डिकोडिंग इंडियन बाबूडम में है भारतीय ब्यूरोक्रेसी को समझने के सूत्र, कैसे संभाली जाती है लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था की बागडोर

 

पुस्तक डिकोडिंग इंडियन बाबूडम की समीक्षा ।

लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था की बागडोर आइएएस आइपीएस अधिकारियों के हाथों में रहती है इसे ही भारतीय ब्यूरोक्रेसी कहा जाता है। डिकोडिंग इंडियन बाबूडम एक ऐसी पुस्तक है जिससे इस व्यवस्था को आसानी से समझा जा सकता है ।

पुस्तक : डिकोडिंग इंडियन बाबूडम

लेखक : अश्विनी श्रीवास्तव

प्रकाशक : वितस्ता प्रकाशन

मूल्य : 495 रुपये

समीक्षा : अजय कुमार राय

पिछले दिनों सिविल सेवा परीक्षा के नतीजे घोषित हुए तो सफल अभ्यर्थियों के नाम और उनके बारे में जानने की दिलचस्पी हर किसी में नजर आई। दरअसल लोगों में यह उत्सुकता इसीलिए होती है कि आगे चलकर हमारे देश की लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था की बागडोर इन्हीं शीर्ष नौकरशाहों यानी आइएएस, आइपीएस अधिकारियों के हाथों में आती है। अगर आपको भारतीय ब्यूरोक्रेसी के बारे में जानना हो तो अश्विनी श्रीवास्तव की पुस्तक 'डिकोडिंग इंडियन बाबूडम' आपकी मदद कर सकती है। लेखक पत्रकार हैैं और उन्होंने नौकरशाह और नौकरशाही के प्रति आम जन के मन में उठ रही हर जिज्ञासा को शांत करने का प्रयास किया है।शासनिक सेवाओं में दिलचस्पी रखने वालों के लिए यह पुस्तक जरूर पढऩी चाहिए।