साल 1992 में अजमेर में सैकड़ों लड़कियों को हवस का शिकार बनाया गया था। दरिेंदे शहर के रसूखदार परिवार से ताल्लुक रखते थे। इसी को लेकर फिल्म अजमेर-92 रिलीज होने जा रही है। इस फिल्म का विरोध भी हो रहा है।
HighLights
- द केरल स्टोरी के बाद अजमेर-92 फिल्म पर विवाद हो रहा है।
- कुछ संगठनों का कहना है कि फिल्म के जरिए मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है।
- 1992 में राजस्थान के अजमेर में सैकड़ों लड़कियों के साथ हैवानियत हुई थी।
अजमेर, ऑनलाइन डेस्क। 'द केरल स्टोरी' के बाद अब 'अजमेर-92' फिल्म पर विवाद हो रहा है। मुस्लिम संगठनों और दरगाह कमेटी ने इसका विरोध किया है। आरोप है कि फिल्म के जरिए मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है। आपको बताते हैं कि इस फिल्म पर विवाद क्यों हो रहा ह
अप्रैल महीने की एक सुबह अजमेर के एक मशहूर कॉलेज की लड़कियों की आपत्तिजनक फोटो अचानक सर्कुलेट होना शुरू हो जाते हैं। जिन लड़कियों की तस्वीरें सर्कुलेट हुई, वो अच्छे परिवारों से थी। पता चला कि इन लड़कियों के साथ दुष्कर्म किया गया था। कुछ लड़कियों के साथ तो सामूहिक दुष्कर्म हुआ था। छोटे-से शहर अजमेर में ये बात फैलने में ज्यादा देर नहीं लगी। हर एक शख्स की जुबां पर छात्राओं के साथ हुई दरिंदगी का किस्सा था।
अखबार के फ्रंट पेज पर छपी थी तस्वीरें
एक स्थानीय अखबार में पीड़ित छात्राओं की तस्वीरों को ब्लर कर फ्रंट पेज पर छापा। इसके बाद तो हड़कंप मच गया। अजमेर क्या, देशभर में इसकी चर्चा होने लगी। अखबार ने कुछ पीड़ितों के बयान भी छाप रखे थे। छात्राओं ने बयान में जो खुलासा किया, उसके बारे में जानकर हर कोई दंग रह गया था।
एक-एक कर कई लड़कियां हुईं शिकार
बयान में कहा गया कि शहर के रसूखदार परिवारों के कुछ लड़कों ने उनके साथ दुष्कर्म किया था। एक लड़की के साथ शुरू हुआ ये घिनौना सिलसिला 100 से ज्यादा लड़कियों तक पहुंच गया था। दरअसल, दुष्कर्म के दौरान छात्राओं के आपत्तिजनक फोटो खींच लिए जाते थे और फिर उन्हें शहर भर में सर्कुलेट करवाने की धमकी दी जाती थी। फोटो डिलीट करने का वादा कर पीड़ित छात्राओं से अपनी दूसरी सहेली को लाने को कहा जाता था। फिर उन्हें भी धमकी दी जाती थी। इस तरह 100 से ज्यादा छात्राएं उन दरिंदों के चंगुल में फंस गई।
अखबार में रिपोर्ट छपने के बाद पुलिस ने इसकी जांच शुरू की। जांच में पता चला कि आरोपी पीड़ित लड़कियों की तस्वीरें कैमरे वाली दुकान पर धुलवाते थे। इस तरह ये तस्वीरें दुकानदारों के हाथ भी लग गई। उन्होंने भी लड़कियों को ब्लैकमेल करना शुरू किया और दुष्कर्म किया। शहर में बदनामी होता देख लड़कियां तनाव में आ गई। कई पीड़ितों ने खुदकुशी ही कर ली।
जांच में एक और हैरान करने वाला पहलू था। दरअसल, इस दरिंदगी को अंजाम देने वाले जो आरोपी थे, वो रसूखदार परिवार से थे। मामले में मुख्य आरोपी फारुक चिश्ती, नफीस चिश्ती, अनवर चिश्ती थे। तीनों यूथ कांग्रेस के अहम पदों पर भी थे। इसके अलावा अजमेर के चर्चित चिश्ती परिवार से भी इनका नाता था।
आठ आरोपियों को उम्रकैद, आठ अब भी फरार
पुलिस की जांच से मामला अदालत तक पहुंचा। कई सुनवाई के बाद 18 आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया। आठ दरिंदों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। कुछ आरोपी तो आज भी फरार चल रहे हैं।
दरगाह कमेटी की चेतावनी
फिल्म को लेकर दरगाह कमेटी ने चेतावनी भी दी है। दरगाह कमेटी का कहना है कि किसी भी फिल्म को हिंदू-मुस्लिम एंगल से जोड़ना गलत है। दरगाह कमेटी ने कहा कि अगर अजमेर शरीफ दरगाह और ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी।