असम में नए सिरे से होगा लोकसभा-विधानसभा सीटों का परिसीमन, 47 साल बाद निर्वाचन आयोग ने किया निर्णय

 

असम में नए सिरे से होगा लोकसभा-विधानसभा सीटों का परिसीमन।
;कानून मंत्रालय ने किया था आग्रह

मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार, निर्वाचन आयुक्त अनूप चंद पांडेय और अरुण गोयल के इस निर्णय के संबंध में मंगलवार को पत्र जारी कर दिया गया। इसमें कहा गया है कि कानून एवं न्याय मंत्रालय की ओर से 15 नवंबर, 2022 को पत्र लिखकर आग्रह किया था। उसी आधार पर आयोग ने असम में लोकसभा और विधानसभा सीटों का परिसीमन 2001 की जनगणना के आधार पर करने का फैसला किया है।

2001 की जनगणना के आधार पर होगा परिसीमन

आयोग ने असम के मुख्य चुनाव अधिकारी को निर्देशित किया है कि राज्य सरकार से यह सुनिश्चित कराएं कि एक जनवरी, 2023 से परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने तक नए प्रशासनिक निकायों या इकाइयों का गठन प्रतिबंधित रहेगा। संविधान के आर्टिकल 170 के अनुसार यह परिसीमन 2001 की जनगणना के आधार पर किया जाएगा। आर्टिकल 330 और 332 के तहत सीटों को अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित किया जाएगा। इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए आयोग अपने दिशा-निर्देश भी तय करेगा।

कई बिंदुओं का रखना होगा ध्यान

आयोग का दावा है कि परिसीमन तय करते समय निर्वाचन क्षेत्रों के भौतिक स्वरूप, संबंधित प्रशासनिक इकाई की वर्तमान सीमा रेखा, संवाद की सुविधा, जनता की सहूलियत का ध्यान रखा जाएगा। प्रस्ताव का ड्राफ्ट जब आयोग द्वारा तैयार कर लिया जाएगा, तब उसे केंद्र और राज्य के गजट में प्रकाशित कर आमजन से सुझाव व आपत्तियां आमंत्रित की जाएंगी।

आखिरी बार 1976 में हुआ था परिसीमन

बता दें कि परिसीमन अधिनियम, 1972 के प्राविधानों के अनुसार असम में आखिरी परिसीमन 1976 में किया गया था, जिसके लिए 1971 की जनगणना को आधार बनाया गया था। 2002 से 2008 तक पूरे देश में 2001 की जनगणना के आधार परिसीमन की कवायद पूरी हुई, लेकिन पूर्वोत्तर के चार राज्य असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और नागालैंड में विभिन्न क्षेत्रीय और राजनीतिक कारणों से परिसीमन नहीं हो सका था।