क्या आप जानते हैं दिल्ली के लाल किला में भी एक जफर महल, जहां शाहजहां फरमाते थे आराम

 

जफर महल और लालकिला उन इमारतों में शामिल है जिन्हें बहादुर शाह फजर ने बनवाया है

Zafar Mahal News यह महल लालकिला की उन इमारतों में शामिल है जिन्हें बहादुर शाह फजर ने बनवाया था। उन्होंने इसे शाहजहां के उस हयात बख्श बाग में बनवाया था जो बहुत सुंदर बाग माना जाता था। ऐसा कहा जाता है कि बादशाह यहीं आराम फरमाते थे।

नई दिल्ल्ली। अगर आप से पूछा जाए कि जफर महल कहां है तो आप शायद इसे महरौली में ही बताएंगे, मगर लालकिला में भी एक जफर महल है। यह महल लालकिला की उन इमारतों में शामिल है जिन्हें बहादुर शाह फजर ने बनवाया था। उन्होंने इसे शाहजहां के उस हयात बख्श बाग में बनवाया था जो बहुत सुंदर बाग माना जाता था। ऐसा कहा जाता है कि बादशाह यहीं आराम फरमाते थे।

इस महल को एक चौकोर तालाब के बीचों- बीच बनवाया गया, महल के चारों ओर फव्वारे लगे होते थे। कुछ साल पहले इनमें से कुछ फव्वारे शुरू किए गए हैं। हयात बख्श बाग की हालत भी सुधारी गई है। अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण इस महल की दशा सुधारने जा रहा है। इसका संरक्षण कार्य कराने जा रहा है। जिसमें महल के एक भाग के क्षतिग्रस्त हो चुके हिस्से को फिर से बनाया जाएगा। इसके लिए इस महल के पुराने नक्शे की मदद ली जाएगी।

महल को मजबूती देने के लिए इसका संरक्षण कार्य होगा। आप को बता दें कि लालकिला स्थित मोती मस्जिद के उत्तरी क्षेत्र में एक बाग है जिसे हयात बख्श बाग (जिन्दगी बख्शने वाला बाग) कहा जाता था। जो उपमार्गों और नालियों द्वारा मुगल बगीचों के नमूने पर चौकोर रूप में विभाजित था।

इसका उल्लेख समकालीन विवरणों में मिलता है, हालांकि इसका वर्तमान नक्शा नया है। इस बाग के उत्तर-पूर्वी कोने पर शाह बुर्ज नाम का एक बुर्ज है जो अब गुंबद रहित है जिसे 1857 के विद्रोह के दौरान काफी नुकसान पहुंचा है।

इसी प्रकार का एक बुर्ज जो असद बुर्ज के नाम से जाना जाता है इस किले के दक्षिण-पूर्वी किनारे पर स्थित है। इस बगीचे के दक्षिणी और उत्तरी किनारों के मध्य में शाहजहां के समय के संगमरमर के मंडप हैं जो बरसात के दो प्रमुख महीने सावन और भादों के नाम से जाने जाते हैं। दोनों मंडप में मोमबत्तियां रखने के लिए आलों की व्यवस्था की गई है।

ताकि उन पर जलप्रपात के रूप में गिरने वाला पानी सुंदर प्रभाव उत्पन्न कर सके। इन्हीं दोनें मंडपों के बीच जफर महल है। जिसे बहादुर शाह जफर ने सन् 1842 में बनवाया था।

बहादुर शाह जफर ने यहां पूर्वी दीवार के साथ-साथ जमीन के ऊंचे उठे भाग पर दो संगमरमर के छोटे मंडप भी बनवाए थे, इनमें से उत्तरी मंडप मोती महल और दक्षिणी मंडप हीरा महल के नाम से विख्यात था।मोती महल को 1857 के विद्रोह के बाद हटा दिया गया और दूसरा अभी मौजूद है।