पर्सनल लॉ की खूबियों और खामियों पर मंथन जारी, संसदीय समिति कर रही है समीक्षा; मिले 50 से ज्यादा सुझाव

पर्सनल ला की खूबियों और खामियों पर चल रहा है मंथन

हिन्दू कोड बिल बहुत पहले पास हुआ था अब कमेटी देखेगी क्या उसमें कोई चीज ऐसी है या कोई कमी है जिसे ठीक करना चाहिए। इस प्रकार की चीजों पर अध्ययन करके कमेटी रिपोर्ट दे सकती है। समीक्षा और उस पर आने वाली रिपोर्ट कई पहलुओं से महत्वपूर्ण होगी।

मालॉ दीक्षित, नई दिल्ली। विभिन्न धर्मों के लॉगू पर्सनल लॉ (स्वीय विधियों) की खूबियों और खामियों पर मंथन हो रहा है। यह देखा जाएगा कि क्या पर्सनल लॉ का संविधान में प्राप्त मौलिक अधिकारों से कोई टकराव है, पर्सनल लॉ में लिंग आधारित समानता और न्याय है, क्या इसमें सामाजिक बुराई को धार्मिक परंपरा के नाम पर न्यायोचित ठहराया गया है। साथ ही सारे पर्सनल लॉ को संहिताबद्ध करने पर भी विचार हो सकता है ताकि उनकी व्याख्या में व्याप्त अस्पष्टता को दूर किया जा सके। पर्सनल लॉ की समीक्षा का यह काम कार्मिक, लोक शिकायत, विधि व न्याय विभाग की संसदीय समिति कर रही है। समिति ने लोगों से सुझाव और राय भी मंगाई थी और अभी तक समिति को इस पर 50 से ज्यादा सुझाव प्राप्त हो चुके हैं।

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कई पहलुओं से महत्वपूर्ण होगी रिपोर्ट

पर्सनल लॉ की समीक्षा और उस पर आने वाली रिपोर्ट कई पहलुओं से महत्वपूर्ण होगी। क्योंकि जब 21वें विधि आयोग को समान नागरिक संहिता पर विचार करके रिपोर्ट देने को सरकार ने कहा था तो तत्कालीन आयोग ने अगस्त 2018 में कार्यकाल पूरा होने के समय समान नागरिक संहिता पर कोई रिपोर्ट देने के बजाए परिवार विधियों में संशोधन की सलाह दी थी और इस बारे में परामर्श पत्र भी जारी किये थे। ऐसे में देखा जाए तो पर्सनल लॉ का संहिताबद्ध होना भी एक तरह से समान नागरिक संहिता का रास्ता बनाता दिखता है। हालांकि पर्सलन लॉ की समीक्षा कर रही संसदीय समिति के अध्यक्ष राज्यसभा सांसद सुशील मोदी साफ कहते हैं कि उनकी समिति का समान नागरिक संहिता से कोई लेना देना नहीं है और न ही वह उनके विचार का दायरा है।