सही समय पर सही इलाज की बदौलत बर्किट लिंफोमा कैंसर को दी मात

 

आकाश हेल्थकेयर अस्पताल में आंकोलाजी विशेषज्ञ डा. प्रवीन जैन मरीज के साथ।

अधिकांश मामलों में कैंसर दोबारा होने की संभावना बनी रहती है। ऐसे में जरूरी है कि स्वस्थ होने के बाद भी मरीज चिकित्सक के संपर्क में बना रहे। फिलहाल पीड़ित अनिल की चौथी कीमोथेरेपी चल रही है पर राहत की बात यह है कि वे अब खतरे से बाहर हैं।

नई दिल्ली  Anuradha Aggarwal। 25 वर्षीय एक युवा ने मजबूत इच्छाशक्ति के दम पर एडवांस स्टेज के बर्किट लिंफोमा कैंसर को मात दिया है। मरीज न सिर्फ आर्थिक रूप से कमजोर हैं बल्कि वह अपने परिवार में इकलौता कमाने वाला व्यक्ति है। पीड़ित का नाम अनिल कुमार है और वह पेशे से ड्राइवर है। आकाश हेल्थकेयर अस्पताल में आंकोलाजी विशेषज्ञ डा. प्रवीन जैन ने बताया कि मरीज पीलिया से पीड़ित था, जिसके कारण कई दिनों से उन्हें तेज बुखार व उल्टी समेत कई अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं परेशान कर रही थी।

बिलीरुबीन जांच में निकला बहुत ज्यादा

पांच मई को वे इलाज के लिए अस्पताल आएं थे। प्राथमिक जांच में उनका बिलीरुबिन लेवल (हीमोग्लोबिन के टूटने और पित्त में उत्सर्जित होने से लीवर में बनने वाला एक नारंगी-पीला रंग द्रव्य) नौ पाया गया, जबकि सामान्य सीमा एक होती है। उच्च बिलीरुबिन पेट, लीवर और अन्य बीमारियों का संकेत होता है।

उल्टी होने के कारण नहीं हो सका एडवांस टेस्ट

डा. प्रवीन ने बताया कि लगातार उल्टी के कारण उनका एडवांस टेस्ट नहीं हो सकता था। मरीज की तुरंत थेरेपी शुरू करने के लिए फ्लो साइटोमेट्री टेस्ट किया गया। इसके बाद बायोप्सी की मदद से मरीज में बर्किट लिंफोमा कैंसर का पता चला। असल में यह कैंसर जबड़े, आंत, किडनी और अन्य अंगों को प्रभावित करता है।

खतरनाक होता है बर्किट लिंफोमा

बर्किट लिंफोमा आक्रामक होता है और जल्दी से सेंट्रल नर्वस सिस्टम में फैल जाता है। पीड़ित अनिल के मामले में भी यह तेजी से फैल गया था, जिससे कारण उनका बिलीरुबिन लेवल बढ़कर 18 हो गया। डा. प्रवीन जैन ने कीमोथेरेपी ही इस कैंसर का एकमात्र इलाज है, बशर्ते समय रहते कैंसर का पता चल जाए। गौर करने वाली बात यह है कि अधिकांश मामलों में यह कैंसर दोबारा होने की संभावना बनी रहती है। ऐसे में जरूरी है कि स्वस्थ होने के बाद भी मरीज चिकित्सक के संपर्क में बना रहे। फिलहाल पीड़ित अनिल की चौथी कीमोथेरेपी चल रही है, पर राहत की बात यह है कि वे अब खतरे से बाहर ह

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