भारत-पाक सीमा से सटे क्षेत्र के दो पुल रात होते ही अंधेरे की आगोश में चले जाते हैं। रात में अंधेरे की वजह से यह सुरक्षा की दृष्टि से बेहद घातक साबित हो सकता है अंधेरे की वजह से पुल और इसके आसपास होने वाली गतिविधियों का पता नहीं चलता।
बमियाल, संवाददाता : भारत-पाक सीमा से सटे क्षेत्र के दो पुल रात होते ही अंधेरे की आगोश में चले जाते हैं। रात्रि के समय अंधेरा होने की वजह से यह सुरक्षा की दृष्टि से बेहद घातक साबित हो सकता है, क्योंकि अंधेरे की वजह से पुल और इसके आसपास होने वाली गतिविधियों का पता नहीं चल पाता। सुरक्षा की दृष्टि से यह दोनों पुल अति संवेदनशील माने जाते हैं और इन के माध्यम से ही जिले में प्रवेश हो पाता है। लिहाजा इसकी गंभीरता को देखते हुए इस तरफ ध्यान देने की जरूरत है।
Jagran
भारत-पाक सीमा से सटे क्षेत्र के दो पुल रात होते ही अंधेरे की आगोश में चले जाते हैं। रात में अंधेरे की वजह से यह सुरक्षा की दृष्टि से बेहद घातक साबित हो सकता है अंधेरे की वजह से पुल और इसके आसपास होने वाली गतिविधियों का पता नहीं चलता।
बमियाल, संवाददाता : भारत-पाक सीमा से सटे क्षेत्र के दो पुल रात होते ही अंधेरे की आगोश में चले जाते हैं। रात्रि के समय अंधेरा होने की वजह से यह सुरक्षा की दृष्टि से बेहद घातक साबित हो सकता है, क्योंकि अंधेरे की वजह से पुल और इसके आसपास होने वाली गतिविधियों का पता नहीं चल पाता। सुरक्षा की दृष्टि से यह दोनों पुल अति संवेदनशील माने जाते हैं और इन के माध्यम से ही जिले में प्रवेश हो पाता है। लिहाजा इसकी गंभीरता को देखते हुए इस तरफ ध्यान देने की जरूरत है।
आतंकी कथलौर पुल के रास्ते से ही पठानकोट में दाखिल हुए थे
जानकारी के अनुसार भारत-पाक सीमा से महज एक किलोमीटर दूर बमियाल के उज्ज दरिया पर बनाए गए पक्के पुल पर सोलर लाइट की व्यवस्था तो की गई है, लेकिन उक्त लाइट लंबे समय से खराब हैं। वहीं बार्डर से लगभग छह किलोमीटर दूरी पर रावी दरिया के कथलौर पुल पर पुल बनाते समय स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था की गई थी, लेकिन यह भी कुछ समय चलने के बाद जवाब दे गईं। इन्हें दोबारा ठीक करवाने का प्रयास तक नहीं किया गया। गौरतलब है कि दो जनवरी 2016 को पठानकोट एयर बेस पर आतंकी हमला करने वाले आतंकी कथलौर पुल के रास्ते से ही पठानकोट में दाखिल हुए थे।आतंकियों की ओर से 31 दिसंबर 2015 की रात इसी पुल के निकट एक टैक्सी चालक की हत्या कर दी गई थी और इस पुल से कुछ ही दूरी पर एक नहर से पुलिस के एक एसपी रैंक के अधिकारी को उनके साथियों और गाड़ी सहित हाईजैक कर लिया था, जिसके बाद आतंकी इसी पुल से होते हुए पठानकोट में प्रवेश कर गए थे व आतंकी हमले को अंजाम दिया था। इसके बाद तत्कालीन सरकार ने यहां पुल पर सुरक्षा की हर जरूरत को पूरा करने का निर्देश जारी किया था, लेकिन यहां आज तक बंद पड़ी लाइट को शुरू नहीं करवाया जा सका है।
