ज्ञानवापी मामले पर बोले मल्लिकार्जुन खड़गे, लोगों के बीच मतभेद पैदा करने की है मंशा

 

ज्ञानवापी मामले पर बोले मल्लिकार्जुन खड्गे, लोगों के बीच मतभेद पैदा करना चाहते हैं कुछ लोग

ज्ञानवापी मामले पर कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड्गे ने कहा कि इसके पीछे लोगों को बांटने की मंशा है। उन्होंने 1947 में मस्जिद मंदिर व अन्य धार्मिक स्थलों के हालात का जिक्र किया और उस वक्त गठित कानून का भी हवाला दिया।

बेंगलुरु, एएनआइ। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खडगे ने मंगलवार को ज्ञानवापी मामले का जिक्र किया और कहा कि कुछ लोग लोगों के बीच मतभेद की कोशिश में हैं। उन्होंने कहा, 'ज्ञानवापी मामला कोर्ट में है। अभी उसपर कुछ भी कहना सही नहीं है। ये जो नए-नए मुद्दे निकल रहे हैं, यह देश के लिए अच्छा नहीं है। यह हमारे देश के लोकतांत्रिक व्यवस्था को बिगाड़ने के लिए है। लेकिन 1947 में सभी मस्जिदों, मंदिरों व अन्य धार्मिक स्थलों में होने वाली पूजा के दर्जे को बरकरार रखना होगा। इसलिए इस संबंध में एक कानून भी बना था।इसके पीछे लोगों को बांटने की मंशा है।'

हरिद्वार:  साधु-संतों का लिया जाएगा मार्गदर्शन 

काशी की ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग मिलने से यह आरोप सच साबित होने लगा है कि मंदिर तोड़कर उस स्थान पर मस्जिद बनाई गई थी। इसके साथ ही इस मामले को लेकर विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की सक्रियता बढ़ने लगी है। अब तक अयोध्या में राममंदिर निर्माण पूरा होने तक दूसरा कोई एजेंडा हाथ में न लेने की रणनीति पर काम कर रही विहिप ने अब ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर आगे बढ़ने की तैयारी शुरू कर दी है। हालांकि, इस पर कोई भी निर्णय संगठन की केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक में लिया जाएगा। यह बैठक 11-12 जून को हरिद्वार में है। विहिप के शीर्ष नेतृत्व के अनुसार, इस बैठक में उपस्थित देश के प्रमुख साधु-संतों को ज्ञानवापी प्रकरण पर अब तक के घटनाक्रम से अवगत कराया जाएगा, साथ ही आगे की रणनीति को लेकर उनसे मार्गदर्शन लिया जाएगा। वैसे, विहिप इस मामले में अति सक्रियता दिखाने के मूड में नहीं है। वह आगे किसी भी कदम के लिए न्यायालय के निर्णय का इंतजार करेगी। उल्लेखनीय है कि वर्ष 1984 में विज्ञान भवन में आयोजित धर्म संसद में जब विहिप ने रामध्वज थामा था और आंदोलन की घोषणा की थी, तब उसने मथुरा-काशी का भी संकल्प लिया था।