
केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास को पार्टी ने इस बार राज्यसभा और रामपुर लोकसभा उपचुनाव के लिए प्रत्याशी नहीं बनाया है। ऐसे में मुख्तार अब्बास को लेकर कई तरह की अटकलें भी लगाई जा रही हैं। आशंका जताई जा रही है कि मोदी सरकार उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है।
नई दिल्ली, एएनआइ। भारतीय जनता पार्टी ने 23 जून को होने वाले लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों के नामों का ऐलान कर दिया है। भाजपा ने सभी अटकलों पर विराम लगाते हुए रामपुर की लोकसभा सीट से घनश्याम लोधी को मैदान में उतारा है। घनश्याम लोधी का नाम सामने आने के बाद मुख्तार अब्बास नकवी को लेकर जो संभावनाएं जताई जा रही थी। उन सभी बातों पर विराम लग गया है। इससे पहले पार्टी ने मुख्तार अब्बास नकवी को राज्यसभा का भी टिकट नहीं दिया था। अब केंद्रीय मंत्री को रामपुर की लोकसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए भी अपना प्रत्याशी नहीं बनाया है।
राज्यपाल बनाए जा सकते हैं नकवी!
दरअसल, भाजपा द्वारा जारी की गई लिस्ट से अटकलों को और बल मिलता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार में केंद्रीय मंत्री नकवी की आगे क्या भूमिका होगी। मुख्तार अब्बास नकवी का राज्यसभा का कार्यकाल सात जुलाई को खत्म हो रहा है। सूत्रों ने एएनआइ को बताया है कि भाजपा ने अपने सभी पार्टी नेताओं को राज्यसभा के अधिकतम तीन कार्यकाल देने पर प्रतिबंध लगा दिया है और नकवी वर्तमान में सदन में अपना तीसरा कार्यकाल पूरा कर रहे हैं। ऐसी भी अटकलें हैं कि अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री को राज्यपाल बनाया जाएगा, क्योंकि पिछले कुछ समय से राज्यों में सरकारों के लिए कई पद खाली हैं।
आजमगढ़ से निरहुआ को मिला टिकट
बता दें कि उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के आजमगढ़ से इस्तीफे के बाद ये सीट खाली हुई है। इस सीट पर भाजपा ने एक बार फिर भोजपुरी स्टार दिनेश लाल यादव निरहुआ को टिकट दिया है। इससे पहले 2019 के लोकसभा चुनाव में भी आजमगढ़ से उन्हें टिकट दिया गया था लेकिन तब वो चुनाव हार गए थे। इस सीट पर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और मुस्लिम आबादी का दबदबा है।
जनसंघ के दिनों से जुड़े हैं मुख्तार अब्बास नकवी
बता दें कि मुख्तार अब्बास नकवी ने एक छात्र नेता के रूप में अपना करियर
शुरू किया। 1975 के आपातकाल के दौरान जेल गए और जनसंघ के दिनों से भाजपा
से जुड़े हुए हैं। 1980 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में असफल
कार्यकाल के बाद नकवी ने 1998 में लोकसभा सीट जीती और अटल बिहारी वाजपेयी
सरकार में सूचना और प्रसारण मंत्री बने। नकवी 2014 से प्रधानमंत्री
नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली कैबिनेट में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री हैं।