केजरीवाल ने दिल्ली LG वीके सक्सेना से की मुलाकात, सीएम बोले- जरूरत हुई तो उनके पैर भी पकड़ेंगे

 


दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना से की मुलाकात

Delhi Politics दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना से मुलाकात की है। इस मुलाकात के बाद सीएम केजरीवाल ने कहा कि उनसे सभी मुद्दों पर बात हुई है। केजरीवाल ने आगे कहा कि अगर जरूरत हुई तो उनके पैर भी पकड़ लेंगे

नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को उपराज्यपाल (एलजी) विनय कुमार सक्सेना के साथ मुलाकात की। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की राजनिवास में एलजी वीके सक्सेना के साथ मुलाकात हुई है। 

मुलाकत के बाद केजरीवाल ने की प्रेसवार्ता

उपराज्यपाल के साथ मुलाकात के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने प्रेस वार्ता की। सीएम केजरीवाल ने कहा कि लंबी चर्चा हुई। उन्होंने प्रेस वार्ता में कहा कि उपराज्यपाल से सभी मुददों पर बात की गई है। केजरीवाल ने कहा कि उनसे कहा कि सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट आदेश है कि एलजी केवल अपने आरक्षित विषयों पर ही निर्णय ले सकते हैं, स्थानांतरित विषयों पर नहीं। 

उपराज्यपाल ने नहीं मानी गलती- CM केजरीवाल

केजरीवाल ने आगे कहा कि हालांकि एलजी ने नहीं माना। उनका कहना था कि मैं प्रशासक हूं, इसलिए हर मामले में निर्णय ले सकता हूं। बकौल सीएम, उन्हें अदालतों के कई आदेश दिखाए और बताए गए, लेकिन उन्होंने अपनी गलती नहीं मानी। 

केजरीवाल बोले- जरूरत हुई तो पैर भी पकड़ेंगे

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मैंने उनसे हाथ जोड़कर कहा कि मिलकर जनता के काम करते हैं, राजनीति मत कीजिए। केजरीवाल ने आगे कहा कि जरूरत हुई तो उनके पैर भी पकड़ेंगे, लेकिन जनता के काम कराएंगे। 

सीएम ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि तीन माह से सभी विभागों की सारी पेमेंट भी रूकी हुई है, अफसरों का कहना है कि एलजी हाउस से निर्देश आया हुआ है। उन्होंने आगे कहा कि मैंने एलजी साहब को संविधान का सम्मान करने तथा एक अच्छा कानूनी सलाहकार रखने की भी सलाह दी है।

केजरीवाल के बयान को राजनिवास ने बताया मनगढ़ंत

केजरीवाल की प्रेस कांफ्रेंस में दिए गए बयान पर राजनिवास के अधिकारी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों, प्रशासक के रूप में शक्तियां, सभी विषयों पर सर्वोच्चता और अधिकारियों को निर्देश भ्रामक, स्पष्ट रूप से झूठे और मनगढ़ंत हैं।  इसे तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है। इन बयानों का स्पष्ट रूप से खंडन किया जाता है।

मुख्यमंत्री को संविधान के प्रावधानों, संसदीय अधिनियमों और सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों के अनुसार कार्य करने और मौजूदा कानून को सिर्फ इसलिए कम करने से बचने की सलाह दी जाएगी क्योंकि इसे अदालत में चुनौती दी गई है।