दलित मुद्दे पर पहले से घिरी पंजाब कांग्रेस की मुसीबत बढ़ी, बिट्टू ने डाला सुलगती आग में घी


कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू और पंजाब के सीएम कैप्‍टन अमरिंदर सिंह की फाइल फोटो।

पंजाब कांग्रेस राज्‍य की सियासत में दलित मुद्दे घिर गई है। इस मुद्दे पर पहले से घिरी पार्टी की मुसीबत बढ़ गई है। पूरे मामले में रवनीत सिंह बिट्टू की बसपा को लेकर बयान ने आग में घी डालने का काम किया।

चंडीगढ़। दलित मुद्दों पर सत्तारूढ़ कांग्रेस की परेशानियां बढ़ती ही जा रही हैं। दलितों के मुद्दों को लेकर पार्टी के अंदर पहले से ही असंतोष चल रहा था और ऐसे में कांग्रेस के सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने सुलगती आग में घी डाल दिया है। बिट्टू के आनंदपुर साहिब और चमकौर साहिब विधान सभा सीटों को बहुजन समाज पार्टी को देने को लेकर विवादित टिप्पणी पर सियासत गर्मा गई है।

कांग्रेस पहले ही अपने अंतर्कलह से गुजर रही थी और ऐसे में बिट्टू की टिप्पणी ने उसकी परेशानी और बढ़ा दी है। कांग्रेस की स्थिति यह है कि उसका कोई भी नेता स्थिति को संभालने के लिए आगे नहीं आ पा रहा है। राज्य एससी आयोग ने बिट्टू को नोटिस जारी कर दिया है और राष्ट्रीय एससी आयोग के पास भी शिकायत जा चुकी है।

पंजाब कांग्रेस के अंदर ही दलित मुद्दों लेकर चल रहा था असंतोष

पंजाब की राजनीति में दलितों का खासा योगदान है। राज्य की 117 में से 34 सीटें एससी के लिए सुरक्षित है तो दलितों की आबादी 34 फीसदी के करीब है। महत्वपूर्ण यह है कि राज्य में किसी भी पार्टी की सत्ता लेकिन जिस तरफ दलितों का झुकाव ज्यादा रहता है सरकार उसी की बनती है। वर्तमान में कांग्रेस के पास 22 दलित विधायक है। कांग्रेस के अंदर पहले से ही इस बात को लेकर कलेश था कि दलितों को बनता मान-सम्मान नहीं दिया गया।

2022 के विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस की बढ़ सकती है परेशानियां

यही कारण है कि पार्टी हाईकमान दलित कोटे से एक मुख्यमंत्री बनाने पर भी विचार कर रही थी। वहीं, विपक्षी दल 2020 में एससी विद्यार्थियों के लिए केंद्रीय योजना पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप घोटाले, स्कालरशिप नहीं मिलने के कारण प्राइवेट शिक्षण संस्थानों व कालेजों द्वारा दो लाख विद्यार्थियों के रोल नंबर रोकने के मुद्दे को लेकर घेर रही थी। विपक्ष पोस्ट मैट्रिक स्कालपशिप घोटाले में सीधे-सीधे कैबिनेट मंत्री साधु सिंह धर्मासोत को कैबिनेट से बर्खास्त करने की मांग कर रहे है।

कांग्रेस के लिए यह परेशानी कम नहीं हो रही थी कि अकाली दल ने बसपा के साथ समझौता कर लिया। चूंकि भारतीय जनता पार्टी ने पहले ही दलित मुख्तमंत्री का कार्ड खेल रखा है, एसे में शिअद और बसपा का समझौता कांग्रेस के दलित लैंड को हिलाने के लिए मजबूत आधार बनता माना जा रहा है।

शिअद के प्रधान सुखबीर बादल ने भी दलित को उपमुख्यमंत्री बनाने की घोषणा कर रखी है। इधर बसपा और शिअद गठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर रवनीत बिट्टू ने एतराज जताया। उन्‍होंने आनंदपुर साहिब और चमकौर साहिब जैसे पंथक सीटों को बसपा के लिए छोड़ने पर शिअद पर सवाल उठा दिया। बिट्टू की टिप्‍पणी से ,खासा विवाद पैदा हो गया। राज्य एससी आयोग ने तो बिट्टू को स्वयं पेश होने का नोटिस जारी कर दिया तो भाजपा ने बिट्टू के खिलाफ राष्ट्रीय एससी आयोग के पास शिकायत कर दी है।

दलित स्कालरशिप को लेकर कांग्रेस के राज्य सभा सदस्य शमशेर सिंह दूलो मुख्यमंत्री के घर के बाहर धरना देने की बात कह रहे है। वहीं, बिट्टू के बयान को लेकर पार्टी में ही खासा गुस्सा पनप रहा है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि पार्टी पर पहले ही दलितों का हितैषी नहीं होने का आरोप लग रहा था, ऐसे में बिट्टू ने बयान देकर आग में घी डालने का काम किया।

वहीं, पार्टी हाईकमान भी इस मुद्दे को समझ नहीं पा रहा है। चुनाव नजदीक है। अगर इस संबंध में जल्द ही कोई कदम नहीं उठाया गया तो कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ सकता है। वहीं, बिट्टू के बयान को लेकर पार्टी की तरफ से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।