इस कमी को भी दूर कर दिया। वह अब आम जन की नेता बन गई हैं। यही वजह है कि भारतीय जनता पार्टी राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में प्रचार के लिए स्टार कैंपेनर में शामिल करती रही है।
अरविंद केजरीवाल को चुनौती देने में सक्षम हैं स्मृति इरानी
भाजपा या फिर कांग्रेस, दोनों ही राजनीतिक दलों में स्थानीय नेताओं में
आपसी मतभेद होते हैं। यह अलग बात है कि किसी पार्टी में यह अंदरूनी होता है
तो कुछ पार्टियों में नेता मुखर हो जाते हैं। ऐसे में दिल्ली की राजनीति
को बेहद करीब से जानने-समझने वाले यह बात जानते हैं कि अगर स्मृति इरानी
दिल्ली में भाजपा का चेहरा बनती हैं तो नेताओं में आपसी मतभेद बेमानी हो
जाते हैं। तुलनात्मक रूप से स्मृति इरानी आम आदमी पार्टी के नेता और
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के समक्ष बेहतर नेता और प्रतिद्वंद्वी साबित
होंगी।
दिल्ली की रहने वाली हैं स्मृति, इसका भी मिलेगा लाभ
23 मार्च, 1976 को दिल्ली में जन्मी स्मृति ईरानी को स्थानीय होने का लाभ भी मिलेगा। इस लिहाज से अरविंद केजरीवाल खुद बाहरी हो जाएंगे, क्योंकि वह मूलरूप से हिसार (हरियाणा) के रहने वाले हैं। वैसे दिल्ली में बाहरी अथवा स्थानीय मुद्दा नहीं रहता है, लेकिन वह स्मृति ईरानी को दिल्ली निवासी होने का लाभ मिलना तय है। यह बात दिल्ली की राजनीति को समझने वाले भी जानते हैं। दरअसल, उन्होंने शिक्षा ग्रहण की।
जुझारू छवि का भी मिलेगा लाभ
स्मृति ईरानी को जुझारु छवि का नेता माना जाता है। इसका नमूना अमेठी लोकसभा चुनाव है। कांग्रेस की परंपरागत सीट पर भाजपा को जिताने वाली स्मृति को बतौर जुझारू नेता अमेठी की जनता ने देखा और शायद इसी वजह से उन्हें चुना भी। एक बात और बेहद रुढ़िवादी पंजाबी-बंगाली परिवार की तीन बेटियों में से एक स्मृति ने सारी बंदिशें तोड़कर ग्लैमर जगत में कदम रखा। स्मृति ईरानी ने 1998 में मिस इंडिया प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। इसके बाद टेलीवजन पर उनके अभिनय को देश-दुनिया ने देखा और सराहा।
मनोज तिवारी भी नहीं दिला सके 2015 दिल्ली विधानसभा चुनाव में कामयाबी
राजनीति के जानकार भी मानते हैं कि जिस तरह से सोनिया गांधी और राहुल गांधी को उनके घर में घेरा और राहुल को हराने में भी सफल रहीं, इससे पार्टी में उनका कद पहले से ही बढ़ा हुआ है। वे दिल्ली की रहने वाली हैं। यही पली बढ़ी और शिक्षा ग्रहण की। इसके साथ ही वह खत्री पंजाबी हैं और सेलिब्रिटी भी हैं। दूसरी तरफ, भाजपा को दिल्ली में एक चेहरे की भी जरूरत है क्योंकि मनोज तिवारी का प्रयोग सफल नहीं रहा और आदेश गुप्ता भी चेहरा बनने की स्थिति में नहीं हैं।
दिल्ली में ब्राह्मण और बनिया और पंजाब समुदाय का वर्चस्व है। कांग्रेस ने शीला दीक्षित के नेतृत्व में लगातार 15 साल तक दिल्ली में एक छत्र राज किया। दरअसल, शीला दीक्षित खुद पंजाब समुदाय से थीं और उनकी शादी ब्राह्मण परिवार में की, इसका लाभ दिल्ली में कांग्रेस को लगातार कई सालों तक मिला।
