रिमोट ईवीएम का ट्रायल देखने से पहले ही कांग्रेस को ऐतराज, 16 जनवरी को होना है नई व्यवस्था का प्रदर्शन

 


जयराम रमेश ने ईवीएम को लेकर फिर उठाए सवाल, गुजरात चुनाव पर भी जताया संदेह
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कांग्रेस नेता ने कहा कि भारत में ईवीएम को लेकर विवाद खड़े होते रहे हैं। इसके दुरुपयोग का डर है। मतदाता और राजनीतिक दलों का भरोसा निर्वाचन व्यवस्था पर होना चाहिए लेकिन कुछ वर्षों से यह भरोसा लगातार टूट रहा है।

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। प्रवासी नागरिकों को कहीं से भी मतदान की सुविधा देने के लिए भारत निर्वाचन आयोग ने रिमोट इलेक्ट्रानिक वोटिंग का विकल्प तैयार किया है। मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के सामने नई व्यवस्था का ट्रायल 16 जनवरी, 2023 को होना है, लेकिन कांग्रेस ने इस संबंध में पत्र मिलते ही ऐतराज जता दिया है। पार्टी के संचार महासचिव जयराम रमेश ने तमाम तर्कों के साथ ईवीएम पर फिर प्रश्न खड़े किए हैं।

गुजरात चुनाव पर भी जताया संदेह

गुजरात चुनाव पर संदेह जताने के साथ ही रिमोट ईवीएम की पारदर्शिता पर भी अभी से प्रश्न चिन्ह लगा दिया है। ऐसे में माना जा रहा है कि अन्य विपक्षी दल भी निर्वाचन आयोग के सामने इसे लेकर असहमति जता सकते हैं। वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा है कि निर्वाचन आयोग ने 16 जनवरी को राजनीतिक दलों को रिमोट ईवीएम की कार्यप्रणाली दिखाने के लिए बुलाया है और 31 जनवरी तक लिखित सुझाव मांगे हैं।

ईवीएम के दुरुपयोग का डर : जयराम

उन्होंने कहा कि चुनाव व्यवस्था पर विश्वास लोकतंत्र की सर्वोच्च प्राथमिकता है। चूंकि, ईवीएम की अस्पष्टता मतदाता को यह भरोसा नहीं दिलाती कि उसका वोट वहीं पड़ा है, जहां उसने दिया है, इसीलिए जर्मन फेडरल कांस्टीट्यूशनल कोर्ट ने वहां 2009 में ही ईवीएम को हटा दिया था। कांग्रेस नेता ने कहा कि भारत में ईवीएम को लेकर विवाद खड़े होते रहे हैं। इसके दुरुपयोग का डर है। मतदाता और राजनीतिक दलों का भरोसा निर्वाचन व्यवस्था पर होना चाहिए, लेकिन कुछ वर्षों से यह भरोसा लगातार टूट रहा है।

निर्वाचन आयोग पर मोदी सरकार के दबाव में काम करने का आरोप लगाते हुए जयराम रमेश ने कहा कि ताजा उदाहरण गुजरात चुनाव है। आयोग ने चुनाव घोषित करने में विलंब इसलिए किया, ताकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपने गृह राज्य के चुनाव में प्रचार का भरपूर वक्त मिल सके। साथ ही उन्होंने मतदान वाले दिन रोड शो कर आचार संहिता का भी उल्लंघन किया। तब और उससे पहले कई बार निर्वाचन आयोग को ज्ञापन दिए जाते रहे, लेकिन संज्ञान नहीं लिया गया।

निर्वाचन आयोग से की मांग

कांग्रेस नेता ने गुजरात में अंतिम घंटे में हुए मतदान को संदेहास्पद बताते हुए कहा है कि रिमोट ईवीएम से इसी संदिग्ध व्यवस्था का विस्तार हो सकता है। उन्होंने निर्वाचन आयोग से मांग की है कि विपक्ष को भरोसे में लेकर चुनाव व्यवस्था में विश्वास को बहाल करे। अभी सिर्फ कांग्रेस का रुख सामने आया है, लेकिन माना जा रहा है कि रिमोट ईवीएम को लेकर अन्य विपक्षी दल भी निर्वाचन आयोग के सामने असहमति जता सकते हैं। इसकी स्पष्ट वजह यह है कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सहित विपक्ष के कई नेता वर्ष 2014 के बाद से ईवीएम को लेकर लगातार प्रश्न खड़े करते रहे हैं।