कर्नाटक के कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने बुधवार को सीएम बसवाराज बोम्मई से सीमा विवाद पर एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को केंद्र के पास भेजने के लिए कहा है। कर्नाटक-महाराष्ट्र का सीमा विवाद साल 1957 से चलता आ रहा है।
बेंगलुरु (पीटीआई)। महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच का सीमा विवाद लगातार बढ़ता ही जा रहा है। दोनों राज्यों के बीच तल्खी जारी है। इसी बीच, कर्नाटक के कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने बुधवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई से सीमा विवाद पर एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को तुरंत केंद्र के पास भेजने को कहा है।
इसी के साथ शिवकुमार ने अपने एक ट्वीट में कहा कि इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि सीएम खोखले बयानों के साथ केवल जुमलेबाजी कर रहे हैं। यदि वह वास्तव में महाराष्ट्र को कर्नाटक की एक इंच जमीन भी नहीं देना चाहते हैं, तो उन्हें तुरंत एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को दिल्ली भेजना चाहिए। वहीं, गृहमंत्री अमित शाह को इस मामले पर सार्वजनिक आश्वासन देना चाहिए।
"राज्य की एक भी इंच जमीन नहीं दी जाएगी"- बसवाराज बोम्मई
बीते मंगलवार को बोम्मई ने सीमा मुद्दे पर महाराष्ट्र विधानमंडल के प्रस्ताव को "गैर जिम्मेदाराना और संघीय ढांचे के खिलाफ" बताते हुए कहा था कि राज्य की एक भी इंच जमीन नहीं दी जाएगी। दरअसल, दोनों राज्यों के बीच चल रहे सीमा विवाद के बीच ही महाराष्ट्र विधानसभा की ओर से कर्नाटक के 865 मराठी भाषी गांवों को पश्चिमी राज्य में शामिल करने के लिए सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया था।
1957 से चल रहा है सीमा विवाद
सीमा विवाद को लेकर बेलगावी में पिछले कुछ हफ्तों से माहौल बेहद तनावपूर्ण हैं। दोनों पक्षों के वाहनों को निशाना बनाया जा रहा है। वहीं, हिंसा के चलते कई कन्नड और मराठी कार्यकर्ताओं को भी पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। कर्नाटक-महाराष्ट्र का सीमा विवाद 1957 से चल रहा है। भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन के बाद महाराष्ट्र ने बेलगावी पर दावा किया, जो उस समय बॉम्बे प्रेसीडेंसी का हिस्सा था क्योंकि इसमें मराठी भाषी आबादी की संख्या अधिक है। इसके बाद इसने 800 से अधिक मराठी भाषी गांवों पर भी दावा किया जो वर्तमान में कर्नाटक का हिस्सा हैं।
राज्य पुनर्गठन अधिनियम और 1967 महाजन आयोग की रिपोर्ट के आधार पर किए गए सीमांकन को ही कर्नाटक वैध समझता है। इसी के कारण कर्नाटक ने बेलगावी को अपने राज्य का एक अभिन्न अंग मानते हुए वहां पर विधान सौध के आधार पर सुवर्ण विधान सौध का निरमाण किया है।