कोरोना काल में बंद रहने के बाद बायोमीट्रिक मशीन दे रही जवाब, मरम्मत पर पैसे बर्बाद

 


हाजिरी के लिए स्थापित बायोमीट्रिक मशीन आए दिन खराब रहती हैं

कोरोना काल में बंद रहने के बाद राज्य के सरकारी स्कूलों में शिक्षक व गैर शिक्षकों की हाजिरी के लिए स्थापित बायोमीट्रिक मशीन आए दिन खराब होती रहती हैं। इनकी मेंटिनेंस करवाई जाती है। यदि मशीन ठीक न हो तो नई खरीदी जाती है। जिससे बहुत पैसा बर्बाद होता है।

 संवाददाता, शिमला: कोरोना काल में बंद रहने के बाद राज्य के सरकारी स्कूलों में शिक्षक व गैर शिक्षकों की हाजिरी के लिए स्थापित बायोमीट्रिक मशीन आए दिन खराब रहती हैं। खराब होने पर पहले इनकी मेंटिनेंस करवाई जाती है। यदि मशीन ठीक न हो तो उस स्थिति में नई खरीदी जाती है।

स्कूलों में बार-बार ये मशीन खराब हो रही है तो कई स्थानों पर इंटनरेट की दिक्कत के कारण चलती ही नहीं। आए दिन किसी न किसी स्कूल में इनके खराब होने की समस्या के बावजूद शिक्षा विभाग व्यवस्था नहीं बदल रहा है।

आफलाइन हाजिरी में छेड़छाड़ की आशंका

पंजाब में बायोमीट्रिक हाजिरी को कंप्यूटर से अटैच किया है। उपकरण का खर्च चार हजार रुपये के करीब है जबकि हिमाचल प्रदेश का शिक्षा विभाग स्कूलों के लिए जो मशीनें खरीदता है, उसका खर्च प्रति मशीन करीब 22000 रुपये है। फेस स्कैनिंग मशीन इससे भी महंगी है।

जब तक मशीन खरीदी नहीं जाती तब तक आफलाइन यानी रजिस्टर पर हाजिरी लगाकर इसका रिकार्ड उप निदेशक कार्यालयों को भेजा जाता है। आफलाइन हाजिरी में छेड़छाड़ की पूरी आशंका बनी रहती है।शिक्षा विभाग के तकनीकी अधिकारियों के मुताबिक पंजाब पेटर्न को हिमाचल में लागू करना आसान है, क्योंकि यहां पर हर स्कूल में कंप्यूटर लैब है। इसके लिए अलग से कंप्यूटर सिस्टम खरीदने की जरूरत नहीं है।

नई पद्धति से बच सकता है खर्च

लैब में एक कंप्यूटर को हब बनाकर मेन सर्वर से जोड़कर इस व्यवस्था को लागू किया जा सकता है लेकिन विभाग व्यवस्था परिवर्तन के बजाए पुराने ढर्रे पर ही चला हुआ है। यदि हिमाचल भी इस पद्धति को अपनाए तो काफी खर्च बच सकता है।

उच्चतर शिक्षा विभाग के निदेशक डा. अमरजीत शर्मा का कहना है कि हिमाचल में बायोमीट्रिक मशीन लगाने को लेकर सरकार की ओर से नियम व शर्तें तय की गई हैं। नेशनल इनफारमेशन सेंटर (एनआइसी) के माध्यम से इन मशीन का संचालन किया जाता है।

विभाग के अधिकारी कहीं से भी हाजिरी पर नजर रख सकें, इसलिए इसे एनआइसी से जोड़ा गया है। सरकार की ओर से जो निर्देश होंगे, उसके तहत ही इस पर काम किया जाएगा।

हाईकोर्ट की सख्ती

हाईकोर्ट की सख्ती के बाद प्रदेश के सभी स्कूलों और कालेज में बायोमीट्रिक मशीन से शिक्षकों की हाजिरी अनिवार्य की गई है। दिसंबर, 2022 में शिक्षा विभाग ने सभी स्कूल और कालेज प्रभारियों को पत्र जारी कर बायोमीट्रिक मशीन पर ही शिक्षकों की हाजिरी सुनिश्चित करने को कहा है। प्रदेश में मार्च, 2020 से पहले कई स्कूलों और कालेज में यह मशीनें लग गई थीं।

खरीद में गड़बड़ी की शिकायतें

बायोमीट्रिक मशीनों की खरीद में गड़बड़ी की कई शिकायतें शिक्षा निदेशक के पास पहुंच चुकी हैं। निदेशक उच्चतर शिक्षा डा. अमरजीत शर्मा की ओर से एक सर्कुलर जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि निर्धारित दाम से अधिक मूल्य की मशीन खरीदने वालों पर कार्रवाई होगी। इसके लिए मशीनों को इलेक्ट्रानिक्स कारपोरेशन के माध्यम से खरीदने के निर्देश दिए गए हैं।