
Samrat Prithviraj Movie Review डा चंद्रप्रकाश द्विवेदी के पास पृथ्वीराज की स्क्रिप्ट करीब 18 साल से थी। उन्होंने ही फिल्म कहानी स्क्रिनप्ले और डायलाग लिखा है। उन्होंने जटिल कहानी को बहुत सहजता से कहा है। उनका फोकस मुहम्मद गौरी साथ टकराव और संयोगिता के साथ प्रेम कहानी पर रहा है।
फिल्म रिव्यू : सम्राट पृथ्वीराज
प्रमुख कलाकार : अक्षय कुमार, मानुषी छिल्लर, सोनू सूद, संजय दत्त, मानव विज, आशुतोष राणा, साक्षी तंवर
लेखक और निर्देशक : चंद्रप्रकाश द्विवेदी
अवधि : 135 मिनट
स्टार : साढ़े तीन
स्मिता श्रिवास्तव, मुंबई। हमारा देश सदियों से वीरों
की भूमि रहा है। उनकी वीरता, शौर्य और पराक्रम पर हिंदी सिनेमा में समय-समय
पर फिल्में भी बनती रही हैं। अब देश के अंतिम हिंदू सम्राट पृथ्वीराज
चौहान के पराक्रम, देशप्रेम और महिलाओं के प्रति उनके सम्मान पर
चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने फिल्म सम्राट पृथ्वीराज बनाई है। आदित्य चोपड़ा
द्वारा निर्मित यह फिल्म महाकवि चंदबरदाई द्वारा रचित पृथ्वीराज रासो पर
आधारित है।
हालांकि फिल्म में नायक और प्रतिपक्ष के बीच टकराव को थोड़ा और प्रभावी बनाने की जरूरत थी। फिल्म में कई ऐसे पल आते हैं जिन्हें देखकर आप भावुक हो जाते हैं। पर्दे पर युद्ध के दृश्यों को पहले भी कई बार देखा गया है। यहां पर पृथ्वीराज द्वारा युद्ध के मैदान में अपनाई गई रणनीतियां देखकर आप चकित और गौरवान्वित होते हैं। हालांकि पृथ्वीराज द्वारा लड़ी गई लड़ाइयों को देखते हुए युद्ध के दृश्यों को थोड़ा विस्तार देने की आवश्यकता थी। फिल्म का बैकग्राउंड संगीत कहानी साथ सुसंगत है। वरूण ग्रोवर द्वारा लिखित गीत पृथ्वीराज का महिमामंडन बहुत बारीकी से करते हैं। हद कर दे और हरि हर गाना पहले ही धूम मचा चुके हैं।
वैभवी मर्चेंट द्वारा की गई कोरियोग्राफी भी खूबसूरत है। पृथ्वीराज के
किरदार को अक्षय कुमार ने आवश्यक गहराई और गंभीरता दी है। अक्षय ने युद्ध
के मैदान से लेकर भावनात्मक उथल-पुथल के घमासान तक में पृथ्वीराज के गर्व
और द्वंद्व को अपेक्षित भाव देने की कोशिश की है। पूर्व विश्व सुंदरी
मानुषी चिल्लर ने इस फिल्म से अपने अभिनय सफर का आगाज किया है। उन्होंने
संयोगिता की दृढ़ता, साहस और प्रेम के समर्पण को बहुत शिद्दत से पेश किया
है। फिल्म में सती होने का दृश्य प्रभावशाली है। चंदबरदाई बने सोनू सूद
इस किरदार के लिए सटीक कास्टिंग हैं। काका कन्हा के सीमित किरदार में संजय
दत्त प्रभावित करते हैं। गौरी बने मानव विज के किरदार को बेहतर तरीके से
लिखे जाने की जरुरत थी। फिर भी फिल्म का क्लाइमेक्स भावुक करने के साथ
गौरवान्वित कर जाता है। यह देश के गौरवशाली इतिहास का अहम हिस्सा है। इसे
जरूर देखा जाना चाहिए।