मैं टैलेंटेड नहीं, गिफ्टेड हूं', पीयूष मिश्रा के जन्मदिन पर जानें उनसे जुड़ी कई खास बातें


Photo Credit : Piyush Mishra Instagram Photos Screenshot

पीयूष मिश्रा को फिल्म ब्लैक फ्राइडे में उनके गीत अरे ओ रुक जा रे बंदे से खास पहचान मिली थी। इसके बाद उन्होंने 2009 में फिल्म गुलाल के लिए आरंभ है प्रचंड गैंग्स ऑफ वासेपुर के लिए एक बगल में चांद होगा जैसे एक से बढ़कर एक गीत लिखे।

 मुंबई। पीयूष मिश्रा जितने शानदार अभिनेता हैं उतने ही अच्छे गायक और बेहतरीन लेखक भी। 13 जनवरी को जन्मे बहुमुखी प्रतिभा के धनी पीयूष मिश्रा इसे मानते हैं ईश्वर का विशिष्ट उपहार ...

हिंदी सिनेमा में दो दशक से अधिक समय से अभिनय में सक्रिय पीयूष मिश्रा बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। अभिनेता के साथ-साथ वह पेशेवर लेखक, गायक और गीतकार भी हैं। उन्होंने अपनी आत्मकथा 'तुम्हारी औकात क्या है पीयूष मिश्रा' भी लिखी है।

एक साथ इतने कामों के बीच संतुलन बनाने पर पीयूष कहते हैं, 'मैं टैलेंटेड नहीं, गिफ्टेड हूं। मुझे यह चीजें भगवान से गिफ्ट के तौर पर मिली हुई हैं। मुझे अलग-अलग काम करने में कोई दिक्कत नहीं आती। इसमें कोई राकेट साइंस नहीं है। मैं अपना हर काम ईमानदारी से करता हूं। अगर आप अपने दिमाग को ठिकाने पर रखेंगे, तो हर काम अपने आप होता जाता है। जब मुझे सारे कामों का एक साथ ऑफर मिलता है, तो सामने वाले से स्पष्टता के साथ कहता हूं कि मेरे पास एक्टिंग के लिए इतना समय है, उसके बाद इतने दिन मैं लिखूंगा। सच कहूं तो गाने लिखना मेरे लिए बाएं हाथ का खेल है। हालिया रिलीज फिल्म 'चक्की' का गाना भी मैंने ऐसे ही तेजी से स्टूडियो में बैठकर लिखा था। उधर संगीतकार 'अरे रुक जा रे बंदे' गाने का संगीत कंपोज कर रहे थे और इधर मैं लिख रहा था।'

पीयूष मौजूदा समय में अपनी भूमिकाओं को लेकर भी प्रयोग कर रहे हैं। इस बारे में वह कहते हैं, 'अब कलाकार को किसी छवि में बांधा नहीं जा रहा। यह बताता है कि अब कोई भी कलाकार किसी भी तरह की भूमिका निभाने से डरता नहीं है। लोग कलाकारों की एक्टिंग को याद रखते हैं। मैं समझ नहीं पाया कई कलाकार वर्षों तक एक ही तरह के खलनायक की भूमिकाएं निभाते हुए ऊबे क्यों नहीं? ये ठीक है, उससे आपने पैसे कमाए, स्टार बन गए, लेकिन कितने समय तक एक ही काम करते रहेंगे। हिंदी सिनेमा में नसीरुद्दीन शाह और ओम पुरी जैसे कलाकारों के आने के बाद काफी फर्क पड़ा। उनके आने के बाद ही मेरे जैसा बंदा आज की तारीख में सिनेमा में आने की हिम्मत कर पा रहा है। अनुराग कश्यप ने जिस तरह के कलाकारों को भूमिकाएं दीं, उससे भी सिनेमा में काफी बदलाव आया।'