मोदी सरकार के ट्रबलशूटर का आज है जन्मदिन, अरुण जेटली ने लिए थे ये कड़े फैसले Google News Facebook

 

 

मोदी सरकार के ट्रबलशूटर अरुण जेटली का आज है जन्मदिन
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Arun Jaitley birth anniversary अरुण जेटली को ऐसे ही मोदी सरकार का ट्रबलशूटर नहीं कहा जाता था। उन्होंने अपने कड़े फैसलों और नई सोच से कई ऐतिहासिक फैसले लिए हैं। जेटली ने 2014 से 2019 तक देश के वित्त मंत्री रहते कई बड़े कदम उठाए हैं।

नई दिल्ली। पहली मोदी सरकार में वित्त मंत्री के साथ रक्षा मंत्रालय का कार्यभार संभालने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली का निधन 24 अगस्त 2019 को हुआ था। उनका जाना केवल भाजपा और मोदी सरकार के लिए ही छति नहीं, बल्कि देश की अर्थ व्यवस्था और आम लोगों के लिए भी बड़ा झटका था।अरुण जेटली के रूप में भारत ने एक प्रखर वकील और राजनेता को खो दिया। 28 दिसंबर 1952 को जन्में अरुण जेटली ने 24 अगस्त 2019 को अंतिम सांस ली। राजनीतिक जीवन में उन्होंने केंद्र सरकार में वित्त मंत्री और रक्षा मंत्री जैसे अहम पद संभाले। एक सफल राजनीतिज्ञ होने के साथ अरुण जेटली की पहचान एक बेहद सफल वकील के रूप में भी रही है। वह सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील रहे हैं। जेटली ने 2014 से 2019 तक देश के वित्त मंत्री रहते कई बड़े कदम उठाए। जानिए जेटली के ऐसे ही कुछ योगदान के बारे में...

नोटबंदी (Demonetisation) 

अपने पहले कार्यकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 08 नवंबर 2016 को नोटबंदी की ऐतिहासिक घोषणा की। प्रधानमंत्री ने 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को तुरंत बंद कर दिया था। इसके बाद सरकार को नए नोटों की व्यवस्था करने और हालात सामान्य करने के लिए महीनों काफी जद्दोजहद करनी पड़ी। वित्तमंत्री रहते हुए अरुण जेटली ने लगातार घंटों काम किया। अरुण जेटली के कार्यकाल का ये सबसे बड़ा फैसला था।

स्तु एवं सेवा कर (GST)  

सभी राज्यों की सहमति से जीएसटी (Goods & Service Tax) लागू करना मोदी सरकार के लिए बड़ी चुनौती थी, जो केवल अरुण जेटली के कुशल नेतृत्व से ही संभव हो सका। केंद्र सरकार ने जुलाई 2017 में जीएसटी लागू किया, तो इसे पिछले कई दशकों में सबसे बड़े कर सुधार के तौर पर देखा गया। जिस तरह से किसी भी नई व्यवस्था में परेशानियां आती हैं, उसी तरह से जीएसटी में भी शुरूआत में व्यापारियों और ग्राहकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा, लेकिन जल्द ही ये लोगों की जीवन का हिस्सा बन गया। बतौर वित्तमंत्री जेटली ने आम लोगों व व्यापारियों की सलाह पर जीएसटी के स्लैब में कई बार परिवर्तन भी किए।

विशेषज्ञों के अनुसार आने वाले वर्षों में ये, जीएसटी से बड़ा सुधार साबित होगा। आजाद भारत के इतिहास में Insolvency & Bankruptcy Code (आईबीसी) के तहत ऐसा पहली बार हुआ है कि दिवालिया होने से निपटने के लिए समय-सीमा लागू की गई है। पहले कोई समय-सीमा न होने की वजह से मामला वर्षों तक खिंचता रहता था। इसने उधारकर्ता और लेनदार संबंधों को और मजबूत किया है। क्रिसिल की एक रिपोर्ट के अनुसार वित्तीय वर्ष 2019 में इस कानून के तहत कुल 70,000 करोड़ रुपये की वसूली हुई। इसी तरह दो-तीन लाख करोड़ रुपये के ऋण के 4452 मामले IBC में जाने से पहले ही हल हो गए।

