भारत डेंगू की वैक्सीन बनाने की शुरुआत कर चुका है। इस दिशा में 2023 में कुछ नए कदम भारत बढ़ेगा। गर्भाशय कैंसर की वैक्सीन नए साल से बाजार में आम लोगों के लिए उपलब्ध होगी। वैज्ञानिकों ने नेजल वैक्सीन बनाने में सफलता हासिल कर ली है।
नई दिल्ली, अनुराग मिश्र/विवेक तिवारी। 2020 में कोरोना महामारी ने भारत समेत पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया लेकिन भारत ने इस आपदा का बखूबी सामना किया। दुनिया में भारत चंद उन देशों में शामिल था जिसने वैक्सीन का निर्माण बेहद कम समय में कर लिया और इतनी बड़ी आबादी को वैक्सीन देने का रिकॉर्ड बनाया। इस बात की प्रशंसा विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स ने भी की। बिल गेट्स ने कहा था कि जिस बड़े स्तर पर भारत में वैक्सीनेशन के अभियान को चलाया जा रहा है उससे दुनिया को भारत से सीखने की जरूरत है। इन बीते सालों में भारत ने सेहत की दिशा में जितना काम किया उसके प्रतिफल आने शुरू हो गए हैं। भारत डेंगू की वैक्सीन बनाने की शुरुआत कर चुका है। इस दिशा में 2023 में कुछ नए कदम भारत बढ़ेगा। गर्भाशय कैंसर की वैक्सीन नए साल से बाजार में आम लोगों के लिए उपलब्ध होगी। वैज्ञानिकों ने नेजल वैक्सीन बनाने में सफलता हासिल कर ली है। केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत योजना और जन आरोग्य योजना लोगों के लिए लाभकारी साबित हो रही है। सरकार ने नई दवाओं और हेल्थ टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भर होने के लिए बायो फार्मा मिशन की शुरुआत की है। जल्द ही देश स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में पूरी तरह से आत्मनिर्भर होगा।
डिजिटल हेल्थकेयर का विस्तार
इंटरनेशनल पीडियाट्रिक एसोसिएशन के प्रेसिडेंट डॉक्टर नवीन ठक्कर कहते हैं कि डिजिटल हेल्थकेयर के क्षेत्र में भी भारत तेजी से तरक्की कर रहा है और लोगों में इसकी स्वीकार्यता बढ़ी है। वह कहते हैं कि मानसिक स्वास्थ्य के प्रति भी लोगों में जागरुकता आई है। लोग इस धारणा को समझने और आत्मसात करने करने लगे हैं।
बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के पूर्व सीनियर ऐडवाइजर और पब्लिक हेल्थ कंसलटेंट राज शंकर घोष कहते हैं कि 2023 एक डिजिटल हेल्थकेयर प्लेटफॉर्म का विस्तार करने के लिए तैयार है। एक उदाहरण UWIN का प्रदर्शन होगा, जो भारत के बच्चों, किशोरों और माताओं की रिकॉर्डिंग, ट्रैकिंग और टीकाकरण के लिए डिजिटल एप्लिकेशन है।
प्रयाग हॉस्पिटल ग्रुप की सीईओ प्रीतिका सिंह कहती है कि 2023 में फार्मेसी, टेलीहेल्थ और चिकित्सा अनुसंधान में नए बदलाव और इनोवेशन देखने को मिलेंगे।
सर्वाइकल कैंसर प्रोग्राम 2023
बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के पूर्व सीनियर ऐडवाइजर और पब्लिक हेल्थ कंसलटेंट राज शंकर घोष कहते हैं कि भारत सर्वाइकल कैंसर वैक्सीन कार्यक्रम 2023 शुरू करने के लिए पूरी तरह तैयार है। यह कार्यक्रम एक नए समूह, युवा और किशोर लड़कियों से संबंधित होगा। यह सर्वाइकल कैंसर के टीकों के साथ टीके की आपूर्ति, पहुंच और मांग के मुद्दों को संबोधित करने की भारत की क्षमता का परीक्षण होगा।
