पाकिस्तान में पिछले दिनों चले सियासी घमासान में विदेशी ताकत की साजिश का मुद्दा छाया रहा। ये मुद्दा इस्लामाबाद हाईकोर्ट में भी उठा और याचिकाकर्ता ने इसकी जांच कराने की मांग की। कोर्ट ने इसको खारिज कर दिया है।
इस्लामाबाद। इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें पूर्व पीएम इमरान खान और उनकी कैबिनेट के अन्य साथियों का नाम एग्जिट कंट्रोल लिस्ट में शामिल करने की मांग की गई थी। जियो न्यूज की दी जानकारी के मुताबिक कोर्ट ने अपने फैसले में याचिकाकर्ता पर एक लाख जुर्माना भी लगाया है। याचिकाकर्ता ने अपनी अपील में ये भी मांग की थी कि इमरान खान द्वारा दिखाए गए धमकी भरे खत की भी जांच की जानी चाहिए। बता दें कि कोर्ट ने इस मामले में अपना आदेश रिजर्व कर लिया था। जियो न्यूज के मुताबिक ये याचिका मौलवी इकबाल हैदर ने इमरान खान के पीएम पद से हटने के बाद दायर की थी।
कोर्ट का पांच पन्नों का आदेश
सोमवार को कोर्ट के चीफ जस्टिस अथर मिनाल्लाह ने इस याचिका पर पांच पेज का आदेश पढ़कर सुनाया। कोर्ट का कहना था कि याचिकाकर्ता क्यों इस मुद्दे को तूल देकर इसका राजनीतिकरण करना चाहते हैं। कोर्ट ने ये भी कहा कि ये केंद्र की जिम्मेदारी है। याचिकाकर्ता से कोर्ट ने पूछा कि इस मामले को लेकर वो यहां क्यों आए हैं। इस पर याचिकाकर्ता का कहना था कि उन्होंने देश के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ के खिलाफ देशद्रोह का मामला दायर किया था। उनके ही कारण परवेज मुशर्रफ के खिलाफ एक्शन लेना पड़ा था।
कोर्ट का सख्त रुख
कोर्ट ने याचिकाकर्ता के इस जवाब पर कहा कि मुशर्रफ की तुलना इमरान खान से नहीं की जानी चाहिए क्योंकि वो एक चुने गए प्रधानमंत्री थे। कोर्ट ने ये भी पूछा कि अपनी याचिका के तहत वो क्या चाहते हैं। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि इमरान खान की बदौलत अमेरिका और पाकिस्तान के रिश्तों में विवाद पैदा हुआ है। याचिकाकर्ता का कहना था कि विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर पहले तो इमरान खान पूरी तरह से खामोश रहे। बाद में उन्होंने एक धमकी भरा खत सामने रख दिया और कहा कि उन्हें पद से हटाने के लिए विदेशी ताकतों के साथ मिलकर विपक्ष साजिश कर रहा है।
इमरान खान पर खड़े किए सवाल
याचिकाकर्ता ने कहा कि पीएम ने साउथ एंड सेंट्रल एशियन अफेयर्स के असिसटेंट सेक्रेट्री आफ स्टेट डोनाल्ड लू के नाम का उजागर किया। हालांकि, अमेरिका ने पाकिस्तान की इमरान सरकार को गिराने में अपनी भूमिका से साफ इनकार किया है। अमेरिका ने ये भी कहना है कि उनकी तरफ से कोई खत नहीं लिखा गया था। याचिकाकर्ता का कहना था कि इस खत की जांच होनी चाहिए।
इंटरनेशनल कोर्ट में उठाया जाना चाहिए मामला
याचिकाकर्ता ने ये भी कहा कि केंद्र सरकार को इसकी जांच करवानी चाहिए और इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में उठाना चाहिए। हैदर का कहना था कि इमरान खान के खिलाफ देशद्रोह का भी मामला बनता है। उनका कहना था कि इसी तरह का मामला शाह महमूद कुरैशी, फवाद चौधरी, कासिम सूरी और असद माजिद के खिलाफ भी बनता है। इन सभी को ट्रायल कोर्ट के हवाले किया जाना चाहिए। याचिकाकर्ता ने कहा कि अमेरिका जब इमरान खान के दावे को नकार चुका है तो इसकी जांच जरूरी है।