इंदौर के सूर्य मंदिर का है खास महत्व, संक्रांति के मौके पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

 

बेहद खास है इंदौर का सूर्य देवता का मंदिर।

इंदौर के सूर्य मंदिर का लोगों में खास महत्व है। दरअसल इस मंदिर में स्थापित सू्र्य देवता सात घोड़े पर सवार हैं। मकर संक्रांति के दिन हर साल यहां श्रद्धालुओं की काफी भीड़ उमड़ती है। इस दिन खास यज्ञ और भजन-कीर्तन का आयोजन होता है।

इंदौर, ऑनलाइन डेस्क। इंदौर इतिहास के साथ-साथ धर्म के महत्व को भी दर्शाता है। यहां ऐसे कई मंदिर स्थित है जिनका इतिहास से काफी गहरा नाता है, साथ ही कई ऐसे मंदिर भी है जिसकी पौराणिक मान्यताएं हैं। इंदौर के कैट रोड एक सूर्य मंदिर है जिसकी काफी मान्यता है। इस मंदिर में सूर्यदेव, नौ ग्रह और उनके अधिष्ठाता देवी, देवताओं की मूर्ति स्थापित हैं। यहां पर भगवान सूर्यदेव की सात घोड़े पर सावर 13 फीट लंबी मूर्ति है। इसपर ही सूरज की पहली किरण पड़ती है। शास्त्रों के अनुसार यह सात घोड़े सप्ताह के सात दिनों का प्रतीक है, इनका नाम गायत्री, भ्रांति, उस्निक, जगति, त्रिस्तप, अनुस्तप और पंक्ति है। उनके रथ के पहिए संवत्सर हैं जो साल के महीनों और ऋतुओं को दर्शाती है।

दर्शन का सही समय

कहा जाता है यहां दर्शन का सही समय सूर्योदय के कुछ देर बाद से सुबह करीब 11 बजे तक होता है क्योंकि इस समय सूर्य की किरणें मंदिर में स्थापित सूर्यदेव की मूर्ति पर सीधी पड़ती हैं। यहां तक कि डब सर्दियों में कोहरे के कारण सूरज की किरणें हल्की हो जाती हैं तो सूर्यदेव की मूर्ति पर पड़ने वाला प्रकाश यज्ञोपवीत की तरह नजर आता है।

नौ ग्रहों की मूर्तियां भी हैं स्थापित

यह मंदिर करीब डेढ़ एकड़ में फैला हुआ है। इस मंदिर में प्रतिस्थापित मूर्ति ओडिशा के कलाकारों ने संगमरमर को तराश कर तैयार की थीं। यहां नौ ग्रहों की भी मूर्तियां हैं जो सौर मंडल में ग्रहों की दूरी और दिशा के अनुरूप स्थापित की गई हैं। इन नौ ग्रहों के साथ उन ग्रहों के अधिपति की की मूर्तियां स्थापित की गई हैं। आपको बता दें, इस मंदिर का निर्माण हशमत राय राजदेव ने अपनी मां की इच्छा पूरी करने के लिए कराया था।

नाव व कमल फूल के आकार के कुंड

इस मंदिर में दो कुंड बने हैं जिसमें एक का आकार कमल के फूल और दूसरे का आकार नाव जैसा है। मकर संक्रांति के मौके पर यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ जाती है। मिली जानकारी के मुताबिक 15 जनवरी को यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आएंगे। सुबह 10 बजे सूर्य यज्ञ होगा और 12 बजे भजन कीर्तन किए जाएंगे। दिनभर खिचड़ी प्रसाद का वितरण होगा। साथ ही महाआरती की जाएगी।

मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त

सूर्यदेव का मकर राशि में प्रवेश शनिवार रात 8.57 बजे हुआ। इसके चलते उदया तिथि में मकर संक्रांति रविवार को हर्षोल्लास से मनाई जाएगी। मकर संक्रांति पर पुण्यकाल सुबह 7.09 से शाम 6.03 बजे तक 10 घंटे 53 मिनट रहेगा। इसके अतिरिक्त मकर संक्रांति का महापुण्यकाल सुबह 7.09 से 8.58 बजे तक 1 घंटे 49 मिनट रहेगा।

मकर संक्रांति पर ऐसे करें पूजा

मकर संक्रांति पर पानी में काले तिल और गंगा जल डालकर अर्घ्य देना चाहिए। इस साल संक्रांति रविवार के दिन पड़ रहा है जिसके कारण इसका महत्व और बढ़ गया है। पर्व पर सूर्य, शनि और शुक्र ग्रह की युति बन रही है। इस युति में शुभ कार्य, दान, पुण्य करने से भाग्योदय होता है। इस दिन सूर्य छह महीने के लिए उत्तरायण होते हैं।