खसरे और कालाजार की वैक्सीन
अपोलो अस्पताल के वाइस प्रेसिडेंट डॉक्टर करन ठक्कर कहते हैं कि 2023 में हेल्थ में कई सकारात्मक बदलाव देखने को मिल सकते हैं। 2023 की शुरुआत में देश को नेजल वैक्सीन मिल चुकी है जो कोविड के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। 2022 में हमारे देश में करोड़ों लोगों को वैक्सीन मिल चुकी है जो अपने आप में ऐतिहासिक रिकॉर्ड है। सरकार को इंद्रधनुष वैक्सिनेशन स्कीम के साथ ही टीबी, खसरे और काला जार जैसी बीमारियों के वैक्सिनेशन पर जोर देना चाहिए।
कोविड के नए वैरिएंट से घबराने की आवश्यकता नहीं
नए साल की शुरुआत में देश में कोविड के नए वैरिएंट को लेकर लोगों में तमाम सवाल है।कोविड वर्किंग ग्रुप के चेयरमैन डॉक्टर एनके अरोड़ा कहते हैं कि कोविड को लेकर जरुरत से अधिक डर फैल गया है।
कोविड को लेकर फिलहाल घबराने की जरूरत नहीं है। लेकिन कोविड प्रोटोकॉल का अनिवार्य तौर पर पालन करें। नए साल में नेजल वैक्सीन उपलब्ध हो जाएगी। ये काफी कारगर साबित होगी।
डीएमए की साइंटिफिक कमेटी के चेयरमैन डा. नरेंद्र सैनी कहते हैं कि 2023 में कई बीमारियों के समाधान मिलेंगे तो कई बीमारियों का साया हमें चिंता में डाल सकता है लेकिन हमारे डॉक्टर औऱ वैज्ञानिक इससे निपटने में पूर्ण तौर पर सक्षम है। इस साल कोविड का कोई नया वेरिएंट भी हमारे सामने आ सकता है। वहीं कोविड के चलते दुनिया भर में वैक्सीन बनाने की स्पीड भी बढ़ी है। ऐसे में 2023 नें कई बीमारियों के लिए वैक्सीन आने की भी संभावना है। BF.7 वेरिएंट ओमिक्रोन वायरस का वेरिएंट है। ऐसे में ये काफी संक्रामक है। आपको इसके संक्रमण से बचने के लिए अनिवार्य तौर पर कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए। भारत में वैक्सिनेशन की स्थिति चीन की तुलना में कहीं बेहतर है। वहीं यहां लोगों में इम्यूनिटी का स्तर भी बेहतर है। फिर भी लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। अनिवार्य तौर पर बूस्टर डोज लगवाएं। वैक्सीन लेने से आपको संक्रमण होने पर भी आप अस्पताल जाने से बच सकते हैं।
जेएनयू के बायोटेक्नोलॉजी विभाग के डा. रुपेश चतुर्वेदी कहते हैं कि 2022 के अंत में दुनिया के 91 देशों में BF.7 वेरिएंट की पुष्टि हो चुकी थी। ये वेरिएंट सामान्य तौर पर जानलेवा नहीं है पर बहुत अधिक संक्रामक होने के चलते इसकी निगरानी की जा रही है। चीन में BF.7 वेरिएंट के लगभग 10 फीसदी, अमेरिका में 5 फीसदी और यूके में लगभग 7 फीसदी मामले मामले ही हैं। BF.7 वेरिएंट को हमें हल्के में नहीं लेना चाहिए। नए साल में कोविड का इलाज करने के लिए गोली बन चुकी होगी। अमेरिकी की एक कंपनी ने इस तरह की दवा बना भी ली है जिसके कोविड के इलाज में काफी अच्छे परिणाम मिले हैं। भारत की भी एक कंपनी जेनरिक दवा के तौर पर इस दवा का उत्पादन शुरू करने का प्रयास कर रही है उसे वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन प्रीक्वालिफिकेशन ऑफ मेडिसिन्स प्रोग्राम के तहत मंजूरी भी मिल गई है। ऐसे में हमें सभी कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए और कोविड के संक्रमण को फैलने से रोकने में सहयोग करना चाहिए।
आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ.सहजानंद प्रसाद सिंह का कहना है कि कोरोना ओमिक्रान के सब वैरिएंट बीएफ.7 को लेकर ज्यादा डरने की जरूरत नहीं है। देश के लोगों की हाईब्रिड इम्युनिटी बन गई है। ऐसे में देश में सब वैरिएंट का कोई खास असर नहीं दिखेगा। चीन वालों की अपेक्षा हमारी इम्युनिटी अधिक बेहतर है। अब भी जिन लोगों ने टीकाकरण नहीं कराया है, वह करा लें। जिन्हें इंजेक्शन से डर लगता है, उनके लिए इंट्रा नेजल वैक्सीन भी आ गई है।
टेलीमेडिसिन और आईओटी का हेल्थ में इस्तेमाल
शारदा स्कूल ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च की डीन प्रो. (डॉ.) मनीषा जिंदल कहती है कि पिछले 2 वर्षों से स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र में कई बदलाव आए हैं। हमने तकनीक की प्रासंगिकता को भी समझा। कोई भी सेक्टर ऐसा नहीं है जो टेक्नोलॉजी से अछूता हो, दरअसल टेक्नोलॉजी हर क्षेत्र का सबसे अहम हिस्सा बन चुकी है। आने वाले वर्षों में, स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र कृत्रिम बुद्धिमत्ता, इंटरनेट ऑफ थिंग्स और मशीन लर्निंग को अपनाने की ओर अधिक होगा। ई-परामर्श और टेली-मेडिसिन स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र का भविष्य होंगे। रोबोटिक नर्स और केयर टेकर इस सेक्टर का भविष्य बनेंगे जो कोविड आदि में बहुत मददगार होगा साथ ही इससे स्टाफ की कमी भी दूर हो जाएगी।
भारत टीबी नियंत्रण कार्यक्रम को तेज करना होगा
बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के पूर्व सीनियर एडवायर और पब्लिक हेल्थ कंसलटेंट राज शंकर घोष कहते हैं कि भारत के टीबी नियंत्रण कार्यक्रम को 2023 में तेज करना होगा। कोविड के समय में झटके की भरपाई के लिए। गति और गुणवत्ता के साथ हमारे उन्मूलन लक्ष्यों तक पहुंचने के लिए काला-अजार और लिम्फैटिक फाइलेरिया के उन्मूलन की गति को तेज किया जाना चाहिए।
2023 में सार्वजनिक स्वास्थ्य के समाधान में निवेश जारी रखना होगा
भारत ने दक्षता, साक्ष्य, इक्विटी पर ध्यान केंद्रित करने और अपने नागरिकों के सशक्तिकरण के साथ सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियों का समाधान करने में दुनिया के सामने अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया है। भारत को अच्छे स्वास्थ्य के साथ अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए 2023 में सार्वजनिक स्वास्थ्य के समाधान में निवेश जारी रखना होगा।
आठ साल में भारत से दवा निर्यात 103% बढ़ा
भारत की दवाओं की डिमांड दुनियाभर में है। एक मई 2022 को वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की तरफ से जारी रिपोर्ट में कहा गया कि भारत का दवा निर्यात 8 साल में 103% बढ़ गया है। भारत ने 2013-14 में 90,415 करोड़ रुपए का दवा निर्यात किया। 2021-22 में यह आंकड़ा 1,83,422 करोड़ तक पहुंच गया है। भारत दुनिया में 60 फीसदी टीके और 20 फीसदी जेनेरिक दवाओं का सप्लाई करता है। कम कीमत और अच्छी गुणवत्ता के कारण भारतीय दवाओं की डिमांड दुनियाभर के देशों से लगातार बढ़ रही है। भारत में दवा निर्माण उद्योग का बाजार वर्तमान में करीबन 50 बिलियन डॉलर हो गया है। दवा के फॉर्मूलेशन व बायोलॉजिकल्स निर्यात में हमारी 73.71 फीसदी हिस्सेदारी है। भारत से दवाओं का निर्यात मुख्य रूप से अमेरिका, ब्रिटेन, साउथ अफ्रीका, रूस और नाइजीरिया को होता है। कोरोना से जान बचाने के लिए भारत ने 97 से ज्यादा देशों को वैक्सीन की 11.5 करोड़ डोज उपलब्ध कराई।
