बड़खल पुल के नीचे बस गई है बस्ती; बन गए पक्के मकान, बिजली-पानी भी फ्री

 

 

फरीदाबाद,  संवाददाता :  हमने कल और परसों के अंक में आपको अजरौंदा-नीलम फ्लाईओवर व बाटा पुल के नीचे अतिक्रमण की हकीकत से रूबरू कराया था। आज पाठकों को बड़खल फ्लाईओवर के नीचे किस कदर अतिक्रमण है, इसकी जानकारी देते हैं। हाईवे से जुड़ा यह पुल दूसरी ओर पाश सेक्टर-21 ए, बी, सी, डी, सेक्टर-46 से जुड़ा हुआ है और पश्चिमी दिशा में पुल उतरने पर आगे यह मार्ग अनखीर चौक से होता हुआ सूरजकुंड की ओर जाता है।

पुल पहले दो लेन का था, पर जैसे-जैसे आबादी का दबाव बढ़ा। वाहनों की संख्या बढ़ी, जरूरत महसूस होेने पर अप्रैल-2014 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने तब के स्थानीय सांसद अवतार सिंह भड़ाना और विधायक आनंद कौशिक के साथ दो लेन का एक और पुल बनाने का शिलान्यास किया, जो जून-2014 में बन कर तैयार हुआ। तत्कालीन कैबिनेट मंत्री महेंद्र प्रताप सिंह व विधायक कौशिक के साथ तब के मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने ही इसका शुभारंभ किया था।

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पुल के नीचे एक-दो नहीं ब्लकि दर्जनों मकान थे

जैसा नीलम पुल के नीचे झोपड़ी डाल कर अतिक्रमण किया है और बाटा पुल के नीचे पूरा बाजार लगता है, जिससे कभी भी पुलों को नुकसान हो सकता है, उसी तरह का अतिक्रमण बड़खल पुल के नीचे है। यहां अतिक्रमण नीलम और बाटा पुल से अलग तरह का है। हाईवे से हम बड़खल पुल के नीचे वाले मार्ग से रेलवे लाइन तक गए तो देख कर मन-मस्तिष्क में तुरंत यह मुहावरा आ गया कि हींग लगे न फिटकरी और रंग चौखा। यहां शुरुआत से पुल के नीचे पक्के मकान बने हुए मिले। एक-दो नहीं ब्लकि दर्जनों मकान थे और यह एक अलग ही बस्ती नजर आई।

मकान के बाहर कार भी खड़ी मिली 

अब मकान बने हुए हैं तो जीवन यापन के लिए बिजली-पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं भी चाहिए। यहां पानी का भी प्रबंध था और अंदर बिजली से रोशन मकान भी मिले। कुछ और आगे गए तो टीवी भी चलते मिले। फोटो लेने के दौरान ही पीछे से मोटरसाइकिल पर एक युवा दंपत्ति आते दिखाई दिए। इससे पहले कि इस दंपत्ति से कुछ पूछते, मोटरसाइकिल धीमी होने पर हाथों में चूड़ा पहने युवती उतरी और सीधे मकान के अंदर। मोटरसाइकिल चालक भी अपने वाहन को मकान के अंदर ले गया। एक आध मकान के बाहर कार भी खड़ी दिखाई दी। स्पष्ट है कि इस बस्ती में वैभवपूर्ण जीवन वाली चीजों की भी कोई कमी नहीं।

यहां के लोगों को मिला बिजली-पानी मुफ्त 

अब एक ओर जहां आम शहरवासी अपना संपत्ति कर व बिजली बिल भरने के लिए नगर निगम मुख्यालय और बिजली निगम के दफ्तरों में धक्के खा रहे हैं। सरकार उनके लिए सरचार्ज माफी की योजना भी लेकर आई है, दूसरी ओर जब यहां के लोगों को बिजली-पानी मुफ्त मिल रहा है, संपत्ति कर देना नहीं तो फिक्र किस बात की। यहां फोटो लेते समय स्थानीय लोगों ने आपत्ति भी जताई, पर हमने विरोध को दरकिनार कर अपना काम किया।

बस गई पूरी बस्ती 

खैर अब हम पुल के दूसरी ओर यानी सेक्टर-21 वाली तरफ गए। यहां से नीचे वाले मार्ग पर पक्के की बजाय तिरपाल से कवर किए हुए कच्ची झोपड़पट्टी मिली। यहीं नीचे गाय-भैंस भी बंधी मिली। असामाजिक तत्वाें का अड्डा भी मिला। अब अतिक्रमण हटाने के खिलाफ कार्रवाई नगर निगम को करनी है, देखते हैं कि प्रशासन कब तक नींद से जागता है। हमारा काम है ध्यान दिलाना।

कभी कार्रवाई नहीं हुई 

आरडब्ल्यूए सेक्टर-21ए, गजराज नगर के प्रधान ने कहा हमारे पास कई बार यहां आपराधिक व अनैतिक गतिविधियों की शिकायतें आई हैं। नशाखोरी तो आम बात है। सेक्टर चूंकि साथ लगते हैं, इसलिए सेक्टरों के मकानों में चोरी निशाने पर रहती है। हमने पूर्व में लिखित में भी और मौखिक रूप से प्रशासन को शिकायतें भी की हैं, पर कभी पुख्ता कार्रवाई नहीं हुई।

औद्योगिक नगरी बेहाल 

सामाजिक कार्यकर्ता अजय डुडेजा दैनिक जागरण ने सटीक मुद्दा उठाया है। स्मार्ट सिटी में तब्दील हो रही औद्योगिक नगरी का हाल तो यह है कि जिसका जहां मन आए, वहीं अतिक्रमण कर चाहे दुकान बना ले या फिर मकान। कोई पूछने वाला नहीं। निगम व पुलिस प्रशासन को इस ओर ध्यान देना चाहिए।