नई दिल्ली, : राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिये देश की समूची शिक्षा को जिस नई ऊंचाई पर ले जाने का सपना बुना गया है, उसके अमल के लिहाज से साल 2023 बेहद अहम होगा। स्कूलों के लिए नया पाठ्यक्रम तैयार करना, सभी राज्यों में नीति की सिफारिशों के मुताबिक पीएम-श्री स्कूल स्थापित करना, उच्च शिक्षा को सभी की पहुंच में लाने के लिए डिजिटल यूनिवर्सिटी का गठन और भारतीय उच्च शिक्षा आयोग का गठन जैसी पहल शामिल है।
छोटी-बड़ी सिफारिशों पर होगा काम
शिक्षा मंत्रालय ने नीति के अमल का जो रोडमैप तैयार किया है, उसके तहत नीति से जुड़ी 50 से ज्यादा छोटी-बड़ी सिफारिशों पर इस साल काम होना है। इन सभी का सीधा असर जमीन पर दिखेगा। इसके साथ ही चार वर्षीय नए इंटीग्रेटेड बीएड कोर्स की भी शुरुआत इस साल से होगी। जिसमें शिक्षक के क्षेत्र में रूचि रखने वाले छात्रों को बारहवीं के बाद सीधे दाखिला मिलेगा। इस तहत छात्र बीए-बीएड, बीएससी बीएड और बीकॉम बीएड जैसे कोर्स कर सकेंगे।
इसके अलावा विश्वविद्यालयों में चार वर्षीय नया स्नातक कोर्स भी शुरू होगा, जिसमें छात्र को बीच में कभी भी पढ़ाई छोड़ने व शुरू करने के विकल्प मिलेंगे। इस दौरान एक साल में छोड़ने पर सर्टिफिटेक, दो साल में डिप्लोमा और तीन साल में डिग्री व चार साल में आनर्स की डिग्री मिलेगी। यदि इस दौरान किसी छात्र ने शोध के क्षेत्र में भी काम किया है, उन्हें शोध के साथ ही स्नातक में आनर्स की डिग्री मिलेगी।
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उच्च शिक्षा आयोग के गठन पर तेजी से हो रहा काम
उच्च शिक्षा के क्षेत्र में दोहरी डिग्री और संयुक्त डिग्री से जुड़े कोर्सों में नए साल में तेजी दिखेगी। उच्च शिक्षा में प्रस्तावित क्रेडिट स्कीम की भी शुरुआत होगी। मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक उच्च शिक्षा में बड़े बदलावों से जुड़े भारतीय उच्च शिक्षा आयोग के गठन पर भी तेजी से काम शुरू हो गया है। इसके मसौदे को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इसी साल के अंत तक इसके गठन के विधेयक को संसद में लाया जा सकता है। गौरतलब है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को केंद्र सरकार ने 29 जुलाई 2020 को मंजूरी दी थी। इसके बाद से इसके अमल पर योजनाबद्ध तरीके से काम हो रहा है।