हार्ट और ब्रेन स्ट्रोक के मामलों से निपटना होगी चुनौती
महाराजा अग्रेसन अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख डा. अभिषेक जुनेजा कहते हैं कि ब्रेन स्ट्रोक विश्व स्तर पर मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण है। आज, हम अत्यधिक प्रभावी और सुरक्षित इंजेक्शन के आगमन के साथ स्ट्रोक के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए अच्छी तरह से तैयार हैं, जिससे स्ट्रोक से तेजी से और पूरी तरह से रिकवरी हो सकती है। हम, गैर-सरकारी संगठनों के सहयोग से, रोगियों में स्ट्रोक उपचार के बारे में सामाजिक जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है। इसके लिए हमें बड़े स्तर पर काम करने की आवश्यकता है।
साइबर अपराध से निपटना होगा चुनौती
डॉ जिंदल ने कहा कि अस्पतालों में काम करने के प्रारूप में अचानक बदलाव कुछ लोगों के लिए मुश्किल हो सकता है, इसलिए स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र से जुड़े हर हितधारक के लिए प्रौद्योगिकी को अपनाना सबसे बड़ी चुनौती होगी। साइबर अपराध में वृद्धि के साथ हमें इस तरफ भी अधिक सतर्क रहना होगा। मरीजों को ई-परामर्श पद्धति पर विश्वास करना चाहिए क्योंकि उन्हें डॉक्टरों से आमने-सामने बातचीत करने की आदत है, उन्हें प्रौद्योगिकी प्रक्रिया पर भरोसा करना होगा। आयुष मंत्रालय, भारत सरकार हर नागरिक के लिए सस्ती लागत को ध्यान में रखते हुए ई-स्वास्थ्य देखभाल को प्रोत्साहित करने के लिए कई नई योजनाएं लेकर आ रही है। ने कहा कि अस्पतालों में काम करने के प्रारूप में अचानक बदलाव कुछ लोगों के लिए मुश्किल हो सकता है, इसलिए स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र से जुड़े हर हितधारक के लिए प्रौद्योगिकी को अपनाना सबसे बड़ी चुनौती होगी। साइबर अपराध में वृद्धि के साथ हमें इस तरफ भी अधिक सतर्क रहना होगा। मरीजों को ई-परामर्श पद्धति पर विश्वास करना चाहिए क्योंकि उन्हें डॉक्टरों से आमने-सामने बातचीत करने की आदत है, उन्हें प्रौद्योगिकी प्रक्रिया पर भरोसा करना होगा। आयुष मंत्रालय, भारत सरकार हर नागरिक के लिए सस्ती लागत को ध्यान में रखते हुए ई-स्वास्थ्य देखभाल को प्रोत्साहित करने के लिए कई नई योजनाएं लेकर आ रही है।
डायबिटीज के मरीज भी बढ़ रहे
इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन की रिपोर्ट के अनुसार 20 से 79 साल की उम्र के 46.3 करोड़ लोग डायबिटीज की बीमारी से ग्रसित हैं। यह इस आयु वर्ग में दुनिया की 9.3 फीसद आबादी है। रिपोर्ट कहती है कि चीन, भारत और अमेरिका में सबसे अधिक डायबिटीज के वयस्क मरीज हैं। टरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन की रिपोर्ट कहती है कि 2019 तक भारत में डायबिटीज के करीब 7.7 करोड़ मरीज थे। इनकी संख्या 2030 तक 10.1 करोड़ हो सकती है।