मौद्रिक नीति आयोग (MPC) 

बहुमत के माध्यम से सरकार-आरबीआई की समिति (Monetary Policy Committee) द्वारा ब्याज दरों का निर्धारण करने के लिए एक स्प्ष्ट रूपरेखा तैयार की। साथ ही केंद्रीय बैंकों को एक्सप्रेस चार फीसद मुद्रास्फीति लक्ष्य हासिल करने का लक्ष्य दिया गया।

NPA क्लीनअप  

बैंकों का डूबा कर्ज निकालने के लिए अरुण जेटली के नेतृत्व में Non-Performing Asset (गैर निष्पादित संपत्ति) क्लीनअप की योजना शुरू हुई। इस दौरान पता चला कि राज्यों द्वारा संचालित कुछ सरकारी बैंकों की हालत बेहद खराब है। मार्च 2018 में बैंकों का औसत एनपीए 31 फीसद था। अरुण जेटली के अथक प्रयासों की वजह से दिसंबर 2018 में एनपीए घटकर 10.3 फीसद रह गया था। मार्च 2019 में एनपीए घटकर 9.3 फीसद रह गया था। अरुण जेटली ने 2020 तक एनपीए घटकर 8 फीसद करने का लक्ष्य रखा था।

बैंकों का एकीकरण 

पूर्व की बहुत सी सरकारों ने राज्य सरकारों द्वारा संचालित सरकारी बैंकों की कार्यप्रणाली में एकरूपता लाने के लिए बैंकों के एकीकरण (Bank Conslidation) की जरूरत बताई थी। मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद अरुण जेटली ने ये कदम उठाया और सफल भी रहे। इसके तहत पांच एसोसिएट्स बैंक और भारतीय महिला बैंक का स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में विलय हुआ। वहीं देना बैंक और विजया बैंक का बैंक ऑफ बरौडा में विलय हुआ।

जनधन योजना (JAN-DHAN) 

जनधन योजना के तहत देशभर में अभियान चलाकर उन लोगों के बैंक खाते खुलवाए गए, जिनके पास कोई खाता नहीं था। इसका मकसद गरीबों के खातों में सीधे सब्सिडी भेजना था। इससे सब्सिडी की चोरी रोकने में सरकार को काफी मदद मिली।

दीर्घ स्थिरीकरण (Macro Stabilisation)  

मोदी सरकार को कमजोर अर्थव्यवस्था विरासत में मिली थी। लिहाजा सरकार के वित्तमंत्री अरुण जेटली के सामने इससे उबरने की बड़ी चुनौती थी। जेटली की निगरानी में कच्चे तेल की कीमतों में कमी से अर्थव्यवस्था के दीर्घ स्थिरीकरण में नाटकीय सुधार आया। जैसा कि अरुण जेटली ने कई बार कहा भी था कि भारत जल्द ही नाजुक अर्थ व्यवस्था से एक मजबूत और उभरती हुई अर्थव्यवस्था के रूप में उभरेगा। आंकड़े उनकी बात को साबित करते हैं...

विषय                                  FY14         FY19

GDP इजाफा (%)                 6.4             7.0

राजकोषीय घाटा (GDP %)     4.5             3.4

मुद्रास्फीति (CPI)                   9.5             2.92 (अप्रैल 2019 तक)

एफडीआई उदारीकरण

एफडीआई का मामला पूरी तरह से अरुण जेटली के मंत्रालय के अधीन नहीं आता था, बावजूद उन्होंने एफडीआई उदारीकरण (FDI Liberalisation) की दिशा में काफी काम किया। उन्होंने ज्यादा से ज्यादा विदेशी पूंजी निवेश लाने के लिए रक्षा, बीमा और उड्डयन सेक्टर समेत कई अन्य क्षेत्रों में FDI का रास्ता खोल दिया।