साइबर सिक्योरिटी में बढ़ते मौके, एक्सपर्ट्स निभा सकते हैं बड़ी भूमिका

 

केपीएमजी कंपनियां बढ़े पैमाने पर इन्हें नियुक्त कर रही हैं।

इंटरनेट आधारित कामकाज के तेजी से बढ़ने से हैकिंग/फिशिंग का खतरा भी उतना ही बढ़ा है। ऐसे में देश और दुनिया में सरकारी और निजी दोनों ही स्तरों पर डिजिटल छेड़छाड़ और चोरी से बचाने के लिए साइबर सिक्योरिटी में काबिल युवाओं की मांग भी बढ़ी है...

 आइटी इंडस्ट्री में करियर बनाने के तमाम प्रकार के विकल्प मौजूद हैं। लेकिन इसमें साइबर सिक्योरिटी एक ऐसा फील्ड है, जहां विशेषज्ञों की मांग निरंतर बनी हुई है। दरअसल, दुनियाभर में कंपनियों द्वारा इंटरनेट आधारित कंप्यूटिंग एवं कनेक्टिविटी पर जोर दिए जाने से हैकिंग एवं साइबर अटैक के मामले काफी बढ़ गए हैं। भारत की ही बात करें, तो इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रेस्पांस टीम (सीईआरटी) के अनुसार, इस साल जनवरी-फरवरी में साइबर सिक्योरिटी से जुड़े कुल 2.12 लाख से अधिक मामले दर्ज किए गए। नैसकाम की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में आइटी का विशाल टैलेंट पूल होने के बावजूद साइबर एक्सपर्ट्स की कमी है। इस समय देश को कम से कम दस लाख साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स की जरूरत है। केपीएमजी कंपनियां बढ़े पैमाने पर इन्हें नियुक्त कर रही हैं।

बहुत समय नहीं हुआ है, जब वानाक्राई रैनसमवेयर ने दुनियाभर के 150 देशों के करीब दो लाख कंप्यूटर्स को संक्रमित कर दिया था। इससे तमाम देशों को भारी नुकसान उठाना पड़ा था। तभी से वैश्विक स्तर पर डाटा सिक्योरिटी से लेकर मजबूत साइबर कानून की जरूरत महसूस की जाने लगी थी। भारत की बात करें, तो डिजिटाइजेशन की प्रक्रिया को गति मिलने से कंपनियां अपने कामकाज को तेजी से डिजिटल मोड पर ले जा रही हैं। छोटे व्यापारी तक आनलाइन कारोबार का रुख कर रहे हैं। महामारी के दौरान तो आनलाइन एजुकेशन एवं हेल्थ सेक्टर ने भी रफ्तार पकड़ ली है। सब्जी-फल विक्रेताओं, टैक्सी चालकों से लेकर हर कोई आनलाइन या वालेट आधारित पेमेंट कर रहे हैं। इन सबसे कहीं न कहीं साइबर हमले का खतरा बढ़ा है और इस कारण बढ़ रही है साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स की मांग।

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क्या है साइबर सिक्योरिटी: साइबर सिक्योरिटी अथवा सेफ्टी एक प्रकार की सुरक्षा है जो इंटरनेट से जुड़े सिस्टम के लिए सिक्युरिटी होती है। इसके माध्यम से हार्डवेयर एवं साफ्टवेयर के डाटा को सिक्योर बनाया जाता है, ताकि किसी भी प्रकार के डाटा की चोरी न हो। सभी दस्वातेज और फाइल्स सुरक्षित रहें। इसके अंतर्गत एथिकल हैकर्स की एक पूरी टीम होती है जो नेटवर्क, कंप्यूटर सिस्टम, प्रोग्राम को सिक्योर रखने के साथ डाटा की चोरी, उसके डिलीट होने या किसी भी डिवाइस को नुकसान पहुंचाने से बचाती है। इन्हें साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स कहते हैं।

