दूर के चंदा मामा पास आते ही हो गए ‘सुपरमून’, जानें पूरी कहानी

नई दिल्‍ली, Reporter: आमतौर पर दिखने वाले चांद से 6 फीसद बड़ा चांद आज आसमान में दिखेगा, जिसे ‘सुपरमून’ कहा गया है। वैसे तो हर दिन चंद्रमा दिखता है और पूर्णिमा के दिन यह अपने पूरे आकार में आसमान में अवतरित होता है फिर आज आसमान में दिखने वाले उस चांद को सुपरमून का विशेषण क्‍यों दिया गया है यह सवाल सबके मन में होगा। दरअसल, आज दिखने वाला चांद हमारी पृथ्‍वी के काफी करीब होगा जिसके कारण यह और दिनों के अपेक्षा अधिक चमकीला और बड़ा दिखाई देगा। इसलिए ही इसे सुपर फ्लावर मून और सुपरमून का नाम दिया जा रहा है।


‘सुपरमून ’ नाम देने वाले एस्‍ट्रोलॉजर थे रिचर्ड नोल्‍ले । वर्ष 1979 में आम तौर पर दिखने वाले चांद की तुलना में 6 फीसद बड़ा चांद दिखा था और तब उन्‍होंने ‘सुपरमून’ का नाम दिया। जब चांद पृथ्‍वी से अधिकतम दूरी पर होता है उसकी तुलना में सुपरमून चौदह फीसद बड़े आकार वाला है। रॉयल ऑब्‍जर्वेटरी एस्‍ट्रोनॉमर ग्रेग ब्राउन ने बताया, ‘पृथ्‍वी के चारों ओर चंद्रमा का ऑर्बिट पूरी तरह गोल नहीं है बल्‍कि यह चपटा या अंडाकार है।’



अब अगले साल आएगा धरती के करीब


वर्ष 2020 में दिखने वाले सुपरमून के सीरीज में यह अंतिम है। गत फरवरी, मार्च और अप्रैल में सुपरमून देखा जा चुका है। अगला सुपरमून वर्ष 2021 के अप्रैल माह में दिखेगा। नासा के अनुसार, इस साल के मई महीने में दिखने वाले इस पूर्णिमा के चांद को वैशाख फेस्‍टिवल मून भी कहा जा रहा है। ऐसा इसलिए क्‍योंकि यह संयोग गौतम बुद्ध की जयंती के दिन बन रहा है। इसके पहले फरवरी, मार्च और अप्रैल महीने में भी सुपरमून दिखा था। वहीं रॉयल ऑब्‍जर्वेटरी ग्रीनविच के अनुसार, आज दिखने वाले इस सुपरमून को ‘फ्लावर मून’ भी कहा जा रहा है क्‍योंकि अभी यहां फूलों के खिलने का समय है।


आज दिखने वाला पूरा चांद इस साल का अंतिम ‘सुपरमून’ है। भारत के आसमान में यह सुपरमून शाम 4.30 बजे के आस-पास होगा जिसके कारण यहां लोग इसे देखने से वंचित रह जाएंगे। चंद्रमा को ‘सुपरमून’ का विशेषण तब दिया जाता है जब इसका ऑर्बिट पृथ्‍वी के बिल्‍कुल करीब आता है। करीब आने के कारण यह अधिक चमकीला और बड़े आकार में दिखता है। आमतौर पर पृथ्वी और चंद्रमा के बीच औसत दूरी 384,400 किलोमीटर होती है। यह सुपरमून के समय घट कर कम हो जाती है। इस क्रम में आज पृथ्‍वी और चंद्रमा के बीच की दूरी 361,184 किलोमीटर रह जाएगी।