देश की इकोनॉमी की रफ्तार पहले क्‍वार्टर में रहेगी शानदार, ICRA ने जताया यह अनुमान

 

Activity का स्‍तर पहले की तुलना में लगभग 16 प्रतिशत अधिक है। (Pti)

पहली तिमाही में Economy के 12 से 13 प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान है। हालांकि उसने Yearly GDP Forecast को 7.2 प्रतिशत पर बनाए रखा है। इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने यह जानकारी दी है ।

नई दिल्‍ली, पीटीआइ। रेटिंग एजेंसी इक्रा (ICRA) ने कहा है कि मंगलवार को चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था के 12 से 13 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ने का अनुमान है। एजेंसी ने अप्रैल में 13 महीनों में दूसरे सबसे बड़े कारोबारी गतिविधि सूचकांक का हवाला देते हुए यह अनुमान जताया है। हालांकि, इक्रा ने मुद्रास्फीति और इसके परिणामस्वरूप आरबीआई की सख्ती को लेकर चिंता का हवाला देते हुए चालू वित्त वर्ष के लिए अपने वार्षिक जीडीपी अनुमान (Yearly GDP Forecaste) को 7.2 प्रतिशत पर बनाए रखा है।इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने बताया कि अप्रैल के लिए 115.7 पर हमारा व्यावसायिक गतिविधि मॉनिटर (business activity monitor) बताता है कि Activity का स्‍तर एक साल पहले (अवधि) और पूर्व-Covid ​​​​स्तर की तुलना में लगभग 16 प्रतिशत अधिक था। यह उच्च वृद्धि मई में बनी रह सकती है, विशेष रूप से वार्षिक आधार पर जिसे पहली तिमाही में 12-13 प्रतिशत पर दोहरे अंकों में जीडीपी एक्‍सपेंशन में बदल जाना चाहिए। एजेंसी ने कहा कि हालांकि, यह बरकरार नहीं रह सकता है और गतिविधि में वार्षिक वृद्धि मध्यम हो सकती है।

उनके मुताबिक उच्च इनपुट लागत (higher input costs) जीवीए वृद्धि को एकल अंकों तक कम कर सकती है। इसलिए हम वित्त वर्ष 2023 के लिए अपने सकल घरेलू उत्पाद (GDP Growth forecaste) के विकास के अनुमान को 7.2 प्रतिशत पर बनाए रखते हैं। महंगाई की बढ़ती चिंताओं का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (consumer price index) औसतन 6.3-6.5 फीसदी रहने की उम्मीद है। मुद्रास्फीति और विकास के लिए सबसे बड़ा जोखिम ईंधन की कीमत और रूस-यूक्रेन लड़ाई है। उन्होंने कहा कि अगर कुछ दिन में युद्ध खत्‍म नहीं होता है तो महंगाई और अधिक बढ़ने का अनुमान है।

इस बीच, मंगलवार को आरबीआई बुलेटिन में प्रकाशित एक लेख के अनुसार, बुनियादी ढांचे में सुधार, कम और स्थिर मुद्रास्फीति सुनिश्चित करना और व्यापक आर्थिक स्थिरता बनाए रखना विकास को गति देने के लिए महत्वपूर्ण है। 'स्टेट ऑफ द इकोनॉमी' शीर्षक वाले इस लेख में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने अपनी रिकवरी को कंसोलिडेट किया है, जिसमें अधिकांश घटक कोविड की पूर्व स्थिति में चले गए हैं।