भाजपा या फिर कांग्रेस, दोनों ही राजनीतिक दलों में स्थानीय नेताओं में
आपसी मतभेद होते हैं। यह अलग बात है कि किसी पार्टी में यह अंदरूनी होता है
तो कुछ पार्टियों में नेता मुखर हो जाते हैं। ऐसे में दिल्ली की राजनीति
को बेहद करीब से जानने-समझने वाले यह बात जानते हैं कि अगर स्मृति इरानी
दिल्ली में भाजपा का चेहरा बनती हैं तो नेताओं में आपसी मतभेद बेमानी हो
जाते हैं। तुलनात्मक रूप से स्मृति इरानी आम आदमी पार्टी के नेता और
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के समक्ष बेहतर नेता और प्रतिद्वंद्वी साबित
होंगी।
दिल्ली की रहने वाली हैं स्मृति, इसका भी मिलेगा लाभ
23 मार्च, 1976 को दिल्ली में जन्मी स्मृति ईरानी को स्थानीय होने का लाभ भी मिलेगा। इस लिहाज से अरविंद केजरीवाल खुद बाहरी हो जाएंगे, क्योंकि वह मूलरूप से हिसार (हरियाणा) के रहने वाले हैं। वैसे दिल्ली में बाहरी अथवा स्थानीय मुद्दा नहीं रहता है, लेकिन वह स्मृति ईरानी को दिल्ली निवासी होने का लाभ मिलना तय है। यह बात दिल्ली की राजनीति को समझने वाले भी जानते हैं। दरअसल, उन्होंने शिक्षा ग्रहण की।
जुझारू छवि का भी मिलेगा लाभ
स्मृति ईरानी को जुझारु छवि का नेता माना जाता है। इसका नमूना अमेठी लोकसभा चुनाव है। कांग्रेस की परंपरागत सीट पर भाजपा को जिताने वाली स्मृति को बतौर जुझारू नेता अमेठी की जनता ने देखा और शायद इसी वजह से उन्हें चुना भी। एक बात और बेहद रुढ़िवादी पंजाबी-बंगाली परिवार की तीन बेटियों में से एक स्मृति ने सारी बंदिशें तोड़कर ग्लैमर जगत में कदम रखा। स्मृति ईरानी ने 1998 में मिस इंडिया प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। इसके बाद टेलीवजन पर उनके अभिनय को देश-दुनिया ने देखा और सराहा।
मनोज तिवारी भी नहीं दिला सके 2015 दिल्ली विधानसभा चुनाव में कामयाबी
राजनीति के जानकार भी मानते हैं कि जिस तरह से सोनिया गांधी और राहुल गांधी को उनके घर में घेरा और राहुल को हराने में भी सफल रहीं, इससे पार्टी में उनका कद पहले से ही बढ़ा हुआ है। वे दिल्ली की रहने वाली हैं। यही पली बढ़ी और शिक्षा ग्रहण की। इसके साथ ही वह खत्री पंजाबी हैं और सेलिब्रिटी भी हैं। दूसरी तरफ, भाजपा को दिल्ली में एक चेहरे की भी जरूरत है क्योंकि मनोज तिवारी का प्रयोग सफल नहीं रहा और आदेश गुप्ता भी चेहरा बनने की स्थिति में नहीं हैं।
दिल्ली में ब्राह्मण और बनिया और पंजाब समुदाय का वर्चस्व है। कांग्रेस ने शीला दीक्षित के नेतृत्व में लगातार 15 साल तक दिल्ली में एक छत्र राज किया। दरअसल, शीला दीक्षित खुद पंजाब समुदाय से थीं और उनकी शादी ब्राह्मण परिवार में की, इसका लाभ दिल्ली में कांग्रेस को लगातार कई सालों तक मिला।