आयोग ने कहा कि सतर्कता अधिकारियों को जवाबदेह बनाया जाना महत्वपूर्ण है। ऐसे में उन्हें सौंपे गए कर्तव्यों के निर्वहन में गोपनीयता से समझौता किए जाने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है। बता दें कि यह आदेश 13 जनवरी को जारी किया गया है।
नई दिल्ली, एजेंसी। केंद्रीय सतर्कता आयोग ने बैंकों, बीमा कंपनियों और केंद्र सरकार के विभागों से भ्रष्टाचार के मामलों की जांच में सेवानिवृत्त कर्मचारियों को शामिल नहीं करने को कहा है। बता दें कि कुछ संगठन भ्रष्टाचार को लेकर अपने सेवानिवृत्त कर्मचारियों को जांच अधिकारी नियुक्त कर रहे थे। इसको देखने के बाद ही सतर्कता आयोग ने इस संबंध में आदेश दिया है।
सतर्कता अधिकारियों को जवाबदेह बनाना जरूरी
आयोग ने कहा कि सतर्कता अधिकारियों को जवाबदेह बनाया जाना महत्वपूर्ण है। ऐसे में उन्हें सौंपे गए कर्तव्यों के निर्वहन में गोपनीयता से समझौता किए जाने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है। लेकिन यह सेवानिवृत्त अधिकारियों के मामले में संभव नहीं है क्योंकि रिटायरमेंट के बाद उनपर कोई भी कदाचार के आचरण और अनुशासनात्मक नियम लागू नहीं होते हैं।
सभी विभागों को भेजा गया आदेश
आयोग ने अगस्त 2000 में निर्देश दिया था कि किसी भी संगठन में सतर्कता अधिकारी फुलटाइम कर्मचारी होंगे और विजिलेंस कार्यों को करने के लिए सेवानिवृत्त कर्मचारी को सलाहकार के रूप में नियुक्त नहीं किया जाना चाहिए। इसके बावजूद कुछ संगठनों को अभी भी जांच के लिए सेवानिवृत्त कर्मचारियों को नियुक्त करते हुए देखा गया है। बता दें कि यह आदेश 13 जनवरी को जारी किया गया है।
इसे केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों/विभागों के सचिवों, केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों, बैंकों और बीमा कंपनियों सहित अन्य को भेज दिया गया है। इसके साथ आयोग ने इस आदेश को सख्ती से पालन करने की बात कही है।
महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जांच अधिकारी
केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने कहा कि जांच अधिकारी और अन्य सतर्कता अधिकारी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे बयान दर्ज करने, मामले के विभिन्न पहलुओं की जांच करने, जांच रिपोर्ट तैयार करने और दस्तावेजों को सुरक्षित रखने के लिए जिम्मेदार होते हैं। जांच प्रक्रिया किसी भी तरह से प्रभावित ना हो, इसलिए यह निर्देश आवश्यक है। वहीं, भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकर्ता अजय दुबे ने कहा कि सभी संबंधित अधिकारियों को सीवीसी के निर्देश का पूरी तरह से पालन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी भी भ्रष्टाचार के मामले की निष्पक्ष जांच सबसे महत्वपूर्ण है।
केंद्रीय सरकार के सभी विभागों, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और बीमा कंपनियों को भ्रष्टाचार के मामलों की जांच में किसी तरह के अनुचित प्रभाव की संभावनाओं को खत्म करने के लिए सीवीसी के आदेश को कड़ाई से मानना चाहिए।