जानकारी के अनुसार भारत-पाक सीमा से महज एक किलोमीटर दूर बमियाल के उज्ज दरिया पर बनाए गए पक्के पुल पर सोलर लाइट की व्यवस्था तो की गई है, लेकिन उक्त लाइट लंबे समय से खराब हैं। वहीं बार्डर से लगभग छह किलोमीटर दूरी पर रावी दरिया के कथलौर पुल पर पुल बनाते समय स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था की गई थी, लेकिन यह भी कुछ समय चलने के बाद जवाब दे गईं। इन्हें दोबारा ठीक करवाने का प्रयास तक नहीं किया गया। गौरतलब है कि दो जनवरी 2016 को पठानकोट एयर बेस पर आतंकी हमला करने वाले आतंकी कथलौर पुल के रास्ते से ही पठानकोट में दाखिल हुए थे।आतंकियों की ओर से 31 दिसंबर 2015 की रात इसी पुल के निकट एक टैक्सी चालक की हत्या कर दी गई थी और इस पुल से कुछ ही दूरी पर एक नहर से पुलिस के एक एसपी रैंक के अधिकारी को उनके साथियों और गाड़ी सहित हाईजैक कर लिया था, जिसके बाद आतंकी इसी पुल से होते हुए पठानकोट में प्रवेश कर गए थे व आतंकी हमले को अंजाम दिया था। इसके बाद तत्कालीन सरकार ने यहां पुल पर सुरक्षा की हर जरूरत को पूरा करने का निर्देश जारी किया था, लेकिन यहां आज तक बंद पड़ी लाइट को शुरू नहीं करवाया जा सका है।
पकिस्तान के सथ जम्मू-कश्मीर की सीमा से भी सटा
बता दें कि यह यह क्षेत्र पकिस्तान के साथ-सथ जम्मू-कश्मीर की सीमा से भी सटा हुआ है। अकसर असामाजिक तत्वों की ओर से सुरक्षा में कमी की तलाश की जाती है, ऐसे में उक्त पुलों पर पसरा अंधेरा सुरक्षा में छेद बन सकता है। पुलिस अधिकारियों का भी मानना है कि अंधेरे की वजह से दोनों पुलों पर तैनात पुलिस कर्मचारियों को भी चेकिंग के दौरान दिक्कत का सामना करना पड़ता है। बमियाल के उज्ज दरिया पर बनाए गए पक्के पुल पर पुलिस का पक्का नाका स्थापित किया गया है।
बता दें कि यह यह क्षेत्र पकिस्तान के साथ-सथ जम्मू-कश्मीर की सीमा से भी सटा हुआ है। अकसर असामाजिक तत्वों की ओर से सुरक्षा में कमी की तलाश की जाती है, ऐसे में उक्त पुलों पर पसरा अंधेरा सुरक्षा में छेद बन सकता है। पुलिस अधिकारियों का भी मानना है कि अंधेरे की वजह से दोनों पुलों पर तैनात पुलिस कर्मचारियों को भी चेकिंग के दौरान दिक्कत का सामना करना पड़ता है। बमियाल के उज्ज दरिया पर बनाए गए पक्के पुल पर पुलिस का पक्का नाका स्थापित किया गया है।
रात में नहीं है लाइट की व्यवस्था
जम्मू-कश्मीर से आने वाले वाहन इस पुल के माध्यम से बमियाल, नरोट जैमल सिंह से होते हुए जिले में प्रवेश करते हैं। सुरक्षा की दृष्टि से यह पुल काफी संवेदनशील है इसके अतिरिक्त रावी दरिया के कथलौर पुल पर भी पुलिस का पक्का नाका स्थापित किया गया है। यहां भी नाके पर तैनात पुलिस कर्मचारियों की ओर से वाहनों की गहनता से जांच की जाती है। यहां पुलिस ने विशेष इंतजाम किए हुए हैं, लेकिन रात को लाइट की व्यवस्था नहीं होने के कारण पुलिस को भी जांच में दिक्कतें पेश आती हैं। दूर से उक्तों पुलों पर निगाह रख पाना असंभव हो जाता है, क्योंकि अंधेरे की वजह से पुल और उसके आसपास कुछ भी दिखाई नहीं देता।
