![आश्रम 3 की नायिका अदिति पोहानकर। फाइल फोटो](https://www.jagranimages.com/images/newimg/09062022/09_06_2022-aaditi_pohankar_22787243.jpg)
Aashram 3 Aaditi Pohankar हालिया रिलीज एक बदनाम.. आश्रम 3 में पम्मी पहलवान का संघर्ष दिखा। जल्द ही उनका अगला वेब शो शी सीजन 2भी रिलीज होगा। अदिति पोहानकर ने शो करियर और आगामी योजनाओं को लेकर बातचीत..
पिछले कुछ अर्से के दौरान कई ढोंगी
बाबा का कच्चा चिट्ठा सामने आया। वहीं डिजिटल प्लेटफार्म पर प्रकाश झा
निर्देशित वेब सीरीज आश्रम में ढोंगी बाबा निराला की कहानी आई। धर्म की आड़
में वह किस तरह लड़कियों का शोषण करता है। आखिर में जब उसकी सच्?चाई सामने
आती है तो उसकी परमभक्त पम्मी ही उसके खिलाफ खड़ी हो जाती है। यह शो न
सिर्फ महिलाओं की ताकत का अहसास कराता है बल्कि उन्हें आत्मरक्षा और
आत्मनिर्भर होने के लिए प्रेरित करता है। यह मानना है आश्रम की नायिका
अदिति पोहानकर का। शो के दो सीजन काफी सफल रहे।
एक बदनाम... आश्रम 3 के बाद शी सीजन 2 भी अगले सप्ताह आ रहा है क्या दोनों शो की शूटिंग आपने आस-पास की थी ?
दोनों की शूटिंग आसपास ही आई थी। उस समय महामारी की लहर आई थी। जब हमने शी की शूटिंग शुरू की ही थी तो रात में लाकडाउन लग गया था तो हमें दो महीने रुकना पड़ गया था। मुझे याद है कि एक दिन पूरी रात मैंने आश्रम 3 का शूट किया था फिर अगले दिन मुंबई आकर मैं शी (सीजन 2) की शूटिंग की थी। तीसरे दिन सेट पर मैं निढाल हो गई थी और मुझे एक दिन की छुट्टी लेनी पड़ी थी। दरअसल महामारी की वजह से सारे प्रोजेक्ट्स अटक गए थे तो डेट्स की काफी समस्या आ गई थी। तो हमें एडजस्ट करना था। उस बीच बारिश भी हो गई थी तो हम शूट नहीं कर पाए। वह काफी कठिन समय था। कहते हैं न कि मेहनत का फल हमेशा मीठा होता है। वो हो रहा है शायद।
आपकी पहली फिल्म लयभारी थी जो मराठी में थी लेकिन आपने हिंदी फिल्मों पर ज्यादा फोकस नहीं किया?
जब लयभारी आई थी उसके बाद मैंने एक साल का ब्रेक लिया था क्योंकि मेरे घुटनों में समस्या हो गई थी। दरअसल, मैं रनर भी थी। मैं अपनी सेहत को हमेशा प्राथमिकता देती हूं तो मुझे ठीक होने में ही करीब एक साल का समय लग गया था। फिर मैं वापस आई और काम के लिए प्रयास किया। मेरे पास जो प्रस्ताव आए उसमें से चुना। फिर एक चीज मुझे पता थी कि जब भी हिंदी में कुछ करुंगी तो मुझे एक बहुत अच्छी स्क्रिप्ट चाहिए होगी बहुत ही अच्छे निर्देशक के साथ।
वर्ष 2019 में जब मैंने शी का शूट शुरू किया था उसके अगले साल कोविड आ गया और पहला लाकडाउन हो गया था। उस समय पोस्ट प्रोडक्शन का काम बचा था। फिर महामारी की वजह से लगभग दो साल का ब्रेक उसमें ही चला गया। उससे पहले आश्रम सीजन1 शूट कर चुकी थी। उसके लिए निर्देशक प्रकाश झा ने बताया था कि यह नायिका की कहानी है तो मैंने तो बिना देखे सुने कहा कि सर कब शुरू कर रहे हैं। उनके साथ काम करने की हमेशा से मेरी चाहत थी। शी के निर्देशक इम्तियाज अली हैं। मैंने सोचा कि दोनों ही बालीवुड के नामचीन निर्देशक हैं डिजिटल हो या फिल्म उससे फर्क नहीं पड़ता। वहीं से मैं आगे बढ़ती गई।
दिवंगत निर्देशक निशिकांत कामत, इम्तियाज अली और प्रकाश झा तीनों अपने काम में महारथी हैं। आपने उनसे क्या सीखा?