क्यों जरूरी है साइबर सिक्योरिटी: अक्सर आपने फेसबुक पर अपने दोस्तों को एक संदेश लिखते देखा होगा, ‘मेरा एक ही फेसबुक अकाउंट है। मैंने कोई दूसरा अकाउंट नहीं खोला है और न ही किसी को रिक्वेस्ट भेजी है?’ कुछ लोग यह भी लिखते दिखाई देते हैं कि उन्होंने पैसे की जरूरत को लेकर कोई लिंक शेयर नहीं किया है या मैसेंजर पर कोई मैसेज नहीं भेजा है। कृपया उसे नजरअंदाज कर दें। इसी प्रकार, बहुत से यूजर्स इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट की जाने वाली तस्वीरों के साथ भी छेड़छाड़ होने की शिकायत करते हैं। ये सभी मामले हैकिंग के अंतर्गत आते हैं। कहने का तात्पर्य है कि हमारे कंप्यूटर सिस्टम, लैपटाप या स्मार्टफोन में इमेज, पीडीएफ, टेक्स्ट डाक्यूमेंट या अन्य प्रकार के जो डाटा स्टोर होते हैं, उन्हें सुरक्षित रखने के लिए साइबर सिक्योरिटी जरूरी है। इसके अलावा, कंपनियों, बैंकों एवं फाइनेंशियल संस्थाओं को भी अपने डाटा सुरक्षित रखने होते हैं। आजकल तमाम सरकारी कामकाज भी इंटरनेट की मदद से हो रहे हैं। ऐसे में राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनयर कई गोपनीय एवं संवेदनशील डाटा एवं इंफार्मेशन को सुरक्षित रखना बहुत जरूरी होता है।

शैक्षिक योग्यता एवं बुनियादी कुशलता: साइबर सिक्योरिटी के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए साइंस स्ट्रीम से 12वीं पास करने के बाद कंप्यूटर साइंस में बीटेक और एमटेक जैसे कोर्स कर सकते हैं। इसके अलावा, साइबर सिक्योरिटी में स्पेशलाइजेशन के लिए सर्टिफिकेट (सर्टिफाइड एथिकल हैकर, सिस्को सर्टिफाइड नेटवर्क एसोसिएशन, इंफार्मेशन एवं साइबर सिक्योरिटी सर्टिफिकेशन, क्लाउड सिक्योरिटी प्रोफेशनल) एवं डिप्लोमा कोर्स भी कराए जा रहे हैं। जहां तक बुनियादी कुशलता की बात है, तो स्टूडेंट्स जावा, सी प्लस प्लस, पाइथन आदि लैंग्वेज सीख सकते हैं। उन्हें विंडोज के एडमिनिस्ट्रेशन, मैनेजमेंट, आर्किटेक्चर के साथ-साथ लाइनक्स डिस्ट्रास, फायरवाल, नेटवर्क लोड बैलेंसर्स की जानकारी होनी चाहिए। साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स की प्राबल्म साल्विंग स्किल्स भी स्ट्रांग होनी चाहिए।

चुन सकते हैं पसंद का विकल्प: साइबर सिक्योरिटी के अंतर्गत युवा अपनी पसंद के अनुसार, प्रोफाइल का चुनाव कर सकते हैं। जैसे वे नेटवर्क सिक्योरिटी इंजीनियर, सिक्योरिटी एनालिस्ट, साइबर लायर, सिक्योरिटी आर्किटेक्ट, साइबर सिक्योरिटी मैनेजर, चीफ इंफार्मेशन सिक्योरिटी आफिसर, इंफार्मेशन सिक्योरिटी मैनेजर, साइबर सिक्योरिटी इंजीनियर, एथिकल हैकर, साइबर सिक्योरिटी कंसल्टेंट के तौर पर कार्य कर सकते हैं।

संभावनाएं: जैसा कि नैसकाम एवं अन्य संस्थानों का अनुमान है कि बढ़ते डिजिटाइजेशन के साथ ही साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स की मांग भी बढ़ेगी यानी समुचित कुशलता हासिल करने के बाद युवाओं के पास बैंक, सरकारी क्षेत्र, रिटेल, बीएफएसआइ आदि इंडस्ट्री में काम करने के मौके हैं। वे इंफार्मेशन रिस्क आडिटर, फायरवाल, सिक्योरिटी डिवाइस डेवलपमेंट प्रोफेशनल, क्रिप्टोलाजिस्ट्स जैसे प्रोफाइल्स पर काम कर सकते हैं।

क्या है साइबर ला: साइबर स्पेस को संचालित करने वाले कानून को साइबर ला कहते हैं। इसके तहत इंटरनेट और साइबर स्पेस से जुड़े मामले सुलझाए जाते हैं। इसके एक्सपर्ट छोटे-बड़े साइबर अपराध की रोकथाम के अलावा उसकी जांच में सहायक भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा, ये साफ्टवेयर पेटेंट, नेट बैंकिंग से जुड़े कानूनी मामले भी देखते हैं। सभी इंटरनेट यूजर्स इस कानून के दायरे में आते हैं। युवा साइबर ला एक्सपर्ट के रूप में भी अपने करियर को आगे सकते हैं।