
Mudiya Mela दो साल बाद होगा मुड़िया पूर्णिमा मेला का आयोजन। श्रद्धा के बादलों से धनवर्षा पर उत्साहित हैं मंदिर सेवायत और व्यापारी। मुड़िया पूर्णिमा मेला इस बार 10 से 14 जुलाई तक होगा। पांच दिन तक केवल भंडारों पर ही करीब 10 करोड़ खर्च किए जाते हैं।
आगरा, मुड़िया पूर्णिमा मेला पर गोवर्धन में गिरिराजजी के भक्तों की आस्था के चलते पूरी ब्रजभूमि में जमकर धनवर्षा होती है। भीख मांगने वालों सहित हर व्यवसाय पैसे बटोरता नजर आता है। कुल मिलाकर करीब एक करोड़ की संख्या में श्रद्धालुओं के आने से ब्रजभूमि को करीब 100 करोड़ का व्यवसाय होने का अनुमान रहता है।
ब्रजभूमि की अर्थव्यवस्था को 100 करोड़ की मजबूती होने का अनुमान है। यह मेला इस बार 10 से 14 जुलाई तक आयोजित होगा। गोवर्धन में दुकान और गेस्ट हाउस का दरवाजा एकादशी को सुबह एक बार खुलता है तो पूर्णिमा तक बंद होने का नाम नहीं लेता, यही हालात समूचे ब्रज मंडल में रहती है। मुड़िया पूर्णिमा मेला अबकी बार 10 से 14 जुलाई तक होगा। एक अनुमान के मुताबिक मुड़िया मेला में देश के विभिन्न प्रांतों से करीब एक करोड़ भक्त गिरिराज जी की सात कोसीय परिक्रमा लगाने गोवर्धन आते हैं। जिनमें तमाम विदेशी भक्त भी होते हैं। गिरिराजजी के प्रसाद के रूप में चिड़वा, चिनौरी, मिश्री और पेड़ा का अधिक प्रचलन है। भोग लगाकर भक्त अपने परिजनों को प्रसाद वितरित करने के लिए अपने साथ ले जाते हैं। चिनौरी, चिड़वा और मिश्री सूखी सामिग्री होने के कारण प्रसाद कई दिन तक खराब नहीं होता इसलिए इसकी बिक्री भी अधिक होती है। गिरिराज जी के प्रसाद में प्रयुक्त होने वाला चिड़वा गोंडल जिला राजकोट (गुजरात) से मंगाया जाता है। चिनौरी जयपुर (राजस्थान) से मंगाई जाती है। मिश्री और पेड़ा आसपास क्षेत्र में उपलब्ध हो जाता है। मेला में भीड़ की अधिकता को देखते हुए थोक व्यापारी और रिटेलर दोनों ने ही स्टॉक करना शुरू कर देते है। इस प्रसाद के गोवर्धन में चुनिंदा होल सेलर हैं, हालांकि रिटेलर की संख्या दो हजार से अधिक हो जाती है। मेला के दौरान गिरिराज जी के मंदिरों और बस स्टैंड के समीप अस्थाई दुकानदारों की बहुतायत हो जाती है।
कुछ यूं है अर्थ व्यवस्था की मजबूती का आधार
अगर दो साल पूर्व के मुड़िया पूर्णिमा मेला के आयोजन पर नजर डाली जाए तो एक अनुमान के मुताबिक पांच दिन तक केवल भंडारों पर ही करीब 10 करोड़ खर्च किए जाते हैं। पिछले आयोजन में करीब 100 भंडारे में तो भक्तों को लगातार भरपेट भोजन खिलाया गया। 700 प्याऊ और फल मिठाई वितरण भी खूब हुआ। भिखारी से लेकर रिक्शा चालक, रेलवे, रोडवेज, डग्गेमार, सामान स्टैंड, पार्किंग, गेस्ट हाउस, दूध की दुकानें, चाय की दुकानें, हलवाई, प्रसाद वाला, टेंट वाला, लाइटिंग वाला, खिलौना, फूलमाला, ढाबा, दौना पत्तल, किराने का सामान, सब्जियां, थकान मिटाने वाली इलेक्ट्रोनिक मशीन और सबसे ज्यादा दूध जोकि खानपीन के अलावा गिरिराजजी के अभिषेक में प्रयुक्त होता है। यानी हर दिशा में लक्ष्मीजी ब्रजभूमि पर मेहरबान रहती हैं। सरकारी मशीनरी, स्थानीय लोग और स्वयं भगवान को भी आराम नहीं मिलता। ब्रजभूमि पर बरसने वाले धनवर्षा के मानसून की दस्तक से ही ब्रजभूमि के लोगों में उत्साह है।
महाप्रभु मंदिर के मुड़िया महंत गोपाल दास का कहना है कि दो साल बाद होने
वाले आयोजन के लिए संत और भक्तों में खासा उत्साह है। तमाम भक्त अपने आने
की सूचना दे चुके हैं। दानघाटी मंदिर सेवायत पवन कौशिक और मुकुट मुखारविंद
मंदिर सेवायत विष्णु भगवान का कहना है कि मुड़िया मेला का आयोजन ब्रजभूमि
में खुशहाली लेकर आएगा। तमाम छोटे रोजगार करने वाले व्यापारी अपनी बड़ी
जिम्मेदारी का खर्चा इस मेले से उठाते हैं।