चौबीस एकादशी के समान होता है निर्जला एकादशी व्रत का फल, अन्न दान का खास महत्व

 

इस बार निर्जला एकादशी 11 जून को मनाई जा रही है। सांकेतकि चित्र।

सनातन धर्म के मुताबिक वर्ष भर में आने वाली 24 एकादशियों में निर्जला एकादशी का व्रत सबसे अधिक फलदायी है। कहते हैं कि महाबली भीम ने भी निर्जला एकादशी व्रत रखा था। जिसके बाद से इसे भीमसेन एकादशी भी कहा जाता है।

 जालंधर। भले ही निर्जला एकादशी व्रत वाले दिन व्रत रखने वाले श्रद्धालु दिन भर निर्जल तथा निराहार रहते हैं, बावजूद इसके उन्हें निर्जला एकादशी का इंतजार वर्ष भर रहता है। कारण, सनातन धर्म के मुताबिक वर्ष भर में आने वाली 24 एकादशियों में निर्जला एकादशी का व्रत सबसे अधिक फलदायी है। श्री हरि दर्शन मंदिर अशोक नगर के प्रमुख पुजारी पंडित प्रमोद शास्त्री ने बताया कि भीषण गर्मी के बीच दिनभर निर्जल व निराहार रहकर प्रभु की भक्ति का फल परमात्मा अवश्य देते है।

दस जून को रखें निर्जला एकादशी का व्रत

पंडित प्रमोद शास्त्री के मुताबिक इस बार भले ही ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी की तिथि 11 जून को शाम 5.44 बजे तक रहेगी, बावजूद इसके निर्जला एकादशी का व्रत दस जून को ही रखा जाएगा। कारण, इसकी शुरुआत 10 जून को सुबह 7.25 बजे से शुरू हो जाएगी। ऐसे में निर्जला एकादशी व्रत का पारण दस जून को ही किया जाएगा।

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भगवान विष्णु की करें उपासना

इस बारे में पंडित देवेंद्र कुमार शुक्ला ने कहा कि निर्जला एकादशी का व्रत रखने के दौरान भगवान विष्णु की उपासना करनी चाहिए। इससे मां महालक्ष्मी भी प्रसन्न होते व इंसान के जीवन में उन्नति तथा खुशहाली आती है। इस व्रत के दौरान धर्म, कर्म के साथ ही जल व फल का दान जरूर करना चाहिए। गर्मी के दौरान किसी इंसान को जल ग्रहण करवाने से उसके तन व आत्मा को भी शांति प्राप्त होती है। आत्मा की परमात्मा है। जिससे परमात्मा भी प्रसन्न होते है।

पीले वस्त्र करें धारण रहे निर्जल व निराहार

पंडित प्रमोद शास्त्री के मुताबिक निर्जला एकादशी का व्रत रखने वाले श्रद्धालुओं को व्रत की शुरूआत सूर्य को अर्घ्य देने के साथ करनी चाहिए। इसके उपरांत पीले वस्त्र धारण करके भगवान विष्णु की पूजा करे। भगवान विष्णु को पीले फूल, पंचामृत व तुलसी अर्पित करें। जिसमें भगवान विष्णु व मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें। व्रत का संकल्प करके दिन भर निराहार तथा निर्जल रहें। व्रत की परंपरा के मुताबिक दस जून को व्रत शुरू करते 11 जून को सूर्यादय के उपरांत ही पूजा करके जल व अन्न ग्रहण कर सकते है।

व्रत के दौरान यह करें

- व्रत वाले दिन दिन भर निर्जल व निराहार रहें।

- व्रत वाले दिन ब्रह्मचर्य की पालन करें।

- मानसिक मजबूती व दृढ़ प्रतिज्ञा से व्रत का पालन करें।

- व्रत वाले दिन जल से भरा हुआ कलश दान करें।

- प्यासे लोगों को पानी पिलाएं

- अपने घर की छत या खुले में किसी पेड़ के नीचे पशु-पक्षियों के लिए पानी व दाना की व्यवस्था करें।

- मंदिर में जल, कलश, पंखें, दूध व फलों का दान करें।