बुलडोजर पर सवार होने से चूक गए नेताजी

 

Delhi Anti- Encroachment Drive: बुलडोजर पर सवार होने से चूक गए नेताजी

Anti- Encroachment Driveदिल्ली में पहले जहां बुलडोजर चलता था नेता पहले उसे रुकवाने की कोशिश करते थे। अगर रुकवाने में सफलता न लगे तो नेताजी अपना फोन बंद कर सप्ताहभर के लिए क्षेत्र से गायब तक हो जाते थे। अब हालात बदल गए है और श्रेय लेने की होड़ है।

नई दिल्लीsurender Aggarwal ।  उत्तर प्रदेश में बुलडोजर माफिया पर कार्रवाई का पर्याय बन गया है। यही वजह है कि दूसरे राज्यों की सरकारें और नगर निगम इस बुलडोजर नीति पर काम करने लगे हैं। दिल्ली में भी बुलडोजर से कार्रवाई की जा रही है। सत्तारूढ़ दिल्ली नगर निगम के महापौर से लेकर पार्षद और निगम अधिकारी इसका जमकर इस्तेमाल भी कर रहे हैं।

बुलडोजर नीति से बदली राजनीति के चलते अब तो नेताजी खुद बुलडोजर पर सवार होकर अतिक्रमण और अवैध निर्माण को रौंद देना चाहते हैं। बुलडोजर पर सवार होने से चूक गए तो नेताजी अपने राजनीतिक लाभ के लिए बुलडोजर चलवाने का श्रेय लेने के साथ ही अपनी पीठ थपथपाने के लिए आगे रहने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं।

सुधार के साथ खड़े हों

हर वर्ष आग की घटनाओं में मासूमों की जान चली जाती है। इन घटनाओं को रोकने के लिए हमें दिल्ली को सुधारना होगा। हालांकि यह बहुत चुनौतीपूर्ण है, लेकिन दिल्ली के हित में है। जैसा कि सभी को पता है कि राजधानी में तकरीबन दो हजार अनधिकृत कालोनियां हैं।

इन कालोनियों में लघु उद्योग तो छोडि़ए, ऐसे-ऐसे उद्योग चल रहे हैं जो औद्योगिक क्षेत्रों में भी नहीं हैं। इसकी वजह से इस तरह की घटनाएं होती हैं। जब ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए निगम की कार्रवाई होती है तो इस पर पक्ष-विपक्ष में लोगों के रोजगार का हवाला देकर राजनीति की जाती है और इस तरह से कार्रवाई राजनीति की भेंट चढ़ जाती है।

ऐसे में मुंडका अग्निकांड जैसी घटनाओं के दोहराव को रोकने के लिए दलगत राजनीति से ऊपर उठकर काम करने की जरूरत है और निगम की कार्रवाई में साथ खड़े होने की आवश्यकता है।