बिहार, ऑनलाइन डेस्क। जनता दल युनाइटेड के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव का गुरूवार की रात निधन हो गया है। उन्होंने गुरूग्राम के फोर्टिस अस्पताल में 75 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। बिहार के लोकप्रिय नेता शरद यादव के चले जाने से पूरे बिहार में शोक की लहर है। सभी नेताओं ने उनके चले जाने से शोक वयक्त कर उन्हें भावभीनी श्रध्दांजलि दी है। वैसे तो उनका जन्म मध्य प्रदेश के होशंगाबाद में हुआ था। लेकिन उनका आंखमऊ गांव से घनिष्ठ संबंध था। होली के अवसर पर शरद यादव का पूरा गांव बेसब्री से इंतजार करता था। बताया जाता है कि होली के त्योहार के दो दिन शरद यादव अपने गांव आंखमऊ में ही बिताया करते थे।
हर होली में आंखमऊ जाते थे शरद यादव
शरद यादव जितना ही बिहार की राजनीति में सक्रिय थे और दिग्गज नेता थे। लेकिन अंदर से वह इतने ही नरम, शांत और अच्छे स्वाभाव के व्यक्ति थे। वह शुरूआत से ही होली अपने गांव आंखमऊ में गांववासियों के संग मनाते थे। शरद यादव अपने लोकप्रिय होने के बावजूद भी होली पर पूरे गांव के साथ बैठते थे। गांववासियों से बातचीत करते थे। शरद यादव होली के सुअवसर पर उन परिवारों के बीच जरूर जाते थे जिनके घर किसी की मृत्यु हो जाती थी। शरद यादव की अंतिम इच्छा थी कि उनका अंतिम संस्कार उनके गांव में ही किया जाए। इसलिए अंतिम इच्छा के अनुसार शरद यादव का उनके गृह ग्राम में ही अंतिम संस्कार किया जाएगा। अंतिम संस्कार 14 जनवरी को पैतृक गांव बंदाई में होगा। दुनिया के सबसे लंबे रिवर क्रूज के उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल हुए PM मोदी, जानें 10 बड़ी बातें
नर्मदापुरम के लोगों के स्नेह में बंधे थे शरद यादव
शरद यादव का नर्मदापुरम के लोगों से विशेष लगाव था। कांग्रेस के प्रवक्ता धर्मेंद्र तिवारी शरद यादव के बेहद करीबी माने जाते हैं। उन्होंने शरद यादव के यादगार लम्हों को साझा किया है। उन्होंने बताया कि हर साल शरद यादव का होली के त्योहार पर गांव आना निश्चित होता था। लेकिन कोरोना काल ऐसा समय था जब वह गांव नहीं आ सके थे। धर्मेंद्र तिवारी ने बताया कि साल 2019 में जब वे आंखमऊ आए थे तो पूरे गांव ने उनका स्वगत किया था। उन्होंने आगे कहा कि नर्मदापुरम वासियों से शरद यादव का विशेष लगाव रहता था। साथ ही तिवारी ने यह भी बताया कि वह जब भी दिल्ली जाते थे तो वह शरद यादव के बंगले पर ही रुकते थे। साथ ही नर्मदापुरम से जो भी व्यक्ति आता था उसका विशेष स्वागत सत्कार किया जाता था।