PoK में आटे की जबरदस्त किल्लत, आसमान छू रहे हैं जरूरी चीजों के दाम

 


Pakistan occupied Kashmir on the verge of food riots

Muzaffarabad News पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में दुकानों और किराना स्टोर्स से रसोई का सामान खत्म हो रहा है। गेहूं के आटे की कमी से ब्रेड और बेकरी आइटम्स की कीमतों में भी बढ़ोतरी हुई है। कीमतें आसमान छू रही हैं।

मुजफ्फराबाद, एएनआई। Pakistan Occupied Kashmir Food Shortage: पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) खाद्य वस्तुओं की भारी कमी देखने को मिल रही है। यहां दंगे जैसे हालात बन रहे हैं। बाग और मुजफ्फराबाद (Muzaffarabad) सहित कई क्षेत्रों को आटे की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है। लोग इस्लामाबाद (Islamabad) और पीओके सरकार को खाने की भारी कमी के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।

आसमान छू रही हैं कीमतें

हालात ऐसे हैं कि एक ओर जहां सब्सिडी वाले गेहूं की सरकारी आपूर्ति लगभग पूरी तरह से बंद हो गई है, वहीं दूसरी ओर अन्य आवश्यक वस्तुओं के दाम आसमान छू रहे हैं। दुकानों और किराना स्टोर्स से रसोई का सामान खत्म हो रहा है। गेहूं के आटे की कमी से ब्रेड और बेकरी आइटम्स की कीमतों में भी बढ़ोतरी हुई है।

सरकार है जिम्मेदार

इस निराशाजनक हालात ने अराजकता की स्थिति पैदा कर दी है। पिछले कुछ दिनों में इस क्षेत्र में लोगों के बीच झड़पें भी देखी गई हैं। स्थानीय लोगों ने इस स्थिति के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। मुजफ्फराबाद में एक प्रदर्शनकारी ने कहा जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होती हैं, तब तक हम विरोध करते रहेंगे। इस विरोध का दायरा भी बढ़ सकता है, ये एक जिले से दूसरे जिले में जा सकता है। हम पूरे पीओके में विरोध कर सकते हैं। अगर गरीब लोग रोटी के लिए तरसते हैं तो इसके लिए सरकार जिम्मेदार है। ये सरकार की जिम्मेदारी है। कुछ लोगों ने कहा कि पीओके में लोगों के भोजन का मुख्य हिस्सा गेहूं है और उन्हें इस मुख्य भोजन से वंचित करने के विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं। स्थानीय लोगों ने कहा कि ये उनकी बुनियादी जरूरतों और उनके जीवन स्तर को प्रभावित करने वाली परेशानी है।

'हम भी मजबूर हैं'

एक स्थानीय व्यापारी ने कहा, "आवश्यक सामान आम आदमी की पहुंच से बाहर हैं और हम मजबूर हैं। सरकार हमारी मदद नहीं कर रही है। इस वजह से हमें होटलों को पूरी तरह से बंद करना पड़ा है। हमें अपनी आपूर्ति पूरी तरह से नहीं मिल रही है, हम भी मजबूर हैं। आटा और घी की कीमत बहुत अधिक है और आसमान छूती कीमतों से जूझने के बजाय, हमने होटलों को बंद करना बेहतर समझा।'' पीओके में लोग सात दशकों से अधिक समय से भेदभाव का शिकार हो रहे हैं और स्थिति आज भी वैसी ही बनी हुई है