वेणुगोपाल धूत ने अपनी गिरफ्तारी के खिलाफ दायर की थी रिट याचिका, बॉम्बे हाई कोर्ट ने आदेश रखा सुरक्षित

 


वेणुगोपाल धूत ने अपनी गिरफ्तारी के खिलाफ दायर की थी रिट याचिका

Videocon-ICICI Bank Loan Case वीडियोकॉन-ICICI बैंक ऋण मामले में सीबीआई द्वारा अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली वीडियोकॉन समूह के अध्यक्ष वेणुगोपाल धूत (Venugopal Dhoot) द्वारा दायर रिट याचिका पर बॉम्बे उच्च न्यायालय ने आदेश सुरक्षित रखा है।

नई दिल्ली। Videocon-ICICI Bank Loan Case: वीडियोकॉन-आईसीआईसीआई बैंक ऋण मामले में सीबीआई द्वारा अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली वीडियोकॉन समूह के अध्यक्ष वेणुगोपाल धूत द्वारा दायर रिट याचिका पर बॉम्बे उच्च न्यायालय ने आदेश सुरक्षित रखा है।

बता दें कि इस मामले में ICICI की पूर्व सीईओ चंदा कोचर बायकुला जेल से और उनके पति दीपक कोचर आर्थर रोड जेल से 9 जनवरी को रिहा हो गए थे। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कोचर दंपत्ति को जमानत देते हुए कहा था कि 'गिरफ्तारी कानून के अनुसार नहीं है।'

बॉम्बे हाई कोर्ट ने करोड़ों रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग घोटाले में गिरफ्तार कोचर दंपत्ति को 9 जनवरी को अंतरिम राहत देते हुए कहा था कि यह पुलिस की जिम्मेदारी है कि वह न केवल लिखित में गिरफ्तारी के कारणों को रिकॉर्ड करे, बल्कि उन मामलों में भी, जहां पुलिस ऐसा नहीं करने का विकल्प चुनती है।

कोर्ट ने लगाई CBI को फटकार

बता दें कि कोचर दंपत्ति को CBI ने 23 दिसंबर, 2022 को गिरफ्तार किया था। दोनों ने अपनी गिरफ्तारी को गैरकानूनी और मनमाना बताते हुए उच्चन्यायालय में चुनौती दी थी और अपनी अंतरिम जमानत के लिए याचिका दायर की थी।

कोचर दंपत्ति को अंतरिम जमानत देते हुए अपने विस्तृत आदेश में उच्चन्यायालय की खंडपीठ ने सीबीआई को तगड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि यह कहने की जरूरत नहीं है कि हमारे संविधान में किसी व्यक्ति की निजी स्वतंत्रता एक महत्त्वपूर्ण पहलू है। व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संरक्षण करने एवं जांचकर्ताओं का उपयोग उत्पीड़न के साधन के तौर पर नहीं होने देने में अदालतों की भूमिका बार-बार दोहराई गई है।

वीडियोकॉन लोन मामला

ICICI बैंक की ओर से वित्त वर्ष 2011 में वीडियोकॉन को 3250 करोड़ रुपये का लोन दिया गया था। इसके बाद वीडियोकॉन के प्रमोटर वेणुगोपाल धूत और चंदा कोचर के पति दीपक कोचर के बीच व्यापारिक संबंधों का खुलासा हुआ था। धूत ने चंदा कोचर के पति दीपक कोचर की कंपनी में निवेश किया था। वहीं, कोचर ने इस बात का खुलासा नहीं किया था कि ये लोन वीडियोकॉन को कंसोर्टियम के हिस्से के रूप में दिया गया था, जिसके बाद सीबीआई, ईडी और एसएफआईओ सहित कई एजेंसियों ने जांच की और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था।