निशी सर मुझसे उम्र में बड़े थे लेकिन वह मेरे बेस्टफ्रेंड थे। हमारी बीच अच्छी केमिस्ट्री थी। मैं हमेशा कहती थी कि सर आपने मुझे ब्रेक दिया है। आपने मुझमें यकीन दिखाया तो आप हमेशा मेरी प्राथमिकता रहेंगे। दुख की बात है कि वो अब इस दुनिया में रहे नहीं। वो मुझे हमेशा कहते थे कि तुम बहुत मेहनती हो तो बहुत आगे जाओगी। मैंने इन तीनों से यही सीखा है कि आप में मेहनत करने की ताकत हो और धैर्य है तो लगातार कोशिश करें। मैं तो अपने किरदारों से भी सीखती हूं जैसे आश्रम 3 में पम्मी जो कर रही है वो उसके लिए बहुत बड़ा टास्क है। बाबा जैसे शक्तिशाली आदमी तक पहुंचना लगभग असंभव है। फिर भी पम्मी अपनी तरफ से यथासंभव कोशिश कर रही है। जब लाकडाउन हुआ तो इम्तियाज सर कहते थे कि कोई बात नहीं शो हम अभी शूट नहीं कर पाए हैं तो आगे कुछ समय में पूरा कर लेंगे। निराश होने के बहुत कारण होते हैं, लेकिन जीवन में आप पाजिटीव पहलू देखें और उसी रास्ते पर चलें तो यह काफी आसान हो जाता है। शायद यही वजह है कि यह तीनों निर्देशक आज इतने बड़े मुकाम पर है।
आपके लिए पहलवान बनना आसान रहा ?
(हंसते हुए) नहीं नहीं बिल्कुल नहीं। मैं तो रनर थी। जो लड़कियां असल में रेसलिंग करती हैं जब वो रिंग में आती हैं तो उनका अंदाज ही अलग होता है। हमने असली पहलवानों के साथ शूटिंग की है। मैं उनसे डर डर कर कहती थी कि थोड़ा धीरे से। तो वो हमेशा कहती थीं कि दीदी धीरे से दूंगी तो भी आपको चोट लगेगी। आप टेंशन न लो। हम है न। वो सब बहुत सर्पोटिव रही।
आश्रम करने के बाद लगा कि लड़कियों के लिए आत्मरक्षा के उपाय सीखना चाहिए ?
लड़कियों के लिए आत्मरक्षा की चीजों को सीखना बहुत जरूरी है। हमें बताया जाता है कि तुम लड़की हो। कमजोर हो, लेकिन ऐसा नहीं है। औरत बच्चे को जन्म देती है यह बहुत मुश्किल काम है तो आप उसे कमजोर कैसे कह सकते हैं। मदर अर्थ यानी सृष्टि हमें कितना कुछ देती है। तो यह सारे गुण हमें नेचुरली मिले हैं पर उसका इस्तेमाल हम लोग सही ढंग से नहीं कर रहे हैं। लड़कियों को बताया जाता है कि तुम घर पर सिर्फ खाना बनाओगी, तुम कुछ और नहीं करोगी। पम्?मी का किरदार भी नरम दिल है लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि वह स्ट्रांग नहीं है। मुझे लगता है कि हर लड़की को आत्?मरक्षा के तरीके सीखने चाहिए। मैंने भी बचपन में करार्ट सीखा था। रनर तो रह ही चुकी हूं तो जानती हूं कि यह कोई मुश्किल काम नहीं है। मेरा मानना है कि स्कूल कालेज में लड़कियों के लिए आत्मरक्षा सीखना अनिवार्य कर देना चाहिए।