पहली बार किसी उत्सव में 425 साहित्यकार होंगे शरीक: के श्रीनिवास राव

 

शिमला में कोरोना काल में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर आयोजन हो रहा है।

साहित्य अकादमी आजादी के अमृत महोत्सव के तहत तीन दिवसीय उन्मेष-अभिव्यक्ति का उत्सव आयोजित कर रहा है। 16 से 18 जून तक शिमला में आयोजित होने वाला यह साहित्य उत्सव कई मायनों में खास होगा। कोरोना काल में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर आयोजन हो रहा है।

शिमला,साहित्य अकादमी आजादी के अमृत महोत्सव के तहत तीन दिवसीय उन्मेष-अभिव्यक्ति का उत्सव आयोजित कर रहा है। 16 से 18 जून तक शिमला में आयोजित होने वाला यह साहित्य उत्सव कई मायनों में खास होगा। कोरोना काल में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर आयोजन हो रहा है। साहित्य उत्सव पर स्वतंत्रता आंदोलनों की भी छाप दिखेगी। स्वतंत्रता संग्राम की कहानियां सुनाती एक हजार से अधिक किताबें प्रदर्शित की जाएंगी। उन्मेष उत्सव के बारे में साहित्य अकादमी के सचिव के.श्रीनिवास राव ने दैनिक जागरण के संजीव मिश्रा के साथ विस्तार से बातचीत की। प्रस्तुत है प्रमुख अंश :

दिल्ली में होने वाले साहित्योत्सव से "उन्मेष-अभिव्यक्ति का उत्सव' किस तरह अलग है?

उत्तर- साहित्य अकादमी ने इसके पहले इतना बड़ा आयोजन कभी नहीं किया है। साहित्य अकादमी ही क्यों, देश में अभी तक लेखकों की भागीदारी के हिसाब से इतना बड़ा उत्सव कभी नहीं आयोजित किया गया। इसमें 425 लेखक भाग लेंगे। साहित्य की सभी विधाओं को उचित सम्मान दिया गया है। 18 विदेशी लेखक भी शामिल होंगे। ‘साहित्य और सिनेमा’, विश्व की कालजयी कृतियां और भारतीय लेखन’, ‘आदिवासी लेखन’, ‘एलजीबीटीक्यू लेखकों का लेखन’, ‘मीडिया और साहित्य’, ‘भक्ति साहित्य’ और ‘अनुवाद के माध्यम से सांस्कृतिक एकता’ आदि प्रमुख सेशन होंगे।

आयोजन शिमला में हो रहा है? स्थानीय भाषाओं के साथ किस तरह संतुलन साधने की कोशिश की गई है?

उत्तर-साहित्य संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता है। ऐसे साहित्यिक महोत्सवों के आयोजन द्वारा समस्त साहित्यिक रंगों का प्रतिनिधित्व परिलक्षित होता है। स्थानीय भाषाओं को साधते हुए ही आयोजन सफल होगा। हिमाचल के साहित्यकारों, कलाकारों की सबसे अधिक भागीदारी होगी। 35 से अधिक साहित्यकार शामिल होंगे। हिंदी के अलावा अन्य भाषा को मंच प्रदान किया जाएगा। ताकि स्थानीय भाषा के साहित्यकारों को अपनी बात कहने का मौका मिले। पूर्वोत्तर समेत अन्य क्षेत्रों के साहित्यकार भी शामिल होंगे।

युवा भागीदारी पर अधिक ध्यान दिया गया है?

उत्तर-बिल्कुल, युवा लेखक ही भविष्य है। 50 से अधिक युवा लेखक शामिल होंगे। लगभग हर सत्र में युवा लेखकों को महत्व दिया गया है। उनसे जुड़े मुद्दों पर परिचर्चा आयोजित की जाएगी। इसके अलावा सोनल मानसिंह, गुलजार, एस.एल. भैरप्पा, चंद्रशेखर कंबार, किरण बेदी, लिंडा हेस, डेनियल नेगर्स, सुरजीत पातर, नमिता गोखले, कपील कपूर, आरिफ मोहम्मद खान, विश्वनाथ प्रसाद तिवारी, रघुवीर चौधरी, विश्वास पाटील, रंजीत होसकोटे, गीतांजलि श्री, सई परांजपे, दीप्ति नवल, मालाश्री लाल, सुदर्शन वशिष्ठ, प्रत्यूष गुलेरी, एस.आर.हरनोट, होशांग मर्चेंट, लीलाधर जगूड़ी, अरुण कमल, बल्देव भाई शर्मा, सतीश अलेकर एवं विष्णु दत्त राकेश सरीखी शख्सियतों को सुना जा सकता है।