एसएसपी की ओर से कुछ दिन पहले बार्डर क्षेत्र की सुरक्षा व्यवस्था जांचने के लिए रात्रि में निरीक्षण किया था। लाइट होने के चलते उन्होंने कथलौर पुल की सुरक्षा की समीक्षा टार्च के सहारे की थी l फाइल फोटो
कथलौर पुल पर सोलर लाइटें लगवाई गईं थी, लेकिन ये भी कुछ दिन ही चली थीं। (दाएं) उज्ज दरिया पर लगी
जम्मू-कश्मीर से आने वाले वाहन इस पुल के माध्यम से बमियाल, नरोट जैमल सिंह से होते हुए जिले में प्रवेश करते हैं। सुरक्षा की दृष्टि से यह पुल काफी संवेदनशील है इसके अतिरिक्त रावी दरिया के कथलौर पुल पर भी पुलिस का पक्का नाका स्थापित किया गया है। यहां भी नाके पर तैनात पुलिस कर्मचारियों की ओर से वाहनों की गहनता से जांच की जाती है। यहां पुलिस ने विशेष इंतजाम किए हुए हैं, लेकिन रात को लाइट की व्यवस्था नहीं होने के कारण पुलिस को भी जांच में दिक्कतें पेश आती हैं। दूर से उक्तों पुलों पर निगाह रख पाना असंभव हो जाता है, क्योंकि अंधेरे की वजह से पुल और उसके आसपास कुछ भी दिखाई नहीं देता।
एसएसपी की ओर से कुछ दिन पहले बार्डर क्षेत्र की सुरक्षा व्यवस्था जांचने के लिए रात्रि में निरीक्षण किया था। लाइट होने के चलते उन्होंने कथलौर पुल की सुरक्षा की समीक्षा टार्च के सहारे की थी l फाइल फोटो
कथलौर पुल पर सोलर लाइटें लगवाई गईं थी, लेकिन ये भी कुछ दिन ही चली थीं। (दाएं) उज्ज दरिया पर लगी
लाइट लगवाना बीआरओ का काम नहीं
अधिकारी पहले यह पुल स्थानीय लोक निर्माण विभाग के अधीन आता था अब इस पुल का जिम्मा बार्डर रोड आर्गेनाइजेशन (बीआरओ) विभाग के अधीन है। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि विभाग का काम पुल की मरम्मत करना है। विभाग के अधिकारी मुकेश वर्मा ने कहा कि लाइट की व्यवस्था करना उनके विभाग का काम नहीं है।
प्रशासन ने अमल करना शुरू कर दिया हैएसडीएम पठानकोट के एसडीएम कालाराम कंसल ने कहा कि मामला प्रशासन के ध्यान में आया है जिला प्रशासन की ओर से इस मामले को हलके के विधायक एवं कैबिनेट मंत्री लालचंद के ध्यान में भी लाया गया है। प्रशासन की ओर से इस पर अमल करना शुरू कर दिया गया है कि जल्द से जल्द लाइट की व्यवस्था करवाई जा सके।
अधिकारी पहले यह पुल स्थानीय लोक निर्माण विभाग के अधीन आता था अब इस पुल का जिम्मा बार्डर रोड आर्गेनाइजेशन (बीआरओ) विभाग के अधीन है। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि विभाग का काम पुल की मरम्मत करना है। विभाग के अधिकारी मुकेश वर्मा ने कहा कि लाइट की व्यवस्था करना उनके विभाग का काम नहीं है।
प्रशासन ने अमल करना शुरू कर दिया हैएसडीएम पठानकोट के एसडीएम कालाराम कंसल ने कहा कि मामला प्रशासन के ध्यान में आया है जिला प्रशासन की ओर से इस मामले को हलके के विधायक एवं कैबिनेट मंत्री लालचंद के ध्यान में भी लाया गया है। प्रशासन की ओर से इस पर अमल करना शुरू कर दिया गया है कि जल्द से जल्द लाइट की व्यवस्था करवाई जा सके।