114 लड़ाकू विमान खरीदेगी वायुसेना, 96 का भारत में ही निर्माण करने की योजना; जाने कितनी आएगी लागत

 

'बाय ग्लोबल एंड मेक इन इंडिया' योजना के तहत 114 मल्टीरोल फाइटर एयरक्राफ्ट (MRFA) प्राप्त करने की योजना है।

भारतीय वायु सेना ने विदेशी विक्रेताओं के साथ बैठक की और उनसे मेक इन इंडिया परियोजना को अंजाम देने के बारे में बातचीत हुइ है। योजना के मुताबिक शुरुआती 18 विमानों के आयात के बाद अगले 36 विमानों का निर्माण देश के भीतर किया जाएगा।

नई दिल्ली, एएनआइ। भारतीय वायु सेना 114 लड़ाकू जेट हासिल करने की योजना बना रही है, जिनमें से 96 भारत में बनाए जाएंगे, और शेष 18 परियोजना के लिए चुने गए विदेशी विक्रेता से आयात किए जाएंगे। बता दें कि पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा आत्मानिर्भर भारत योजना के तहत निर्माण योजना बनाइ जा रही है।

भारतीय वायु सेना की 'बाय ग्लोबल एंड मेक इन इंडिया' योजना के तहत 114 मल्टीरोल फाइटर एयरक्राफ्ट (MRFA) प्राप्त करने की योजना है, जिसके तहत भारतीय कंपनियों को एक विदेशी विक्रेता के साथ साझेदारी करने की अनुमति होगी।

सरकारी सूत्रों के अनुसार हाल ही में, भारतीय वायु सेना ने विदेशी विक्रेताओं के साथ बैठक की और उनसे मेक इन इंडिया परियोजना को अंजाम देने के तरीके के बारे में बातचीत हुइ है।

सूत्रों ने बताया कि योजना के मुताबिक शुरुआती 18 विमानों के आयात के बाद अगले 36 विमानों का निर्माण देश के भीतर किया जाएगा और भुगतान आंशिक रूप से विदेशी मुद्रा और भारतीय मुद्रा में किया जाएगा।

बोइंग जैसे वैश्विक विमान निर्माताओं के निविदा में भाग लेने की उम्मीद

सूत्रों ने कहा कि अंतिम 60 विमान भारतीय साझेदार की मुख्य जिम्मेदारी होगी और सरकार केवल भारतीय मुद्रा में भुगतान करेगी। सूत्रों ने कहा कि भारतीय मुद्रा में भुगतान से विक्रेताओं को परियोजना में 60 प्रतिशत से अधिक 'मेक-इन-इंडिया' सामग्री हासिल करने में मदद मिलेगी।

बोइंग, लॉकहीड मार्टिन, साब, मिग, इरकुत कॉर्पोरेशन और डसॉल्ट एविएशन सहित वैश्विक विमान निर्माताओं के निविदा में भाग लेने की उम्मीद है।

वायु सेना राफेल विमानों से पाकिस्तान और चीन पर पड़ रहा भरी

भारतीय वायु सेना को पड़ोसी प्रतिद्वंद्वियों पाकिस्तान और चीन पर अपनी श्रेष्ठता बनाए रखने के लिए इन 114 लड़ाकू विमानों पर बहुत अधिक निर्भर रहना पड़ता है।

आपातकालीन आदेशों के तहत खरीदे गए 36 राफेल विमानों ने 2020 में शुरू हुए लद्दाख संकट के दौरान चीनियों पर बढ़त बनाए रखने में काफी मदद की, लेकिन संख्या पर्याप्त नहीं है और इसके लिए ऐसी अधिक क्षमता की आवश्यकता होगी।

वायु सेना ने पहले ही एलसीए एमके 1ए विमानों में से 83 के लिए ऑर्डर दे दिए हैं, लेकिन इसके लिए अभी भी अधिक संख्या में सक्षम विमानों की आवश्यकता है क्योंकि बड़ी संख्या में मिग श्रृंखला के विमानों को या तो चरणबद्ध कर दिया गया है या फिर वे विमान अपने अंतिम चरण में हैं।

पांचवीं पीढ़ी की उन्नत लड़ाकू विमान परियोजना

पांचवीं पीढ़ी की उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान परियोजना संतोषजनक गति से आगे बढ़ रही है लेकिन इसे परिचालन भूमिका में शामिल होने में काफी समय लगेगा।यह भी पढ़ें

सूत्रों ने कहा कि भारतीय वायुसेना अपने लड़ाकू जेट की आवश्यकता के लिए एक लागत प्रभावी समाधान की तलाश में है क्योंकि वह एक ऐसा विमान चाहता है जो परिचालन लागत पर कम हो और सेवा को अधिक क्षमता प्रदान करे।

IAF राफेल लड़ाकू जेट की परिचालन उपलब्धता से अत्यधिक संतुष्ट है और अपने भविष्य के विमानों में भी इसी तरह की क्षमता चाहता है।