सर्वोच्च न्यायालय ने आगरा में कोविड मरीजों से निर्धारित से ज्यादा बिल वसूली मामले को संज्ञान में लिया

 


महामारी में कोविड अस्पतालों द्वारा ज्याद बिल बनाने पर सवाल उठे थे।

सत्यमेव जयते ट्रस्ट के शिकायती पत्र को सर्वोच्च न्यायालय ने जनहित याचिका के रूप में किया स्वीकार। कोविड अस्पतालों द्वारा निर्धारित से ज्यादा बिल लिए जाने वालों को न्याय दिलाने का किया था आग्रह। महामारी में कोविड अस्पतालों द्वारा ज्याद बिल बनाने पर सवाल उठे थे।

आगरा, संवाददाता। कोरोना की दूसरी लहर के प्रकोप के दौरान कोविड अस्पतालों ने मरीजों से निर्धारित से ज्यादा बिल वसूला था। महामारी में कोविड अस्पतालों द्वारा ज्याद बिल बनाने पर सवाल उठे थे। मामले में आगरा की सत्यमेव जयते ट्रस्ट ने सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को शिकायत पत्र लिखा था। जिसमें निर्धारित से ज्यादा शुल्क लिए जाने की शिकायत दर्ज न कराने वाले पीड़ितों को भी न्याय दिलाने की अपील की गई थी। ट्रस्ट के इस शिकायती पत्र को सर्वोच्च न्यायालय ने संज्ञान में लेते हुए जनहित याचिका के रूप में स्वीकार किया है।

कोरोना की दूसरी लहर के प्रकोप से निपटने के लिए प्रशासन ने कोविड अस्पताल बनाए थे। शासन ने मरीजों के लिए इलाज के लिए शुल्क भी निर्धारित किया गया था। सत्यमेव जयते ट्रस्ट के अनुसार इस दौरान कई कोविड अस्पतालों द्वारा मरीजों से निर्धारित शुल्क से अधिक धनराशि वसूलने की शिकायत मिली थीं। हालांकि उच्च न्यायालय द्वारा गठित महामारी लोक शिकायत निवारण समिति ने ऐसी शिकायतों का निराकरण कर पीड़ितों को न्याय दिलाया। वहीं कई मरीज ऐसे भी हैं, जिन्होंने अस्पतालों द्वारा निर्धारित शुल्क से ज्यादा वसूली की शिकायत नहीं की।

सत्यमेव जयते ट्रस्ट द्वारा ऐसे मरीजों और पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय को शिकायती पत्र लिखा था। इसमें मरीजों और मृतकाें के स्वजन से वसूली गई ज्यादा धनराशि को उन्हें वापस कराने के लिए जिला प्रशासन व आइएमए को आदेश पारित करने की अपील की थी। ट्रस्ट के पदाधिकारी मुकेश जैन ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय ने शिकायती पत्र को संज्ञान में लिया है।